India's first Green Village: भारत का पहला ग्रीन विलेज 'खोनोमा' जहां कभी पेड़ नहीं काटा जाता

India's first Green Village: जितना खूबसूरत यह गांव है उतनी ही खूबसूरत वहां के लोगों की सोच भी है

Update: 2022-02-16 12:16 GMT

India's first Green Village: भारत गावों का देश है, इंडिया की 65% आबादी आज भी ग्रामीण इलाकों में रहती है, कह लीजिये कि गांव का वजूद है तो हिंदुस्तान का अस्तित्व है। देश के नागालैंड का गांव खोनोमा (Khonama Village, Nagaland) देश का आदर्श गांव बन गया है। क्योंकि यह गांव देश का पहला ग्रीन विलेज बन गया है। 


कैसे बना ग्रीन विलेज 



बात ब्रिटिश शासनकाल की है। फिरंगियों के खिलाफ स्वतंत्रता संग्राम में खोनोमा गांव के लोगों ने मुख्य भूमिका निभाई थी. इस गांव में अंगामी नाम के आदिवासी रहते हैं, ब्रिटिशकाल में गांव के लोगों ने देश की रक्षा की और अब वह जंगल की रक्षा करते हैं। नागालैंड के शहर कोहिमा से करीब 20 किलोमीटर दूर यह गांव बसा है, जब आप इस गाँव के अंदर प्रवेश करेंगे तो आपको इंसानों से ज़्यादा पेड़-पौधे और हरियाली दिखाई देगी। 

इस गांव में सिर्फ 424 परिवार रहते हैं और यहां की कुल आबादी सिर्फ 1943 है, गांव के लोग पर्यावरण की रक्षा करने के अलावा अपनी बहादुरी और मार्शलआर्स्ट्स के लिए जाने जाते हैं। 

700 साल पुराने इस गांव में पहले खूब शिकार होता था, साल 1998 में खोनोमा के लोगों ने खुद जंगल में शिकार ना करने और ना करने देने की कसम खा ली थी. जब से अबतक यहां के जंगल में किसी वन्यप्राणी का शिकार नहीं किया गया. 

एक पेड़ भी नहीं काटा जाता 


खोनोमा गांव के लोग प्रकृति प्रेमी हैं, और उन्हें जंगलों से बड़ा लगाव है। गांव के लोगों ने जंगल के संरक्षण के लिए खुद कई नियम बनाए हैं और उनमे से सबसे बड़ा और ज़रूरी नियम है एक भी पेड़ को कटने ना देना। अगर किसी को घर बनाने या फर्नीचर बनाने के लिए लकड़ी की जरूरत होती है तो पूरा पेड़ नहीं सिर्फ उनकी टहनियां तोड़ी जाती हैं. 

गांव के लोगों का वन और वन्यप्राणी के प्रति लगाव और पर्यावरण संरक्षण के प्रति झुकाव ने नागालैंड के खोनोमा गांव को देश का पहला ग्रीन विलेज बनाया है। आज इस गांव में टूरिस्ट पहुंचने लगे हैं, जंगलों की खूबसूरती और अपनी संस्कृति को संरक्षित रखने वाले लोगों को रोजगार मिल रहा है। 


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