कितनी भी विपत्ति आ जाएं न छोड़े इनका साथ, डटकर करे सामना, जानिए!
जीवन क्या है? क्या जीवित रहना और भरण पोषण कर लेना ही जीवन है।
जीवन क्या है? क्या जीवित रहना और भरण पोषण कर लेना ही जीवन है। अगर भरण-पोषण ही जीवन है तो फिर मुश्किल कैसी। भरण-पोषण तो जानवर भी अपना और अपने परिवार का कर लेते हैं। हम यह बातें इसलिए कह रहे हैं क्योकि अगर मानव जीवन मिला है तो उसमें चुनौतियां भी हैं, हर दिन कई मुश्किलों का सामना करना होता है। जो व्यक्ति इन्हे पार कर जाता है इनसे सामंजस बैठा लेता है उसी का जीवन सफल और सार्थक होता है। इस सफल और सार्थक जीवन के लिए आज हम आचार्य चाणक्य की कुछ बातें बताने जा रहे हैं। जिसमें बताया गया है कि व्यक्ति को अपने मुश्किल वक्त में किसका साथ नही छोड़ना चाहिए।
इनका साथ न छोड़ें
- कहा गया है कि जीवन में हर किसी को मुश्किलों का सामना करना होता है। व्यक्ति को कभी भी मुश्किलों से घबराना नहीं चाहिए। अन्यथा वह असफल हो जायेगा। असफल लोग अपना दोष देने के बजाय समय और भाग्य पर दोषारोपण कर कर अपनी नाकामी छिपाने का प्रयास करते हैं।
- आचार्य चाणक्य ने कहा है कि सफल होने के लिए हमें धैर्य का साथ नही छोड़ना चाहिए। कहा गया है कि चाहे जितनी मुश्किल आये हमें अपना धैर्य नही खोना चाहिए।
- धैर्य खोने वाला व्यक्ति अपने मार्ग से भटक जाता है और जब व्यक्ति मार्ग ही भटक गया तो वह अपनी मंजिल तक कैसे पहुंचेगा।
- वहीं आचार्य का कहना है कि हमें सदैव अपना ध्यान अपने लक्ष्य पर क्रेन्द्रित रखना चाहिए। अगर लक्ष्य से ध्यान हट जायेगा तो हम भटक जायेंगे और सफलता दूर हो जायेगी।
- कहा गया है कि परिस्थियों का हंसकर सामना करना चाहिए। जीवन में चाहे जैसी परिस्थित आये उसका मुकाबला हंसकर करना चाहिए। तभी हम अपने मन विचलित होने से बचाये रख सकते हैं और सफलता प्राप्त करेंगे।
- आचार्य का कहना है कि हमें कभी भी अपनी मर्यादा का त्याग कभी नही करना चाहिए। अगर हम अपनी मर्यादा तोड़ देते हैं या फिर बाहर चले जाते हैं तो लोगों का विश्वास दूर हो जाता है।
- आचार्य चाणक्य का कहना है कि किसी भी कार्य को करने के लिए पूरे मनोयोग के साथ प्रयास करना चाहिए।