Devtalab Temple: रीवा जिले में है अलौकिक शिवलिंग, बदलते हैं अपना रंग, एक रात में बन कर तैयार हुआ था मंदिर

Devtalab Shivtemple: रीवा जिले के शिव नगरी देवतालाब में मौजूद अलौकिक शिवलिंग

Update: 2022-07-18 11:58 GMT

Rewa Devtalab Shiv Temple: जिला मुख्यालय से तकरीबन 55 किलोमीटर दूर शिवनगरी जो कि देवतालाब के नाम से जानी जाती है। बताते है कि यहां भगवान शिव की अलौकिक शिवलिंग की उत्पत्ति हुई थी। यह शिवलिंग प्रतिदिन कई बार रंग बदलती है।

एक रात में बना था मंदिर

Devtalab Mandir Kaise bana tha? देवतालाब के शिव मंदिर (Devtalab Shiv Temple) निर्माण को लेकर बताया जाता है कि यह मंदिर स्वयं भगवान विश्वकर्मा ने शिव के आदेश पर एक ही रात में बनाया था। मंदिर निर्माण होता हुआ किसी ने नहीं देखा और सुबह उक्त स्थान पर भव्य मंदिर तथा अलौकिक कई शिवलिंग थी। खास बात यह है कि इस मंदिर में आज भी एक पत्थर रखा हुआ है। कहते है कि मंदिर का आखिरी पत्थर रखा जाना था। इसी बीच सुबह की छठा बिखरने लगी और यह पत्थर यू ही रखा रह गया।

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इस तरह की मान्यताएं है प्रचलित

Devtalab Temple History and Stories: जानकारों के अनुसार भगवान शिव के परम भक्त महर्षि मार्कण्डेय सनातन और शिव भक्ति के प्रचार प्रसार के लिऐ भ्रमण किया करते थे। इसी भ्रमण के दौरान महर्षि मार्कण्डेय का विंध्य की धरा में रीवा आगमन हुआ और वह देवतालाब (Devtalab) में विश्राम के लिए ठहरे। देवतालाब में विश्राम के दौरान ही महर्षि के मन में भगवान शिव दर्शन की अभिलाषा जाग उठी। महर्षि शिव की साधना में लीन हो गए।

महर्षि की साधना को देखते हुऐ भगवान शिव के आदेश पर विश्वकर्मा जी ने उक्त स्थान पर एक विशालकाय पत्थर से रातों रात शिव मंदिर का निर्माण कर दिये। शिव साधना में लीन महर्षि मार्कण्डेय को मंदिर के निर्माण का कतई आभास नहीं हुआ और मंदिर बन जाने के बाद भगवान शिव की मानस प्रेरणा से महर्षि ने अपना तप समाप्त किया, तभी से यह मंदिर शिव भक्तो के लिए पूज्य है।

तब पूरी होती है चार धाम की यात्रा

मान्यता है कि चार धाम की यात्रा तभी सफल मानी जाती है जब गंगोत्री का जल रामेश्वरम शिवलिंग के साथ देवतालाब स्थित महादेव की शिवलिंग पर भी अर्पित किया जाए। इस कारण से तीर्थो की यात्रा पूर्ण करने के बाद लोग गंगोत्री का जल लेकर शिव मंदिर देवतालाब आते है और तीर्थ यात्रा को सफल बनाने के लिऐ शिवलिंग पर जल चढ़ाते है। इस शिवलिंग के अलावा रीवा रियासत के महाराजा ने यहीं पर चार अन्य मंदिरों का निर्माण कराया है। ऐसा माना जाता है कि देवतालाब के दर्शन से ही चारोधाम की यात्रा पूरी होती है।

देव स्थान एवं तालाबो से बना है नाम

Devtalab Naam Kyun Pada: मंदिर के आसपास कई तालाब मौजूद है। देव स्थान और तालाबों से मिलकर इस स्थान का नाम देवतालाब पड़ा है। शिव मंदिर परिसर में जो तालाब है यह शिव कुण्ड के नाम से प्रसिद्ध है और शिव कुण्ड से जल लेकर ही श्रद्धालू सदाशिव भोलेनाथ के पंच शिवलिंग विग्रह में चढ़ाने की परंपरा रही है। बुजुर्गो के अनुसार मान्यता है कि पांच बार जल लेकर पांचो मंदिर में जला चढ़ाया जाता है।

मां गौरी का भी है मंदिर

देवतालाब ऐसा स्थल है जहाँ शिव के साथ माता गौरी का मंदिर है। शिव और माता गौरी के गठजोड़ की अद्भुत मान्यता है। यही वजह है कि शिव भक्त भगवान भोले नाथ के मंदिर से माता गौरी के मंदिर में गठजोड़ करवाते है। इससे उनकी मान्यता पूरी होती है।

भक्तों में है अपार आस्था

इस मंदिर से भक्तों की आस्था जुड़ी है, यही वजह है कि यहाँ लोग अपनी मानमनौती पूरी करने के साथ ही मुंडन-कन्छेदन तथा भंडारा आदि के आयोजन करने न सिर्फ पहुचते है बल्कि गठजोड़ की मान्यता भी पूरी करते है। महाशिवरात्रि सहित सावन में यहाँ भक्तों की अपार भीड़ पहुँचती है। तो वही मेले लगने के साथ ही अन्य धार्मिक आयोजन भी यहाँ होते है। जिसमें भक्तों की भारी भीड़ उमड़ती है।

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