Sugar Free Mango: रीवा के इस मशहूर आम को डायबिटीज के मरीज भी खा सकते हैं, विदेशों में है खूब डिमांड

MP News: एमपी के रीवा में आम की एक खास किस्म पाई जाती है जिसका नाम है सुंदरजा। इस आम का स्वाद डायबिटीज के मरीज भी ले सकते हैं। सुंदरजा की डिमांड विदेशों में भी खूब है।

Update: 2023-07-04 11:34 GMT

Mango Sunderja: एमपी के रीवा में आम की एक खास किस्म पाई जाती है जिसका नाम है सुंदरजा। इस आम का स्वाद डायबिटीज के मरीज भी ले सकते हैं। सुंदरजा Sunderja Mango की डिमांड विदेशों में भी खूब है। अपनी खुशबू व गुणों के कारण इसे जीआई टैग भी मिला हुआ है। सुंदरजा शुगर फ्री होने के साथ ही इस आम को लम्बे समय तक स्टोर करके भी रखा जा सकता है।

Sugar Free Mango Sunderja: शुगर फ्री आम है सुंदरजा

रीवा में पाए जाने वाले सुंदरजा आम Sugar Free Mango की कई विशेषताएं हैं। यह आम पूरी तरह से शुगर फ्री होने के कारण डायबिटीज के मरीज भी इसका सेवन कर सकते रीवा का सुंदरजा आम दिल्ली में आयोजित मेले में पुरस्कृत हो चुका है। रीवा जिले के गोविंदगढ़ और उसके आसपास प्रमुख रूप से पैदा होने वाली सुंदरजा आम की किस्म को जीआई टैगिंग प्रदान किया जा चुका है। जिसके लिए पिछले दो वर्षों से लगातार प्रयास किए जा रहे था। हैं। इस आम का डाक टिकट भी जारी हो चुका है।

Sunderja Mango Identification: सुंदरजा आम की पहचान

सुंदरजा आम कई खूबियों से भरपूर है। इस आम को खाने के बाद भी इसकी खुशबू बनी रहती है। रीवा का सुंदरजा आम विंध्य की पहचान बनकर पूरी दुनिया में जाना जा रहा है। इस आम को रीवा जिले की एक जिला एक उत्पाद योजना में भी शामिल किया गया है। रीवा रियासत के महाराजा रघुराज सिंह ने गोविंदगढ़ में इस आम का बगीचा लगाया था। सुंदरजा की विशिष्ट पहचान को जीआई टैग मिलने पर आधिकारिक रूप से स्वीकार कर लिया गया है।

Rewa Sunderja Mango Weight: सुंदरजा आम का वजन

रीवा जिले में पाए जाने वाले सुंदरजा आम Rewa Sunderja Mango की लंबाई 13.5 सेंटीमीटर और चौड़ाई 7.5 सेंटीमीटर होती है। देश के साथ ही सुंदरजा की मांग विदेशों में काफी मात्रा में है। इस आम को जीआई टैग दिलाने के लिए काफी संघर्ष करना पड़ा। इस आम का डीएन फिंगर प्रिंट भी लिए गए हैं। जीआई टैग मिल जाने से इंटरनेशनल मार्केट में इसे आसानी से बेचा जा सकता है। सुंदरजा आम का वनज 250 ग्राम से लेकर 500 ग्राम से अधिक तक का होता है। इस आम में गुठली का हिस्सा 12 प्रतिशत और छिलके का हिस्सा 14 प्रतिशत रहता है।

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