Shakuni's Dice: क्या शकुनी मामा के पांसे वास्तव में थे उनके अधीन, आइए जानें पूरा रहस्य

Secret Behind Shakunis dice: महाभारत नामक महाकाव्य में शकुनि महत्वपूर्ण किरदार थे, जो कि भाषा सीखने में माहिर और जुएं का सबसे बड़ा खिलाड़ी माना जाता था।

Update: 2022-07-31 09:35 GMT

What was the secret behind Shakuni's dice: महाभारत की पुस्तक भले ही आपने न पढी हो लेकिन टीवी में महाभारत (Mahabharat) नामक सीरियल तो अवश्य ही देखा होगा। महाभारत नामक महाकाव्य में एक महत्वपूर्ण पात्र शकुनी मामा (Mahabharat Ka Shakuni)  का था। जो भाषा सीखने में माहिर और जुएं का सबसे बड़ा खिलाड़ी माना जाता था। आपको याद दिला दें यह शकुनी मामा महाराजा धृतराष्ट्र के साले, गांधारी के भाई और दुर्योधन के मामा थे। अगर महाभारत युद्ध के जवाबदेह विशेष कारणों के संबंध में जब-जब चर्चा आएगी उस समय शकुनी (Shakuni) का नाम भी अवश्य लिया जाएगा और कारण के रूप में भी गिना जाएगा। आइए शकुनी मामा (Shakuni Mama) के बारे में विस्तार से जानकारी हासिल करें।

शकुनि के पांसों का रहस्य 

Mystery Of Shakuni Dice: ऐसा कहा जाता है कि शकुनी मामा ने अपने पासों को अपने आधीन कर रखा था। शकुनी मामा जो कहते थे पासे उसी अंक के पड़ते थे। शकुनि के पांसों की वजह से ही पांडव अपना पूरा राज पाठ जुएं मे हार गए थे।

किस चीज के बने थे शकुनि के पांसे 

Shakuni ke panse kis Cheej Se bane The? शकुनि के पासों के संबंध में कहा गया है कि वह इन पासों का उपयोग किया करते थे वहां हाथी दांत के थे। इन पास पर शकुनि ने मायाजाल और सम्मोहन कर रखा था। अगर जुआ खेलते समय किसी कारणवश मायाजाल काम नहीं करती थी। उस समय शकुनी सम्मोहन का उपयोग कर पांडवों की नजरें बांध दिया करते थे। जिसका लाभ वह अपनी पासे लिया करते थे।

कहते हैं कि शकुनी के सम्मोहन की वजह से उनके द्वारा फेंके गए पासे पांडवों के पक्ष में भी रहते थे। लेकिन शकुनि के सम्मोहन की वजह से पांडव से समझ नहीं पाते थे और शकुनी इसका पर्याप्त लाभ उठाता था। इसी वजह से पांडवों ने जुए में अपना सब कुछ गवा दिया था।

शकुनि के पांसों का इतिहास 



Shakuni Ka Itihas: कई जगह के लेखों से पता चलता है कि शकुनी जिन पासो का उपयोग करता था वह उसके पिता के हड्डी का बना हुआ था। उसके पिता ने अंत समय में शकुनी से कहा था मेरी मौत के बाद मेरी हड्डी का पासा बना लेना। यह सिर्फ तुम्हारी आज्ञा का पालन करेंगे। तुम्हें जुए में कोई हरा नहीं पाएगा। इसके बाद शकुनी इन पासों का उपयोग करने लगा और जुएं का माहिर खिलाड़ी बन गया।

आइए जाने शकुनी के पिता ने ऐसा क्यों किया

History of Shakuni: शकुनी गांधार देश का रहने वाला था। वह राजा सुबल का 100वां पुत्र था। शकुनी के बहन का नाम गांधारी था शकुनी के 3 पुत्र उलूक, वृकासुर तथा विप्रचित्ती था। कहते हैं जब गांधारी का विवाह होने वाला था उस समय ज्योतिषियों ने बताया था कि गांधारी का पहले पति के मृत्यु का योग बन रहा है। ऐसे मे गांधारी के पिता ने उनका पहला विवाह बकरे से करवाया इसके बाद गांधारी का विवाह धृतराष्ट्र से हुआ।

धृतराष्ट्र जन्म से अंधे थे। जब गांधारी और धृतराष्ट्र के विवाह का प्रस्ताव गांधारी के पिता सुबल के पास पहुंचा तो वह भारी मन से विवाह के लिए हाथ तो कर दिया। लेकिन उनका मन नहीं था। वहीं शकुनी भी बहन का विवाह धृतराष्ट्र के साथ होने से खुश नहीं थे।

कहते हैं विवाह के बाद धृतराष्ट्र और पांडु को गांधारी के पहले हो चुके विवाह के बारे में पता चल गया। जिसके बाद दोनों को बहुत गुस्सा आया। उन्होंने गांधार पर आक्रमण कर गांधारी के पिता एवं सभी भाइयों को बंदी बना लिया।


मार डालने की साजिश

Story Of Shakuni: पूर्व काल में एक व्यवस्था यह थी कि युद्ध बंदियों को मृत्युदंड नहीं दिया जाता था। ऐसे में बंदियों की मृत्यु हो जाए इसके लिए उनका भोजन कम कर दिया जाता था। गांधारी के भाई और पिता के साथ भी यही हुआ। इन सभी को मार डालने के लिए दिन भर में केवल एक मुट्ठी अनाज भोजन के रूप में दिया जाने लगा। इतने में तो सभी मर ही जाएंगे। लेकिन गांधारी के पिता और अन्य भाइयों ने शकुनि की बुद्धिमत्ता को देखते हुए तय किया की हम सभी अपने हिस्से का भोजन शकुनी को करवाएं। और ऐसा ही किया गया।

शकुनी अपनी तेज दिमाग और कुटिल नीतियों की वजह से धृतराष्ट्र तक पहुंचने में कामयाब हो गया और उनका विश्वास पात्र बना। सबसे अधिक विश्वासपात्र वहां अपने भांजे दुर्योधन का हुआ। दुर्योधन उसकी बातों पर आंख मूंदकर विश्वास करता था।

कहते हैं उसी समय जब शकुनि के पिता की मौत हो रही थी तो शकुनि के पिता राजा सुबल ने शकुनी से कहा कि मेरी मृत्यु के बाद तुम मेरी हड्डियों का पांसा बना लेना। यह पांसे तुम्हें जीवन में कभी भी जुए के खेल में हारने नहीं देंगे। यह तुम्हारे पास तुम्हारे गुलाम बनकर रहेंगे। तुम जो भी बाजी बोल कर पांसे फेंकोगे वही बाजी पड़ेगी। और आमतौर पर शकुनि के पासों के साथ ऐसा होता था।

शकुनि ने अपनी कुटिल बुद्धि का उपयोग करते हुए संपूर्ण कौरव और पांडव साम्राज्य को नष्ट करने के मन ही मन संकल्प के साथ काम करने लगा। और एक दिन वह पांडवों को तो नहीं लेकिन कौरवों का संपूर्ण विनाश कर दिया। हालांकि महाभारत के युद्ध में शकुनी भी सहदेव के हाथों मारा गया था।

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