जब खजुराहों मंतगेश्वर महादेव का शिवलिंग धरती में समा जाएगा तब दुनिया नष्ट हो जाएगी, इसके रहस्य के आगे साइंस फेल है

मंतगेश्वर महादेव के शिवलिंग का आकर बढ़ता रहता है, इसे दुनिया का एकलौता जीवित शिवलिंग कहा जाता है।;

Update: 2021-11-06 09:17 GMT
जब खजुराहों मंतगेश्वर महादेव का शिवलिंग धरती में समा जाएगा तब दुनिया नष्ट हो जाएगी, इसके रहस्य के आगे साइंस फेल है
  • whatsapp icon

देवों के देव महादेव शिव शंभु भगवान शिव, जिनकी ना कोई शुरुआत है और ना ही कोई अंत वो ही आरंभ हैं और अंत हैं. अनंत ब्रम्हांड के कण-कण में शिव व्याप्त हैं। स्वयंभू की महिमा उनके आकर  की तरह असीमित है और उनकी कृपा शिव के स्वरुप जैसी सुंदर है। भारत सहित दुनिया के कई देशों में महाकाल की पूजा होती है और जगह जगह चमत्कार देखने को मिलते हैं। लेकिन मध्यप्रदेश के खजुराहों में भगवान स्वयं अपने होने का आभास कराते हैं, आज हम आपको महादेव के उस पवित्र मंदिर के बारे में बताने जा रहे हैं जिसे दुनिया का एकलौता जीवित शिवलिंग कहा जाता है, और ऐसा माना जाता है कि जिस दिन वह शिवलिंग धरती में समा जाएगा उस दिन इस सृष्टि का विनाश हो जाएगा। 


आज तक बड़े-बड़े वैज्ञानिक और उनका साइंस लॉजिक ये पता नहीं कर पाया की आखिर खजुराहों के मंतगेश्वर महादेव मंदिर के शिवलिंग का आकर बढ़ता कैसे रहता है। ऐसा कहा जाता है कि यह शिवलिंग जीवित है और जितना ही आकर इसका धरती के ऊपर है उतना ही भूमि के निचे भी बढ़ता रहता है। यहाँ साइंस का लॉजिक काम नहीं आता सिर्फ भक्ति, श्रद्धा, और भोलेनाथ के प्रति विश्वास से ही उनकी महिमा को समझा जा सकता है। 

इस अध्भुत शिवलिंग का रहस्य क्या है 


मध्यप्रदेश के खजुराहों में भगवान शिव का एक प्राचीन मंदिर है जिसे मंतगेश्वर महादेव के नाम से जाना जाता है। कहते हैं की यहाँ मौजूद शिवलिंग का आकर लगातार बढ़ता जा रहा है। इसी लिए इसे जीवित शिवलंग कहते हैं, जिसका आकार 9 फ़ीट ऊँचा है। ऐसा प्रतीत हुआ है कि शिवलिंग की लम्बाई साल दर साल एक इंच बढ़ जाती है। जितनी इस शिवलिंग की उचाई है उतनी गहराई भी है। ऐसा कहा जाता है कि जिस दिन यह शिवलिंग पाताल लोक तक समा गया उस दिन इस सृष्टि का अंत हो जाएगा। 

शिवलिंग एक चमत्कारी मणी की रक्षा करता है 


पुराणों में बताया गया है कि भगवान शिव ने पांडु पुत्र युधिष्ठिर को उनकी तपस्या से प्रसन्न होकर एक चमत्कारी मणी दी थी। जिसके बाद वह मणी युधिष्ठिर से मतंग ऋषि के पास पहुंच गई, मतंग ऋषि ने उस चमत्कारी मणी को राजा हर्षवर्धन को सौंप दी जिसे राजा ने धरती में गाड़ दिया। जमीन में गाड़ने के बाद उस मणी की कोई देख रेख करने वाला नहीं था। इसी लिए वहां उसी स्थान पर शिवलिंग की उत्पत्ति हो गई। और शिवलिंग को मतंगेश्वर शिवलिंग कहा जाने लगा। 

आज भी जीवित शिवलिंग के दर्शन करने के लिए भक्तों का तांता लगा रहता है। यहां जो भी भक्त सच्ची श्रद्धा के साथ भोलेनाथ से प्रार्थना करता है उसकी कामना पूरी होती है। 

Tags:    

Similar News