तीन माह का बच्चा पहुंचा दिल्ली हाईकोर्ट, फिर जो हुआ वो आपको जानना चाहिए
न्यायालय (High Court) ने मामले की संवेदनशीलता को देखते हुए एमिकस क्यूरी न्याय-मित्र (Nyay- Mitra) नियुक्त किया है।
नई दिल्ली: तीन माह के एक बालक ने अपने अधिकारों की रक्षा के लिए हाई कोर्ट (High Court) की शरण ली है। न्यायालय ने भी मामले की संवेदनशीलता को देखते हुए एमिकस क्यूरी न्याय-मित्र (Nyay- Mitra) नियुक्त किया है। अब इस मामले की सुनवाई 17 मई को होगी। गौरतलब है कि एक तीन माह के बालक द्वारा अपने अधिकारों के लिए वकील के माध्यम से न्यायालय में जाने का यह बहुत ही रेयर मामला है। अब इस मामले में क्या होगा इसका पता आगे होने वाली सुनवाई के बाद ही चल पाएगा।
क्या है मामला
बताया गया है कि उत्तरी दिल्ली नगर निगम एनडीएमसी (NDMC) से मां को मातृत्व अवकाश न मिलने के कारण तीन माह के बालक त्रिग्यांश जैन (Trigyansh Jain) को हाई कोई दिल्ली (High Court Delhi) का रूख करना पड़ा। जस्टिस जनमी वजीरी, जस्टिस स्वर्ण कांता शर्मा की बेंच से बालक के वकील ने अपील की है कि मां को उसके जन्म के समसय निगम ने मातृत्व अवकाश देने से मना कर दिया था। इससे याचिकाकर्ता त्रिग्यांश को मां की देखभाल से वंचित होना पड़ रहा है। वह जीवित रहने के लिए मां पर निर्भर है। याचिकाकर्ता ने वकील के माध्यम से न्याय की मांग की है।
याचिकाकर्ता ने कहा मेरी कोई गलती नहीं
केंद्रीय सिविल सेवा अवकाश नियम 1972 के तहत मातृत्व अवकाश केवल तभी प्रदान किया जा सकता है, जब कर्मचारी के दो से कम बच्चे हों। याचिकाकर्ता त्रिग्यांश जैन ने वकील के माध्यम से कहा कि तीसरी संतान होने में उसकी कोई गलती नहीं है। मेरे अधिकारों का उल्लंघन नहीं किया जाना चाहिए।
नोटिस का नहीं दिया जवाब
हाईकोर्ट की पीठ ने कहा कि मामले में कुछ प्रतिवादियों ने नोटिस तामील करने के बावजूद जवाब दाखिल नहीं किया है। अदालत आदेश देती है कि वे 25 हजार रूपए उप वन संरक्षक दक्षिण के पास जमा कराएं।