रीवा-सतना समेत प्रदेश के 17 जिलों के कलेक्टरों ने अटकाया रेलवे से लिए 318 करोड़ की भूमि अर्जन का कार्य, रेल मंत्री ने लिखी सीएम को चिट्ठी

भोपाल। प्रदेश के रीवा, सतना सहित डेढ़ दर्जन जिलों के कलेक्टरों ने रेलवे मंत्रालय से ली गई 318 करोड़ की राशि रख ली पर रेल परियोजनाओं की पूर्णता को लेकर लापरवाह बने रहे। अब केंद्रीय रेल मंत्री ने मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को इस संबंध में पत्र लिखकर कहा है कि रेलवे के प्रोजेक्ट से संबंधित भूमि अर्जन की कार्यो को प्राथमिकता से पूरा कराया जाए ताकि पेंडिंग रेल परियोजनाएं पूरी हो सके।;

Update: 2021-06-28 17:33 GMT

भोपाल। प्रदेश के रीवा, सतना सहित डेढ़ दर्जन जिलों के कलेक्टरों ने रेलवे मंत्रालय से ली गई 318 करोड़ की राशि रख ली पर रेल परियोजनाओं की पूर्णता को लेकर लापरवाह बने रहे। अब केंद्रीय रेल मंत्री ने मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को इस संबंध में पत्र लिखकर कहा है कि रेलवे के प्रोजेक्ट से संबंधित भूमि अर्जन की कार्यो को प्राथमिकता से पूरा कराया जाए ताकि पेंडिंग रेल परियोजनाएं पूरी हो सके।

कलेक्टरों के यहां रेलवे की 9 परियोजनाओं के लिए भूमि अधिग्रहण का काम पेंडिंग है उसमें छिंदवाड़ा, बैतूल, होशंगाबाद, ग्वालियर, मुरैना, दतिया, कटनी, सतना, रीवा, सीहोर, राजगढ़, भोपाल, धार, झाबुआ, इंदौर, खरगोन, खंडवा जिले शामिल हैं। रेलवे मंत्रालय की नाराजगी के बाद राजस्व विभाग ने इन जिलों के कलेक्टरों को 26 जून तक प्रतिवेदन देने के निर्देश दिए हैं।

प्रदेश में चल रहे 86336 करोड़ के परियोजनाओं के काम

रेल मंत्री पीयूष गोयल ने मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को पत्र लिखकर कहा है कि मध्यप्रदेश में रेलवे की 9 परियोजनाओं में भूमि अधिग्रहण के लिए 318.34 करोड़ रुपए जमा कराए जा चुके हैं जिसके बदले 745.32 हेक्टेयर भूमि का अधिग्रहण किया जाना है। एमपी में रेलवे द्वारा 86336 करोड़ रुपए की अलग-अलग परियोजनाओं पर काम किया जा रहा है जिसमें 6759 किलोमीटर लंबाई कवर की जा रही है। इसमें 5 गेज कन्वर्जन, 8 नई रेलवे लाइन और 27 रेल लाइनों का दोहरीकरण शामिल है।

तुरंत मांगी गई रिपोर्ट

रेल मंत्री ने यह भी कहा है कि केंद्र सरकार ने यह राशि भू.अर्जन के लिए मध्यप्रदेश सरकार को दी थी। अगर यह राशि नहीं देते तो इसका उपयोग दूसरे काम में किया जा सकता था। रेल मंत्री के पत्र के बाद मुख्यमंत्री सचिवालय इस मामले में सक्रिय हुआ है और राजस्व विभाग से तुरंत रिपोर्ट देने के लिए कहा है जिसके बाद राजस्व महकमे ने कलेक्टरों से रिपोर्ट मांगी है।

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