एमपी जबलपुर स्थित आदिवासी बाहुल्य गांव का सरकारी अस्पताल, प्राइवेट अस्पतालों को छोड़ रहा पीछे
जबलपुर के आदिवासी बाहुल्य गांव में स्थित सरकारी अस्पताल किसी प्राइवेट अस्पताल से कम नहीं है। स्वास्थ्य सुविधाएं उपलब्ध कराने के मामले में यह प्राइवेट अस्पतालों को भी मात दे रहा है।
जबलपुर के आदिवासी बाहुल्य गांव में स्थित सरकारी अस्पताल किसी प्राइवेट अस्पताल से कम नहीं है। स्वास्थ्य सुविधाएं उपलब्ध कराने के मामले में यह प्राइवेट अस्पतालों को भी मात दे रहा है। चरगवां के सरकारी अस्पताल की जब से तस्वीर बदली है तब से ग्रामीण शहर न जाकर चरगवां आरोग्यम केन्द्र में ही मुफ्त में इलाज करवाना ज्यादा पसंद कर रहे हैं।
आधा सैकड़ा गांवों से पहुंचते हैं मरीज
जबलपुर से 40 किलोमीटर दूर चरगवां गांव स्थित आरोग्यम केन्द्र में करीब आधा सैकड़ा गांवों को शामिल किया गया है। जहां के ग्रामीण अपना इलाज कराने यहां पहुंचते हैं। यहां मरीज के हर रोग का इलाज सरकार से मिली वाली योजनाओं के तहत निःशुल्क किया जाता है। प्रदेश सरकार द्वारा कायाकल्प अभियान के तहत सभी आरोग्यम केन्द्र और स्वास्थ्य केन्द्रों को साफ और स्वच्छ बनाया जा रहा है। जिला प्रशासन की भी यह मंशा है कि सभी स्वास्थ्य केन्द्रों की तस्वीर बदले जिससे मरीजों को इधर-उधर भटकना न पड़े। उन्हें बेहतर स्वास्थ्य सुविधाएं एक ही छत के नीचे मुहैया हो सकें।
दीवारों पर टिक जाती हैं देखने वालों की नजरें
जबलपुर के चरगवां स्वास्थ्य केन्द्र को आकर्षक ढंग से संवारा भी गया है। देखने वालों की नजरें इनकी दीवारों पर टिक जाती हैं। कभी बदहाल सा दिखने वाला यह उप स्वास्थ्य केन्द्र अब किसी नर्सरी या प्ले स्कूल से कम आकर्षक नजर नहीं आता। यहां इलाज की सारी व्यवस्थाओं के साथ-साथ बाहरी दीवारों पर आकर्षक पुताई के साथ पेंटिंग व चित्रकारी भी है। जिसमें लोगों को स्वस्थ और तंदुरुस्त रखने के लिए स्लोगन भी दीवारों पर उकेरे गए हैं। पहले जहां यह बदहाली के दौर से गुजर रहा था वहीं अब कायाकल्प के बाद यहां की स्वास्थ्य सुविधाएं प्राइवेट अस्पतालों को मात देती नजर आती हैं।
इनकी मिल रही सेवाएं
चरगवां स्वास्थ्य केन्द्र में एक एमबीबीएस डॉक्टर, 3 स्टाफ नर्स, 3 फोर्थ क्लास वर्कर, 1 रेडियोग्राफर, 1 फार्मासिस्ट, 1 लैब टेक्नीशियन, 1 अकाउंटेंट, 1 नेत्र सहायक की पदस्थापना की गई है। जिनके द्वारा बेहतर स्वास्थ्य सुविधाएं मरीजों को दी जा रही हैं। इस स्वास्थ्य केन्द्र में लगभग 50 गांवों के लोग पहुंचते हैं और उन्हें निःशुल्क स्वास्थ्य सेवाएं मुहैया कराई जाती हैं। ग्रामीणों की मानें तो यहां मिलने वाले बेहतर उपचार किसी प्राइवेट अस्पताल से कम नहीं है।