मानव कंकालों से बना है चर्च , हर कोई देखना चाहता है यहां का खौफनाक मंजर
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मानव कंकाल-यानि की इंसानी हड्डियों का ढ़ाचा, जिसका नाम आते ही लोग खौफ खाने लगते है, दिल दहलने लगता है। लेकिन आपको जानकर हैरानी होगी जहां विश्व में ज्यादातर मंदिर, मस्जिद और चर्च पत्थर के बने होते हैं, वहीं ऐसे भी चर्च है जो मानव कंकालों से बने हुए है। जी हां, विश्व में ऐसे एक-दो नहीं बल्कि कई ऐसे चर्च हैं, जिनको बनाने के लिए हज़ारों लोगों की हड्डियों और कंकालों का उपयोग किया गया है। ऐसे चर्च के लिए इंसानी कंकालों को सहेज कर रखना होता है। कंकालों को सहेजने के लिए सबसे पहले शवों की अस्थाई रूप से कब्र बनाई जाती है। फिर कुछ साल बीतने के बाद उन शवों से हड्डियां को निकाल कर चर्च के ऑस्युअरी में संरक्षित किया जाता हैं।
ऐसा ही इंसानी हड्डियों से बना एक चर्च चेक गणराज्य में स्थित है। इस चर्च के सेडलेक ऑस्युअरी में करीब 40 हजार लोगों की हड्डियों को बेहद आर्टिस्टिक तरीके से सजाया गया है।
चेक गणराज्य में इंसानी हड्डियों से चर्च बनाने की कहानी शुरू हुई 13वीं शताब्दी में, जब यहां के एक संत हेनरी को ईसाईयों की पवित्र भूमि फिलिस्तीन भेजा गया था। कहा जाता है कि 1278 में जब हेनरी वहां से वापस आए तो अपने साथ उस जगह की मिट्टी से भरा हुआ एक जार भी ले आए, ये पवित्र मिट्टी उसी जगह की है, जहां प्रभु यीशु को सूली पे चढ़ाया गया था। उन्होंने वहां से लाई गई मिट्टी को एक कब्रिस्तान के ऊपर डाल दिया। उसके बाद वो जगह लोगो को दफ़नाने की पसंदीदा जगह बन गई। 14वीं और 15वीं शताब्दी में यहां प्लेग और युद्धों के कारण बहुत अधिक लोग मारे गए। भारी तादात में मारे लोगों को दफ़नाने के कारण कब्रिस्तान में बिल्कुल भी जगह नहीं बची। तब यहां के लोगों के मन में एक ऑस्युअरी (जहां हड्डियां को सुरक्षित रखा जाता है) बनाने का ख्याल आया। जिसके बाद इस काम को वहां के संत और पादरी को सौंप दिया गया, जो कब्रों में से हड्डियों को निकाल कर ऑस्युअरी में रख देते थे। 1870 में उसी जगह पर इकट्ठा हुई तकरीबन 40 हजार लोगों की हड्डियो से एक कलात्मक चर्च का निर्माण किया गया।
देखते ही देखते यह चर्च अपनी खूबसूरती के लिए चेक गणराज्य ही नहीं बल्कि पूरी दुनिया में प्रसिद्ध हो गया। जिसे बाद में लोग हड्डियों के चर्च के नाम से ही जानने लगे। अब हर साल पूरी दुनिया से लगभग 2.5 लाख से ज्यादा लोग इस चर्च को देखने के लिए चेक गणराज्य पहुंचते हैं।