एमपी: मुख्यमंत्री आवासीय भू-अधिकार योजना को लेकर कलेक्टर ने दिए सख्त निर्देश, जानें क्या है मामला?
सतना कलेक्टर अनुराग वर्मा ने जिले में मुख्यमंत्री आवासीय भू-अधिकार योजना फेज-थ्री में पर्याप्त संख्या में पात्र हितग्राहियों के आवेदन प्राप्त कर योजना में 10 मार्च तक संतुष्टि पूर्ण प्रगति लाने के निर्देश राजस्व अधिकारियों को दिए हैं।
कलेक्टर अनुराग वर्मा ने जिले में मुख्यमंत्री आवासीय भू-अधिकार योजना फेज-थ्री में पर्याप्त संख्या में पात्र हितग्राहियों के आवेदन प्राप्त कर योजना में 10 मार्च तक संतुष्टि पूर्ण प्रगति लाने के निर्देश राजस्व अधिकारियों को दिए हैं। राजस्व अधिकारियों की चार घंटे कलेक्ट्रेट सभाकक्ष में चली बैठक में कलेक्टर ने आरसीएमएस पोर्टल में दर्ज और निराकृत राजस्व प्रकरणों की राजस्व न्यायालयवार समीक्षा की।
कलेक्टर ने मुख्यमंत्री आवासीय भू-अधिकार योजना की समीक्षा करते हुए कहा कि योजना के प्रथम और द्वितीय फेज में संभाग के अन्य जिलों की तुलना में जिले की प्रगति बहुत कम है। योजना के तृतीय फेज में पात्र हितग्राहियों के आवेदन प्राप्त कर 10 मार्च तक संतुष्टि पूर्ण प्रगति लायें। इस संबंध में सभी एसडीएम और तहसीलदार हल्का पटवारियों से प्रमाण पत्र प्राप्त करें कि उनके हल्के में कोई भी पात्र हितग्राही शेष नहीं रहा है। तहसील का संयुक्त हस्ताक्षरित प्रतिवेदन भी कलेक्टर कार्यालय को उपलब्ध कराएं। उन्होंने कहा कि 10 मार्च तक योजना में संतोषजनक प्रगति नहीं आने पर संबंधित तहसीलदार पर कार्यवाही होगी। योजना के तृतीय फेज में कोटर, रामपुर बघेलान और कोठी तहसील की प्रगति न्यूनतम पाई गई। योजना में कमजोर प्रगति पर सभी तहसीलदारों को नोटिस जारी करने के निर्देश कलेक्टर ने दिए।
एसओआई में जमा नक्शे की समीक्षा करते हुए कलेक्टर ने कहा कि 1191 ड्रोन फ्लाई हो चुके गांव में 973 ग्राउंड डूइंग मैप और 88 नक्शे ही एसओआई द्वारा जमा किए गए हैं। 15 मार्च तक कम से कम 50 प्रतिशत नक्शे जमा हो जाने चाहिए। इसी प्रकार स्वामित्व योजना में आरओआर एंट्री बढ़ाने तथा नक्शा विहीन ग्रामों के मैप आईटी से प्राप्त 117 नक्शों का सत्यापन मार्च माह में पूरा करने के निर्देश दिए।
आरसीएमएस पोर्टल में दर्ज राजस्व प्रकरणों की समीक्षा करते हुए कलेक्टर अनुराग वर्मा ने कहा कि सतना जिले में निराकृत राजस्व प्रकरणों का औसत 78 प्रतिशत से अधिक है। इसे और बेहतर स्थिति में लाएं। उन्होंने कहा कि किसी भी राजस्व न्यायालय में 2 साल से ऊपर का कोई राजस्व प्रकरण लंबित नहीं रहना चाहिए। आरसीएमएस में सतना जिले के कुल 1 लाख 12 हजार 705 राजस्व प्रकरण दर्ज हुए हैं। जिनमें 87 हजार 728 प्रकरणों का निराकरण किया गया है। जिसका औसत 78 प्रतिशत है।
नामांतरण के प्रकरणों की समीक्षा में कलेक्टर ने कहा कि सभी तहसीलदार अपने क्षेत्र में 15 मार्च तक बी-वन का वाचन कराएं और जो भी फौती नामांतरण के प्रकरण निकलकर आयें, उन्हें दर्ज कर निराकृत करें। पोर्टल पर 47 हजार 731 नामांतरण के प्रकरण दर्ज किए गए। जिनमें 35 हजार 868 का निराकरण किया गया है। निराकृत प्रकरणों का औसत 84 प्रतिशत रहा है। इसी प्रकार बटवारा के प्रकरणों की समीक्षा की गई। कलेक्टर ने कहा कि अगली राजस्व अधिकारियों की बैठक तक सभी राजस्व न्यायालयों में बटवारा के 75 प्रतिशत और नामांतरण के 85 प्रतिशत से कम प्रकरण निराकृत नहीं मिलने चाहिए। तहसील रघुराजनगर और मैहर की प्रगति 70 प्रतिशत से कम होने पर कलेक्टर ने दोनों तहसीलदारों को नोटिस जारी करने के निर्देश दिए।
सीमांकन प्रकरणों की समीक्षा में कलेक्टर ने कहा कि अब रबी की फसल कटाई के बाद खेत खाली रहेंगे। अभियान चलाकर सीमांकन के प्रकरणों का निराकरण करें। रघुराजनगर, कोटर और मैहर तहसील में सीमांकन के प्रकरणों में कमजोर प्रगति पर नोटिस जारी करने के निर्देश दिए। कलेक्टर ने कहा कि अगली बैठक तक सीमांकन के मामले में 75 प्रतिशत से अधिक प्रगति होनी चाहिए। मुख्यमंत्री किसान कल्याण योजना की समीक्षा में शेष रहे किसानों का सत्यापन शीघ्र पूरा करने के निर्देश दिए गए। बताया गया कि कुल पंजीकृत 2 लाख 21 हजार 30 किसानों में से 2 लाख 19 हजार 622 किसानों का सत्यापन हो गया है।
राजस्व वसूली की समीक्षा में कलेक्टर ने कहा कि सभी राजस्व अधिकारी अपने लक्ष्य अनुसार वसूली मार्च समाप्ति तक शत-प्रतिशत रूप से पूर्ण कराएं। जिले के कुल राजस्व वसूली के लक्ष्य 15 करोड़ रुपये के विरुद्ध अभी तक 7 करोड़ 83 लाख अर्थात 63 प्रतिशत राजस्व वसूली ही हुई है। जिसमें सबसे कम मझगवां 3.5 प्रतिशत, अमरपाटन 4.8 प्रतिशत, नजूल जांच 0.5 प्रतिशत ही वसूली हुई है। कलेक्टर ने तहसीलवार वसूली के लक्ष्य निर्धारित करते हुए मासांत तक शत-प्रतिशत वसूली सुनिश्चित करने के निर्देश दिए हैं।