एमपी के लाखो पेंशनर्स का होगा कैशलेस इलाज: सर्जरी के लिए 5 लाख तो गंभीर बीमारी के इलाज के लिए 10 लाख मिलेंगे
एमपी के लाखो पेंशनर्स का होगा कैशलेस इलाज: दो साल पहले कैबिनेट में पास हुए प्रस्ताव पर कार्यवाही तेज कर दी गई है. अफसर इंश्योरेंस कंपनियों के साथ मीटिंग ले रहें हैं.
एमपी के लाखो पेंशनर्स का होगा कैशलेस इलाज: मध्यप्रदेश के सभी रिटायर्ड अधिकारी कर्मचारियों को इलाज के लिए अब परेशान नहीं होना पड़ेगा. राज्य की शिवराज सरकार लाखों सेवानिवृत्त पेंशनर्स के लिए कैशलेस ट्रीटमेंट के प्लान पर काम कर रही है. इसके लिए दो साल पहले मध्यप्रदेश के कैबिनेट में प्रस्ताव लाया गया था. जिसे पास भी कर लिया गया. लेकिन अब इस पर अमल तेज किया गया है. अफसर इंश्योरेंस कंपनियों के साथ मीटिंग ले रहें हैं.
मुख्यमंत्री राज्य कर्मचारी स्वास्थ्य कर्मचारी बीमा योजना (Chief Minister State Employees Health Employees Insurance Scheme) को प्रदेश की आयुष्मान भारत निरामयम सोसाइटी (Ayushman Bharat Niramayam Society) के जरिए संचालित किया जाएगा. इस स्कीम से प्रदेश के करीब 5 लाख रिटायर्ड अधिकारियों और कर्मचारियों को फायदा होगा. सर्जरी अथवा अन्य बीमारियों के लिए 5 लाख मिलेंगे, जबकि गंभीर बीमारियों के इलाज के लिए 10 लाख तक मिलेंगे.
रिटायरमेंट के बाद इलाज के लिए नहीं मिलती मदद
केन्द्र सरकार के कर्मचारियों को रिटायरमेंट के बाद CGHS (सेंट्रल गवर्नमेंट हेल्थ स्कीम) से इलाज की सुविधा मिलती है, लेकिन राज्य सरकार के रिटायर्ड कर्मचारियों के लिए कोई हेल्थ स्कीम नहीं हैं. ऐसे में इस योजना से रिटायर कर्मचारियों को देशभर के अस्पतालों में कैशलेस इलाज मिल सकेगा. हालांकि यूपी, राजस्थान, महाराष्ट्र सहित कई राज्यों में पेंशनर्स को फ्री इलाज की सुविधा मिलती है.
एक पेंशनर्स को दवाओं के लिए मिलते हैं 288 रुपए
दो साल पहले हुई चर्चा के मुताबिक मध्यप्रदेश में एक पेंशनर को एक महीने की दवा के लिए मात्र 24 रुपए मिलते हैं. 2019-20 की रिपोर्ट के अनुसार मप्र में एक पेंशनर को दवाओं के लिए औसतन सिर्फ 288 रुपए ही दिए जाते हैं.
दवाओं के लिए सालाना 10 हजार की मदद
स्वास्थ्य विभाग के अफसरों की मानें तो योजना में पेंशनर्स को सालाना ओपीडी मरीज के तौर दवाओं के लिए 10 हजार तक की मदद मिलेगी. सर्जरी और दूसरे इलाज के लिए 5 लाख रुपए प्रति परिवार के हिसाब से मदद मिलेगी. गंभीर बीमारी के इलाज के लिए 10 लाख तक इलाज के लिए मदद देने का प्रावधान किया गया था.
कर्मचारियों से लिया जाएगा प्रीमियम
अफसरों की मानें तो कर्मचारियों और पेंशनर्स की हेल्थ इंश्याेरेंस स्कीम पर साल 2019 के प्रस्ताव के मुताबिक करीब 733.26 करोड़ का सालाना खर्च बताया गया था. इसमें कर्मचारियों और पेंशनर्स से उनके वेतन बैंड के अनुसार मासिक प्रीमियम जमा करने की शर्त रखी गई थी.
प्रीमियम जमा करने पर कर्मचारियों को इनकर टैक्स में छूट
4 जनवरी 2019 को हुई मप्र कैबिनेट की बैठक में पास हुए प्रस्ताव में बताया गया था कि सालाना इस योजना पर करीब 733.26 करोड़ रुपए का भार आएगा. कर्मचारियों द्वारा जमा किए गए प्रीमियम से करीब 224.82 करोड़ रुपए प्राप्त होंगे. वहीं, मौजूदा चिकित्सा प्रतिपूर्ति योजना को खत्म करने पर हर साल 131 करोड़ रुपए की बचत होगी. वहीं, योजना में प्रीमियम जमा करने वाले कर्मचारियों को इनकम टैक्स में छूट देने का प्रावधान करने का फैसला हुआ था.
हालांकि यह योजना कमलनाथ सरकार के समय बनाई गई थी. अब कर्मचारी संगठनों की मांग पर इसे लागू करने की कवायद शुरू हुई है. बीमा कंपनियों के साथ भी स्वास्थ्य विभाग के अफसरों की बैठक हो चुकी है.