Buddha Purnima 2023: आखिर क्यों महत्वपूर्ण है बुद्ध पूर्णिमा? जानें पूजा का महत्व और स्नान दान का फल

Buddha Purnima 2023: वैशाख के महीने मे पडने वाले शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा को बुद्धपूर्णिमा या पीपल पूर्णिमा भी कहा जाता है। 5 मई 2023 को बुद्ध पूर्णिमा है। इस दिन पूजा, स्नान, दान तथा तीर्थ दर्शन का बहुत बड़ा महत्वपूर्ण महत्त्व बताया गया है।

Update: 2023-05-05 01:55 GMT

वैशाख के महीने मे पडने वाले शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा को बुद्धपूर्णिमा या पीपल पूर्णिमा भी कहा जाता है। 5 मई 2023 को बुद्ध पूर्णिमा है। इस दिन पूजा, स्नान, दान तथा तीर्थ दर्शन का बहुत बड़ा महत्वपूर्ण महत्त्व बताया गया है। पूर्णिमा व्रत के संबंध में बताया गया है कि यह जगत के पालनहार श्री हरि विष्णु को समर्पित है। इस दिन भगवान बुध की जयंती होने से भगवान बुद्ध निर्वाण दिवस धूमधाम से मनाया जाता है।

भगवान विष्णु की होती है विशेष पूजा

बुद्ध पूर्णिमा के दिन बताया गया है कि भगवान विष्णु की पूजा करने से विशेष फल की प्राप्ति होती है। अगर पवित्र नदियों में स्नान किया जाए तो कहते हैं कई जन्मों के पाप से छुटकारा मिल जाता है। बुद्ध पूर्णिमा को पीपल पूर्णिमा भी कहा जाता है। इस दिन भगवान बुद्ध की जयंती भी मनाई जाती है। बोधगया में दुनिया भर के बौद्ध बौद्ध धर्म के अनुयाई एकत्र होते। बौद्ध वृक्ष की पूजा की जाती है।

महत्वपूर्ण है वैशाख पूर्णिमा

स्कंद पुराण में बुध पुर्णिमा को बहुत महत्वपूर्ण बताया गया है। वैसे तो वैशाख के महीने को सबसे अधिक महत्व दिया जाता है। कहा गया है कि ब्रह्मा जी ने वैशाख मास को उत्तम मास कहा है। वैशाख मास भगवान विष्णु को भी बहुत पवित्र है। शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी से लेकर पूर्णिमा तक की तिथियां विशेष महत्व रखती हैं। इसीलिए इन्हें पुष्करिणी कहा गया है।

वैशाख मास की एकादशी तिथि को कहते हैं कि अमृत प्रकट हुआ था। द्वादशी के दिन भगवान विष्णु उसकी रक्षा की तथा त्रयोदशी को देवताओं सुधापान कराया। तथा चतुर्दशी के दिन देव विरोधी तत्वों का संघार कर दिया था। वैशाख पूर्णिमा के दिन ही देवताओं को अपना साम्राज्य प्राप्त हुआ था।

धर्मराज करते हैं कृपा

कहा गया है कि वैशाख माह की पूर्णिमा के दिन मृत्यु के देवता धर्मराज या जिन्हें यमराज भी कहा जाता है उनका व्रत रखने का विधान बताया गया है। कहते हैं कि इस दिन जल से भरा कलश, छाता, जूता, पंखा, सत्तू पकवान तथा दक्षिणा देकर ब्राह्मण को संतुष्ट करना चाहिए ऐसा करने से गोदान के समान फल प्राप्त होता है और धर्मराज प्रसन्न होते हैं। ऐसा करने से व्यक्ति को अकाल मृत्यु का भय नहीं रहता।

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