MP News: मॉडल स्कूल के छात्र पेड़ के नीचे कर रहे पढ़ाई, जानिए क्यों
मॉडल स्कूल जबलपुर के छात्र इन दिनों पेड़ के नीचे पढ़ाई करने को विवश हैं। परीक्षाएं सिर पर हैं ऐसे में पेड़ के नीचे पढ़ाई कराने से इसका असर उनके परीक्षा परिणाम पर पड़ सकता है।
MP Jabalpur News: मॉडल स्कूल जबलपुर के छात्र इन दिनों पेड़ के नीचे पढ़ाई करने को विवश हैं। दरअसल यहां संभाग स्तरीय विज्ञान प्रदर्शनी का आयोजन किया गया है। जिसमें शामिल होने के लिए कई जिलों से काफी संख्या में यहां छात्र पहुंचे हैं। बच्चों को कहीं और ठहराने की बजाय उन्हें जबलपुर के मॉडल स्कूल में ही ठहरा दिया गया। बच्चों के ठहरने की वजह से छात्रों को कमरे के बाहर ही अपनी पढ़ाई करनी पड़ रही है। शिक्षकों द्वारा बकायदे पेड़ के नीचे टेबिल-कुर्सी लगाकर इनको शिक्षा प्रदान की जा रही है।
बच्चों की पढ़ाई पर पड़ता है असर
यहां गौर करने वाली बात यह है कि छात्रों की परीक्षाओं का समय नजदीक आ गया है। ऐसे में उनकी पढ़ाई पर इसका विपरीत असर पड़ रहा है। अभिभावकों का यहां तक कहना है कि मॉडल स्कूल में अक्सर इस तरह के आयोजन होते ही रहते हैं। जिससे छात्र अपनी पढ़ाई समुचित ढंग से नहीं कर पाते। अभिभावकों की मानें तो मॉडल स्कूल में विभिन्न शासकीय कार्यक्रमों से लेकर चुनाव के कार्य संबंधी तक बैठकों का आयोजन किया जाता है। प्रशासनिक स्तर पर भी कुछ कार्यक्रम मॉडल स्कूल में निर्धारित किए जाते हैं। जिससे हमेशा छात्रों की पढ़ाई में व्यवधान पैदा होता है। वर्तमान में छात्रों की परीक्षाएं भी नजदीक हैं ऐसे में उन्हें बाहर पेड़ के नीचे बैठाकर पढ़ाई करवाने से इसका असर उनकी परीक्षा पर भी पड़ सकता है। अभिभावकों का यहां तक कहना है कि यदि छात्रों को स्कूल के बाहर पेड़ के नीचे बैठाकर पढ़ाई करवानी है तो मॉडल स्कूल का औचित्य ही क्या। हम छात्रों को अच्छी शिक्षा ग्रहण करने के उद्देश्य से उन्हें मॉडल स्कूल भेजते हैं किन्तु यहां की हालत देखते ही बनती है।
शिक्षण व्यवस्था को बनाया मजाक
सूत्रों की मानें तो संभाग स्तरीय विज्ञान प्रदर्शनी में आए छात्रों के रुकने की व्यवस्था अन्य जगह भी की जा सकती थी। किन्तु विद्यालय परिसर में ही इन्हें ठहराने से छात्रों की पढ़ाई में बाधा आती है। जिसका सीधा असर छात्रों की पढ़ाई में भी पड़ता है। मध्यप्रदेश तृतीय वर्ग शासकीय कर्मचारी संघ के योगेन्द्र दुबे ने इस तरह के आयोजन पर अपना विरोध दर्ज करवाया है। उनका कहना है कि अधिकारियों ने शिक्षण व्यवस्था को पूरी तरह से मजाक बनाकर रख दिया है। उन्होंने इस पर कार्रवाई करने की भी मांग संभागीय कमिश्नर एवं संयुक्त संचालक शिक्षा से की है।