MP : निजी स्कूलों का दोहरा दांव, कर्मचारी आधे वेतन में काम करें और बच्चों से मिले पूरी फीस
भोपाल। मध्य प्रदेश में मनमानी पर उतारू निजी स्कूल दोहरा दांव खेल रहे हैं। निजी स्कूल संचालक कार्यरत शिक्षकों सहित अन्य कर्मचारियों को पूरा वेतन नहीं दे रहे लेकिन बच्चों से पूरी फीस वसूलने रहे हैं। इतना ही नहीं मनमानी फीस भी बढ़ाने की इच्छा रखते हैं। जब सरकार ने इस पर रोक लगाई तो निजी स्कूलों के संगठन ने 20 हजार स्कूलों में 12 जुलाई से ऑनलाइन कक्षाएं बंद करने की चेतावनी देकर सरकार को चुनौती दे दी। संगठन कोरोना की तीसरी लहर की चिंता किए बगैर अन्य संस्थानों की तरह स्कूल भी खोलना चाहते हैं।
भोपाल। मध्य प्रदेश में मनमानी पर उतारू निजी स्कूल दोहरा दांव खेल रहे हैं। निजी स्कूल संचालक कार्यरत शिक्षकों सहित अन्य कर्मचारियों को पूरा वेतन नहीं दे रहे लेकिन बच्चों से पूरी फीस वसूलने रहे हैं। इतना ही नहीं मनमानी फीस भी बढ़ाने की इच्छा रखते हैं। जब सरकार ने इस पर रोक लगाई तो निजी स्कूलों के संगठन ने 20 हजार स्कूलों में 12 जुलाई से ऑनलाइन कक्षाएं बंद करने की चेतावनी देकर सरकार को चुनौती दे दी। संगठन कोरोना की तीसरी लहर की चिंता किए बगैर अन्य संस्थानों की तरह स्कूल भी खोलना चाहते हैं।
स्कूलों की फीस को लेकर करीब एक साल से अभिभावक, स्कूल और सरकार के बीच रस्साकशी चल रही है। कोरोना काल में आमदनी के संसाधन छिन जाने या सीमित होने से आर्थिक रूप से टूट चुके अभिभावक अधिक फीस देने की स्थिति में नहीं हैं। इसे देखते हुए राज्य सरकार ने पिछले साल और वर्तमान में सिर्फ शिक्षण शुल्क ट्यूशन फीस लेने के निर्देश दिए हैं।
इसके पीछे तर्क है कि वर्तमान में कर्मचारियों के वेतन के अलावा स्कूलों का कोई खर्च नहीं है। वर्तमान हालातों को देखते हुए जब कक्षाएं नहीं लग रहीं तो अभिभावक भी फीस देने में हिचकिचा रहा है। बच्चों की पढ़ाई की ही फीस लगती है, क्या बैठे बच्चों की भी फीस देने होता है।
स्कूल संचालक वर्तमान शैक्षणिक सत्र में स्कूल खोलने के लिए स्कूल शिक्षा विभाग के अधिकारियों को राजी कर चुके थे। यही कारण था कि अधिकारियों ने एक जुलाई से स्कूल खोलने का प्रस्ताव मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के सामने रख दिया था, पर जनभावनाओं को समझते हुए मुख्यमंत्री ने स्कूल खोलने से इंकार कर दिया।