शिवभक्तों की आस्था का द्वार : नागद्वार-नागबाबा के दर्शनों से मनवांछित फलों की प्राप्ति होती है।

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Update: 2021-02-16 05:58 GMT

छिन्दवाड़ा/जुन्नारदेव। महादेव शंकर के प्रति असीम भक्ति और श्रद्धा भाव के दर्शन महादेव और नागद्वारी यात्रा के दौरान होते हैं। शिवरात्री पर महादेव यात्रा के दौरान शिवभक्त जहां चौरागढ़ की कठिन चढ़ाई कर भोलेनाथ के दर्शन करते हैं। वहीं नागपंचमी में नागद्वारी यात्रा के दौरान धूपगढ़ के कठिन उतार को उतरकर शिवभक्त नागबाबा की प्रसिद्ध गुफा तक पहुंचते है और नाग बाबा के दर्शन करते हैं।

धूपगढ़ से जलगढ़ी, भजियागिरी का कठिन मार्ग तय कर शिवभक्त लगभग 16 किमी की यात्रा कर काजरी गांव पहुंचते हैं। ऐसी मान्यता है कि इस गांव की एक महिला ने संतान नही होने पर नागबाबा से मन्नत मांगी थी कि यदि उसे पुत्र की प्राप्ति हुई तो वह नागबाबा को काजल लगाएंगी। जिसके बाद महिला को पुत्र रत्न की प्राप्ति हुई। इसके बाद वह महिला अपनी मन्नत पूरी करने गुफा मंदिर पहुंची। तब नागबाबा ने छोटे रूप में महिला को दर्शन दिए तब महिला ने कहा कि इतने छोटे रूप में वह काजल नहीं लगा सकेगी। जिसके बाद नागबाबा ने विशाल रूप में उसे दर्शन दिए, तब उसने नाग देवता को काजल तो लगाया, लेकिन वह उनके विकराल रूप को देखकर अपनी सुध बुध खो बैठी, तब से ही इस गांव का नाम काजरी पड़ा। काजरी ग्राम से एक किलोमीटर दूरी पर नागद्वार की प्रसिद्ध गुफा स्थित है। जहां नागदेवता का मंदिर स्थित है।

श्रद्धालु 16 किमी की कठिन यात्रा कर नागद्वार मंदिर पहुंचते हैं और नागदेवता के दर्शन करते हैं। नागदेवता के दर्शन करने मात्र से यात्रा की थकान दूर हो जाती है और मनवांछित फलों की प्राप्ति होती है। यहीं कारण है कि प्रतिवर्ष लाखों की संख्या में श्रद्धालु यहां पहुंचते हैं। इस यात्रा के दौरान शिवभक्त तमाम बाधाओं को पार कर नागद्वार पहुंचते है। इसलिए नागद्वार को आस्था का द्वार कहा जाता है।

बारिश देती है राहत नागद्वारी यात्रा के दौरान बारिश का खासा महत्व है। यात्रा के दौरान पहाड़ों पर चढ़ाई करते और उतार उतरते समय शरीर का तापमान बढ़ जाता है। जिसे नियंत्रित करने का कार्य बारिश का पानी करता है। यही कारण है यात्रा के दौरान बारिश होने पर शिवभक्त राहत महसूस करते हैं।

आकर्षण का केंद्र है प्राकृतिक सौंदर्य नागद्वारी द्वार के आसपास का प्राकृतिक सौंदर्य श्रद्धालुओं के आकर्षण का प्रमुख केन्द्र है। सर्पीले आकार की पहाड़ियां, स्वर्ग द्वार, चिंतामन की गुफा, वेनगंगा का पानी, आम की अमराई सहित 10 से भी अधिक दर्शनीय स्थल यहां स्थित है। जिसका प्राकृतिक सौंदर्य सभी को आकर्षित करता है।

सुविधाओं के नाम पर खानापूर्ति राजपत्र में नागद्वारी यात्रा शामिल नहीं है। जिसके कारण इस यात्रा के दौरान प्रशासन महज खाना पूर्ति करता है। यात्रा में जगह - जगह गंदगी का आलम रहता है। स्वास्थ्य शिविर और पानी की व्यवस्था काजरी ग्राम में ही होती है, अन्य स्थानों पर किसी प्रकार के इंतजाम नहीं किए जाते, जिसके कारण शिवभक्तों को परेशान होना पड़ता है। महाराष्ट्र के नागपुर की समिति इस पूरे मेले का संचालन करती है। श्रद्धालुओं ने इस मेले को भी महादेव मेले की तर्ज पर राजपत्र में शामिल किए जाने की मांग की है।

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