MP : 6 दिन में 50 राष्ट्रीय पक्षियों की मौत, जहरीला दाना देकर मारे जा रहे मोर, वन विभाग उदासीन

मुरैना। राष्ट्रीय पक्षी के नाम से पहचाने जाने वाले मोर पर मुरैना जिले में शिकारियों की नजर है। लगातार मोरों की मौत हो रही है। अब तक 6 दिन में 50 मोरों की मौत हो चुकी है। मौके से जहरीला दाना भी बरामद हुआ है। बता दें कि 16 जून से लगातार मोरों की मौत हो रही है। वहीं वन विभाग का रवैया उदासीन नजर आ रहा है जिससे लोगों में आक्रोश व्याप्त है।

Update: 2021-06-24 11:18 GMT

मुरैना। राष्ट्रीय पक्षी के नाम से पहचाने जाने वाले मोर पर मुरैना जिले में शिकारियों की नजर है। लगातार मोरों की मौत हो रही है। अब तक 6 दिन में 50 मोरों की मौत हो चुकी है। मौके से जहरीला दाना भी बरामद हुआ है। बता दें कि 16 जून से लगातार मोरों की मौत हो रही है। वहीं वन विभाग का रवैया उदासीन नजर आ रहा है जिससे लोगों में आक्रोश व्याप्त है।

वन विभाग के रेंजर ने बताया कि 16 जून को दौलसा गांव के पास से ही 12 मोरों के शव बरामद किए गए थे जिसमें 5 नर मोर और 7 मादा मोर के शव थे। इसी प्रकार 20 जून को जंगल में 30 मोरों के शव फिर मिले जिनमें 8 नर मोर और 22 मादा मोर के शव शामिल हैं। जिसके बाद सोमवार की देर शाम को फिर से 8 मोर मृत अवस्था में मिले हैं। इस प्रकार मोरों के मिले शवों को मिलाकर कुल 50 राष्ट्रीय पक्षी मोर की मौत हो चुकी है।

जहरीले चावल और गेहूं के दाने बरामद

मुरैना जिले के रिठौरा-शनिचरा के बीच दौलसा गांव के पास में बीते दिवस 30 राष्ट्रीय पक्षी मोर मृत पाये गये। ग्रामीणों द्वारा वन विभाग को दी गई। सूचना के बाद मौके पर पहुंची वन विभाग की टीम ने मौके पर जहरीले चावल और गेहूं के दाने बरामद किये हैं। इससे साफ जाहिर है कि क्षेत्र में मोरों का शिकार करने वाला गिरोह सक्रिय है। डॉक्टरों के तीन सदस्यीय दल में शामिल डा. विवेक श्रीवास्तव, डा. राजेश शर्मा और डा. दिनेश दीक्षित के द्वारा मोरों के शवों का पोस्टमार्टम किया गया है।

जांच के लिए भेजे गए सेम्पल

डा. विवेक श्रीवास्तव ने बताया कि प्राथमिक जांच में मोरों की मौत जहरीला दाना चुगने से हुई है, लेकिन इसकी आधिकारिक पुष्टि जांच रिपोर्ट आने के बाद ही होगी। इसके लिए नमूने लेकर जांच के लिए ग्वालियर, सागर और जबलपुर फोरेंसिक लैब भेजे गए हैं।

मुरैना में करीब 10 हजार मोर की संख्या

उल्लेखनीय है कि मुरैना जिले में राष्ट्रीय पक्षी मोर की कुल संख्या करीब 10 हजार के करीब है। राष्ट्रीय पक्षी मोर की अधिकता होने के कारण ही जिले की इसके नाम से पहचान है। चूंकि राष्ट्रीय पक्षी का मांस गर्म होता है इसलिए इसका उपयोग खाने के साथ-साथ विभिन्न तरह की दवाइयां बनाने के काम आता है। मांस गर्म होने की वजह से मांसाहारी और शिकारियों की पहली पसंद मोर का मांस है। इसके साथ ही मोर के पंख भी बेचे जाते हैं। इसी कारण ये बाजार में महंगे दामों में बिकता है। इसलिए जिले के आदिवासी बाहुल्य क्षेत्रों के अलावा शिवपुरी और श्योपुर जिले से मोंगिया जाति के भी लोग यहां पर राष्ट्रीय पक्षी मोर का शिकार करने आते हैं।

राष्ट्रीय सम्मान के साथ हुई अंत्येष्टि, जांच के बाद होगी कार्रवाई

मुरैना जिले के बानमौर-रिठौरा के बॉर्डर स्थित दौलसा गांव के पास शिकारियों द्वारा जंगल में 16 जून से 21 जून तक जहरीला दाना डालकर 50 राष्ट्रीय पक्षी मोर की हत्या कर दी गई जिनमें से 30 मोरों का पोस्टमार्टम करने के बाद उनकी अंत्येष्टि राष्ट्रीय सम्मान से वन डिपो में कर दी गई। डीएफओ अमित निकम का कहना है कि राष्ट्रीय पक्षी मोर की हत्या शिकारियों ने की है या फिर ग्रामीणों ने इसकी जांच कराई जा रही है। इसके बाद ही दोषियों पर कार्रवाई की जाएगी।

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