एमपी के जबलपुर कलेक्टर ने स्टाफ को पढ़ाया समय की पाबंदी का पाठ, अपनाई यह ट्रिक
सरकारी कार्यालयों में अक्सर मनमानी राज देखा जाता है। यहां पदस्थ अधिकारी, कर्मचारी कभी कभार ही सही समय पर दफ्तर पहुंचते हैं। जिसके चलते कार्यालयों में अपने काम को लेकर पहुंचने वाले इधर-उधर भटकते रहते हैं।
सरकारी कार्यालयों में अक्सर मनमानी राज देखा जाता है। यहां पदस्थ अधिकारी, कर्मचारी कभी कभार ही सही समय पर दफ्तर पहुंचते हैं। जिसके चलते कार्यालयों में अपने काम को लेकर पहुंचने वाले इधर-उधर भटकते रहते हैं। किन्तु अधिकारियों, कर्मचारियों के गायब रहने से उनका काम नहीं हो पाता। इन्हीं मनमानियों पर अंकुश लगाने के लिए जबलपुर कलेक्टर ने एक ट्रिक अपनाई जिसके माध्यम से स्टाफ को समय की पाबंदी का पाठ पढ़ाया।
कलेक्टर ने यह जारी किया फरमान
कलेक्टर द्वारा मंगलवार को दोपहर में यह फरमान जारी किया गया कि अगली सुबह सभी कर्मचारी, अधिकारी कलेक्ट्रेक्ट सभागार में जमा हों। जिसके बाद यहां तैनात कर्मचारियों में यह सुगबुगाहट प्रारंभ हो गई कि कलेक्टर साहब कुछ गहन चर्चा करने वाले हैं। बुधवार को कलेक्टर कार्यालय में सुबह से ही कर्मचारी, अधिकारी जमा होना शुरू हो गए। कलेक्ट्रेट सभागार में लगभग सभी विभाग प्रमुख और उनका अधीनस्थ स्टाफ पौने दस बजे के पहले ही पहुंच गया था। किन्तु लगभग जब 10 बजकर 20 मिनट हो गए तब भी कलेक्टर नहीं आए। इसके बाद स्टाफ अपने-अपने कार्यालय में जाएं और काम पर लग जाएं कलेक्टर साहब का यह मैसेज पहुंच गया। जिसके बाद सभी अधिकारी, कर्मचारी अपने-अपने काम पर लग गए।
कुछ के चेहरों पर नजर आई झुंझलाहट
स्टाफ के समय पर नहीं आने और बीच-बीच में अक्सर काम छोड़कर जाने की शिकायत मिलने के बाद कलेक्टर द्वारा यह कदम उठाया गया। कर्मचारियों को समय की पाबंदी का पाठ पढ़ाने की मंशा से कलेक्टर ने फरमान जारी किया। जिस पर अधीनस्थ अधिकारी और कर्मचारी समय पर कलेक्ट्रेट सभाकक्ष में पहुंच गए। इस दौरान अधिकांश कर्मचारियों द्वारा बाहर ही खड़े होकर साहब का इंतजार किया जा रहा था। कलेक्टर साहब द्वारा काम पर लगने और शाम 5 बजे के बाद मुलाकात करने का मैसेज जारी किया गया। इस संदेश के बाद उनको तो कोई फर्क नहीं पड़ा जो प्रतिदिन समय से कार्यालय पहुंचते थे। किन्तु उन लोगों के चेहरे पर झुंझलाहट साफ नजर आ रही थी जो कभी-कभार ही समय पर ऑफिस पहुंचते थे और अक्सर किसी न किसी कार्य के बहाने दफ्तर से गायब भी हो जाते थे। जिससे यहां अपने काम करवाने के लिए पहुंचने लोगों को कई तरह की परेशानियों का सामना करना पड़ता था।