मध्य प्रदेश के स्वास्थ्य विभाग की बिगड़ी तबियत, देवास में नहीं मिली एंबुलेंस तो खाट सहित रोगी को बाइक में बांधकर पहुंचे अस्पताल
मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh) के देवास से मानवता शर्मसार कर देने वाला मामला सामने आया है।
देवास (Dewas) वाह रे मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh) का स्वास्थ्य विभाग जहां रोगी के इलाज के साथ ही सुविधा पर सरकार अरबों रुपए खर्च कर रही है। लेकिन स्वास्थ्य विभाग की लचर और भ्रष्ट व्यवस्था का परिणाम है कि एक पिता को अपनी बेटी का इलाज करवाने के लिए बाइक पर खटिया और रोगी को बांधकर अस्पताल ले जाया गया। यह घटना पूरे मध्यप्रदेश (Madhya Pradesh) के स्वास्थ्य अमले को शर्मसार कर देने वाली है। लेकिन संबंधितो पर कठोर कार्यवाही न होने से इस तरह के दृश्य देखने को मिलते ही रहते हैं।
खातेगांव का है मामला
परिजनों से मिली जानकारी के अनुसार उनकी बेटी पैरालाइज्ड है। वह चल नहीं पाती। ऐसे में युवती को कैथेटर बदलवाने के लिए हर माह अस्पताल ले जाना पड़ता है। एंबुलेंस को फोन किया गया लेकिन वह नहीं पहुंची।
बाइक को बनाया एंबुलेंस
बीमार के पिता कैलाश अपनी बाइक को एंबुलेंस बनाते हुए उसमें खाट बांध ली। उसके ऊपर बेटी को लिटा कर उसे भी खाट में बांध दिया। जिससे बेटी गाड़ी चलने पर लुढ़क कर गिर न जाए। बीमार बेटी के पिता अपनी बेटी को ऐसी बाइक की एंबुलेंस में बांधकर अस्पताल लेकर पहुंच गए जहां उसका इलाज करवाया गया।
वीडियो हुआ वायरल
बताया जाता है कि कैलाश अपनी बेटी को इस हालत में लेकर अस्पताल पहुंचे वहां मौजूद कुछ लोगों ने वीडियो बना लिया। वीडियो वायरल होते ही लोगों द्वारा इसे ज्यादा से ज्यादा शेयर किया गया और मामला सीएमएचओ तक पहुंचा।
सफाई देने में जुटे सीएमओ
प्रदेश का स्वास्थ्य अमला किस तरह लापरवाह है इसका जीता जागता उदाहरण बाइक पर बंधे बीमार को देखकर लगाया जा सकता है। खातेगांव की रहने वाली योगिता 19 वर्ष का वीडियो देखने के बाद सीएमएचओ डॉक्टर एमपी शर्मा का कहना है अगर ऐसा मामला है तो वह इसे दिखाएंगे। लड़की पैरालाइज्ड है। एंबुलेंस क्यों नहीं पहुंचा इसका पता लगाया जाएगा। साथ ही यह प्रयास किया जाएगा युवती का उपचार घर पर ही करवाया जाए। वही एंबुलेंस के बारे में जानकारी होने पर कार्यवाही सुनिश्चित की जाएगी।
गड्ढे में गिरने से हुई पैरालाइज्ड
बीमार योगिता 19 वर्ष के पिता कैलाश का कहना है की 18 माह पहले योगिता एक गड्ढे में गिर गई थी। जिसके बाद कमर के नीचे का हिस्सा पैरालाइज्ड हो गया। उसके इलाज में करीबन 3 लाख ब्याज पर लेकर खर्च किया गया। इसके बाद भी कोई सुधार नहीं हो रहा है। हर महीने कैथेटर चेंज करवाने के लिए अस्पताल ले जाना होता है। प्राइवेट एंबुलेंस का उपयोग किया जाए तो 15 सौ रुपए का खर्च आता है।