एमपी के किसानों के लिए बुरी खबर! कर्ज वसूली के लिए कृषि भूमि की कुर्की करने की योजना बना रहें बैंक
एमपी में जल्द ही घरों की तरह कृषि भूमि की कुर्की कर बैंक कर्ज वसूली कर सकते हैं. इसके लिए कानून में बदलाव करने की तैयारी है.
एमपी में जल्द ही सरफेसी एक्ट के समान कृषि भूमि पर लिए गए कर्ज की वसूली के लिए भी कानून (Debt Recovery Law) बनाया जा सकता है। बढ़ते नॉन परफॉर्मिंग एसेट (NPA) से परेशान बैंकों ने इसका प्रस्ताव बनाकर सरकार को दे दिया है। इस कानून के अस्तित्व में आने के बाद किसान को बंधक बनाई गई जमीन को कुर्क कर बैंक कर्ज वसूल सकेंगे।
अभी वित्तीय आस्तियों का प्रतिभूतिकरण और पुनर्गठन और प्रतिभूति हित का प्रवर्तन अधिनियम, 2002 (सरफेसी एक्ट 2002) के तहत बंधक घर की कुर्की के लिए बैंक रेवेन्यू रिकवरी सर्टिफिकेट (RRC) जारी करते हैं। बैंक यह आरआरसी कलेक्टर तहसीलदार को भेजते हैं, जो कुर्की में कानूनी मदद करते हैं।
पिछले दिनों मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की मौजूदगी में हुई बैंकों की बैठक में यह एजेंडा शामिल था। बैंक और राज्य सरकार के बीच इस मसले पर अगले चरण की चर्चा जल्द हो सकती है। बैंक चाहते हैं कि सरकार अपने स्टेट रिकवरी एक्ट में जरूरी संशोधन करे, ताकि वसूली ज्यादा कारगर ढंग से हो सके। बता दें कि मप्र में अब तक 1.64 करोड़ किसानों को 3,79,045 करोड़ रु. का कर्ज दिया जा चुका है। इसमें से 37,409 करोड़ रु. का कृषि कर्ज डूब चुका है यानी एनपीए है हो चुका है।
अभी ARC बैंकों से ऐसे NPA खरीदकर उनकी वसूली करती है
राज्य स्तरीय बैंक समिति के मुताबिक कर्ज वसूली के लिए सरकार ने असेट रिकंस्ट्रक्शन कंपनी (ARC) बनाई है, वो सभी बैंकों के NPA खरीदकर उनकी वसूली करती है। लेकिन कृषि क्षेत्र काफी बिखरा हुआ है। इसमें एक एआरसी से वसूली संभव नहीं। कृषि राज्य सरकार का विषय है। कोई भी कृषि लोन रिकवरी कानून बिना उसकी मर्जी के बन ही नहीं सकता। इसकी जल्द कानून में बदलाव जरूरी है।