Dussehra 2022: रावण को जीवित करने अभी भी किया जा रहा प्रयास! जानें रावण के अनसुने राज़..
Dussehra 2022: हम लोगों ने रावण को देखा जरूर नहीं है। लेकिन रावण के बारे में जितना कुछ हम लोगों को पता है उससे यह बात जरूर स्पष्ट हो जाती है की उसके सामान आज तक न कोई हुआ है और ना ही कोई होगा।
Dussehra 2022: हम लोगों ने रावण को देखा जरूर नहीं है। लेकिन रावण के बारे में जितना कुछ हम लोगों को पता है उससे यह बात जरूर स्पष्ट हो जाती है की उसके सामान आज तक न कोई हुआ है और ना ही कोई होगा। रावण के संबंध में आज भी कहा जात है कि उसका मृत शरीर आज भी श्रीलंका की एक गुफा में सुरक्षित रखा हुआ है। उसे जीवित करने का एक प्रयास किया जा रहा है। लेकिन यह बात सिर्फ कहने और सुनने तक ही सीमित है।
लोगों की मान्यता है कि जिस गुफा में रावण का शव रखा गया है वहां कोई जा नहीं सकता। अगर कोई जाने का प्रयास भी करे तो उसकी मृत्यु हो जाती है। यहां तक बात सत्य है। क्योंकि लोगों द्वारा ऐसा प्रयास किया गया और लोगों की मौत भी हुई है। रावण के संबंध में और भी बहुत सारी रहस्यमई बातें मौजूद है। आज उनके बारे में जानकारी एकत्र करेंगे।
कई ग्रंथों की रावण ने की थी रचना
रावण कितना विद्वान था इस बात का अंदाजा आप इससे लगा सकते हैं कि रावण ने एक नहीं कई ग्रंथों की रचना की थी। बताया जाता है कि शिव तांडव स्त्रोत, रावण संहिता, दस सतकात्मक अर्क प्रकाश, दस पटलातमक, उड्डीश तंत्र, कुमार तंत्र, नाड़ी परीक्षा ग्रंथ लिखे थे। सही कहा जाता है कि रावण ने अरुण संहिता, अंक प्रकाश, इंद्रजाल, प्राकृत कामधेनु, प्राकृत लंकेश्वर तथा रावणीयम पुस्तकों की रचना की थी।
एक वैज्ञानिक था रावण, बना रखी थी वेधशाला
रावण पराक्रमी होने के साथ ही वैज्ञानिक भी था। रावण ने खुद के पौरूष से वेधशाला का निर्माण कर रखा था। इसमें दिव्य रथ तथा नए-नए अस्त्र-शस्त्र बनाया करता था। कहा जाता है कि रावण के इन अनुसंधान में उसकी पत्नी धान्यमालिनी तथा वज्रज्वाला का सहयोग रहता रहता था था। कहा जाता है कि शतरंज का आविष्कार रावण की पहली पत्नी मंदोदरी ने किया था।
सबसे बड़ा तपस्वी था रावण
रावण किसी बड़े ऋषि महात्मा से अधिक तपस्वी भी था। उसने अपने तप के बल पर कई सिद्धियां हासिल कर ली थी। सिद्धि के बल पर रावण ने ब्राह्म से वरदान मांगते हुए सभी ग्रहों को अपने बंधन में बांध लिया था।
महिलाओं के प्रति होता था आकर्षित
रावण विद्वान, ज्ञानवान, वैज्ञानिक तथा कई तरह की शक्तियों को अर्जित करने वाला होने के बाद भी वासना से मुक्त नहीं था। वह महिलाओं के प्रति बहुत जल्दी आकर्षित होता था। रावण अपनी पत्नी की बड़ी बहन माया पर भी वासना युक्त नजर रखता था।
रावण वेदवती नामक भगवान विष्णु की तपस्विनी पर भी मोहित हुआ था। जिसके बाद वेदवती ने आत्महत्या कर ली। वेदवती ने श्राप दिया था की एक औरत की वजह से तेरा सर्वनाश होगा।
कहते हैं की रावण जब स्वर्ग लोक में विजय प्राप्त करने पहुंचा तो उसकी नजर रंभा नामक अप्सरा पर पड़ी। वह उस पर मोहित हुआ। जिस पर अप्सरा ने ना छूने के लिए कहा। उसने बताया कि वह कुबेर की पुत्रवधू होने के नाते आपकी भी पुत्रवधू हो रही है। लेकिन रावण नहीं माना और रंभा के साथ दुराचार किया। जिस पर क्रोधित होकर कुबेर के पुत्र नलकुबेर ने रावण को श्राप दिया था कि अगर वह किसी स्त्री की अनुमति के बगैर उसका स्पर्श करेगा तो उसके सिर के सौ टुकड़े हो जाएंगे।
ताबूत में रखा है रावण का शव
एक बौद्ध भिक्षु ने सन 1971 में दावा किया कि पर्वत शिखर पर बने किलेनुमा गुफा में रावण का शव ताबूत में रखा हुआ है। यह ताबूत करीब 20 फुट लंबा है। जिस पहाड़ की चोटी पर यह गुफा है वह करीब 8000 फुट ऊंचाई पर स्थित है।
कहते हैं कि राम रावण युद्ध के पश्चात रावण के शव का दहन नहीं हो पाया था। विभीषण राज्याभिषेक के लिए गए इसी दौरान नागलोक के लोग रावण का शव उठाकर ले गए। लंका के लोगों का आज भी मानना है कि रावण एक न एक दिन अवश्य जीवित हो जाएगा।