ज्ञानवापी में हिंदू-मुस्लिम के बीच में बौद्ध पक्ष क्या करने घुस आया?
ज्ञानवापी को लेकर मुस्लिम-हिन्दू के बीच का विवाद कम था कि अब बौद्ध पक्ष जबरन घुस आया
Buddhist side Gyanvapi: ज्ञानवापी को लेकर 350 सालों से हिंदू-मुस्लिम के बीच विवाद है. इतिहासकारों के अनुसार ज्ञानवापी मंदिर है और मुसलमानों के हिसाब से ज्ञानवापी मस्जिद है. लेकिन पूरी दुनिया जानती है कि ज्ञानवापी क्या था और क्या होना चाहिए। अब हिंदू-मुस्लिम की इस भसड़ में बुद्ध पक्ष बीच में घुस रहा है. बौद्ध पक्ष का कहना है कि ना तो ज्ञानवापी मंदिर है ना मस्जिद ये बौद्ध मठ है.
ज्ञानवापी में बौद्ध पक्ष का क्या कहना है
गुरुवार को इलाहबाद हाईकोर्ट ने ज्ञानवापी का ASI सर्वे करने का आदेश दिया, जिसके बाद इसके खिलाफ मुस्लिम पक्ष सुप्रीम कोर्ट पहुंच गया. सुप्रीम कोर्ट में जब सुनवाई होगी तो होगी लेकिन इस बीच बौद्ध पक्ष ने ज्ञानवापी में अपना दावा ठोंक दिया।
बौद्ध समाज का कहना है कि ज्ञानवापी उनका है, देश में ऐसे कई मंदिर हैं जिन्हे बौद्ध मठ तोड़कर बनाया गया है. हालांकि बौद्ध पक्ष के दावे में न तो कोई तथ्य है ना सच्चाई। ये सिर्फ राजनीति का खेल है.
इतिहास के किसी भी पेज में ज्ञानवापी और बौद्ध का कोई संबंध नहीं है. बौद्ध पक्ष के तरफ से दावा करने वाले गुरु सुमित रतन भंते की याचिका हवा हवाई है और हो सकता है कि इस विवाद में बीच में कूदने पर सुप्रीम कोर्ट उन्हें तगड़ी फटकार लगा दे.
ज्ञानवापी का ASI सर्वे होगा
ज्ञानवापी का विवाद हिन्दू और मुसलमानों के बीच है, और अबतक इन्ही दो पक्षों को लेकर सुनवाई होती आई है. इलाहबाद हाईकोर्ट ने ज्ञानवापी का ASI सर्वे करने के निर्देश दिए हैं और हो सकता है कि 4 अगस्त से सर्वे शुरू हो जाए. इस सर्वे के बाद सब दुध का दूध और पानी का पानी हो जाएगा।