एमपी के जबलपुर हाईकोर्ट भवन का होगा विस्तार, बनेंगे 61 नए कोर्ट रूम
लगभग 133 साल पुराने जबलपुर उच्च न्यायालय के भवन का विस्तार किया जाएगा। जिसके तहत परिसर के पुराने भवन के सामने नया भवन तैयार किए जाने की योजना है।
लगभग 133 साल पुराने जबलपुर उच्च न्यायालय के भवन का विस्तार किया जाएगा। जिसके तहत परिसर के पुराने भवन के सामने नया भवन तैयार किए जाने की योजना है। हाईकोर्ट की इमानत में बने कुछ पुराने भवनों को गिराकर उनकी जगह नए कोर्ट रूम बनाए जाएंगे। अंग्रेजों के जमाने के इस हाईकोर्ट में पर्याप्त कोर्ट रूम नहीं होने से वकीलों को बैठने की जगह नहीं मिल पाती। जिसके चलते इसका एक्सटेंशन किया जाएगा।
487 करोड़ से ज्यादा आएगी लागत
हाईकोर्ट के विस्तार की लम्बे समय से जरूरत महसूस की जा रही थी। विधि विधायी विभाग के प्रपोजल पर लोक निर्माण विभाग परियोजना कार्यान्वयन इकाई 1.14 लाख स्क्वेयर मीटर एरिया में हाईकोर्ट का विस्तार करेगी। जिसमें 487 करोड़ से ज्यादा लागत आएगी। जिसके तहत सिविल वर्क्स पर 322.20 करोड़ की लागत जाएगी। जबकि इलेक्ट्रिक वर्क्स पर 165.29 करोड़ रुपए खर्च होंगे। हाईकोर्ट में रूम पर्याप्त नहीं होने के कारण वकीलों को बैठने की जगह नहीं मिल पाती। इतना ही नहीं उन्हें जगह नहीं मिलने से परेशानियों का भी सामना करना पड़ता है।
छोटा पड़ने लगा हाईकोर्ट इसलिए होगा विस्तार
एमपी हाईकोर्ट बार एसोसिएशन के अध्यक्ष संजय वर्मा की मानें तो जबलपुर उच्च न्यायालय में तकरीबन 6 हजार वकील हैं। उन्होंने बताया कि हाईकोर्ट जज के 25 पदों में से 10 खाली हैं जबकि यहां 25 कोर्ट रूम हैं। भवन वकीलों के हिसाब से छोटा पड़ने लगा था। यहां 500 वकीलों के चैंबर बनाए जाने चाहिए। जिससे यदि एक चैंबर में दो वकील भी जगह लेते हैं तो एक हजार वकीलों को बैठने की सुविधा मिल जाएगी। जिसका प्रस्ताव भी उनके द्वारा दिया गया है। उच्च न्यायालय विस्तार के तहत यहां 61 कोर्ट रूम बनाए जाएंगे। इसके अलावा बार एसोसिएशन की ओर से 500 वकीलों के चैंबर और 5 हजार एडवोकेट के अलग से बैठने का भी प्रस्ताव है। विस्तार के दौरान यहां समुचित पार्किंग व्यवस्था पर भी ध्यान रखा जाएगा।
इनका कहना है
इस संबंध में पीआईयू के प्रोजेक्ट डायरेक्टर जीपी मेहरा का कहना है कि जबलपुर हाईकोर्ट भवन एक्सटेंशन पर कुल 487.49 करोड़ रुपए की लागत आएगी। सिविल वर्क्स पर 322.20 करोड़ खर्च होंगे जबकि इलेक्ट्रिक वर्क्स पर 165.29 करोड़ की लागत आएगी। सरकार से स्वीकृति मिलते ही निविदा जारी करने की प्रक्रिया प्रारंभ कर दी जाएगी।