रीवा में थाने के गेट पर रिश्वत मांगते प्रधान आरक्षक का वीडियो वायरल, एसपी ने किया निलंबित, पहले भी हो चुकी है कार्रवाई
मध्य प्रदेश के रीवा जिले में एक प्रधान आरक्षक द्वारा मारपीट के मामले में एक पक्ष से पैसे मांगने का वीडियो सामने आने के बाद हड़कंप मच गया है। वीडियो वायरल होने पर पुलिस अधीक्षक ने आरोपी पुलिसकर्मी को तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया है। जानें क्या है पूरा मामला और इस पुलिसकर्मी का पिछला रिकॉर्ड।;

मध्य प्रदेश के रीवा जिले में पुलिस विभाग को शर्मसार करने वाला एक मामला सामने आया है। यहां एक पुलिस थाने के मुख्य द्वार पर ही एक प्रधान आरक्षक द्वारा खुलेआम रिश्वत की मांग करने का वीडियो सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो गया। मामला एक मारपीट की घटना से जुड़ा है, जिसमें प्रधान आरक्षक एक पक्ष से कथित तौर पर मामला रफा-दफा करने के एवज में पैसों की मांग कर रहा था। वीडियो के प्रकाश में आने के बाद जिला पुलिस अधीक्षक ने त्वरित कार्रवाई करते हुए आरोपी प्रधान आरक्षक को निलंबित कर दिया है।
थाने के गेट पर पैसों का सौदा, वीडियो हुआ वायरल
वायरल हुए वीडियो में स्पष्ट रूप से देखा और सुना जा सकता है कि प्रधान आरक्षक सुखलाल कोल, जो थाने के मुख्य द्वार पर खड़ा है, मारपीट के मामले में एक व्यक्ति से पैसों की मांग कर रहा है। वीडियो के अनुसार, आरक्षक पहले पांच हजार रुपये की मांग करता है, लेकिन जब सामने वाला व्यक्ति गिड़गिड़ाता है और असमर्थता जताता है, तो वह दो हजार रुपये में मामला निपटाने पर सहमत होता दिख रहा है। इस पूरी बातचीत को किसी ने गुप्त रूप से रिकॉर्ड कर लिया और बाद में इसे सोशल मीडिया पर प्रसारित कर दिया, जिसके बाद यह तेजी से वायरल हो गया।
एसपी ने लिया संज्ञान, निलंबन के आदेश जारी
जैसे ही यह वीडियो और मामला जिले के पुलिस अधीक्षक (एसपी) विवेक सिंह के संज्ञान में आया, उन्होंने इसे गंभीरता से लिया। एसपी विवेक सिंह ने पुष्टि करते हुए बताया कि वीडियो में प्रधान आरक्षक स्पष्ट रूप से रिश्वत मांगते हुए दिख रहा है। उन्होंने तत्काल प्रभाव से प्रधान आरक्षक सुखलाल कोल को निलंबित करने के आदेश जारी कर दिए हैं। विभाग द्वारा मामले की आगे जांच भी की जा सकती है।
पहले भी लग चुके हैं भ्रष्टाचार के आरोप
यह पहला मौका नहीं है जब प्रधान आरक्षक सुखलाल कोल पर इस तरह के आरोप लगे हैं। पुलिस सूत्रों के अनुसार, इससे पहले भी जब वह शहर के सिविल लाइन थाने में पदस्थ था, तब भी उस पर एक अन्य मामले में आरोपी पक्ष से पैसे के लेनदेन का आरोप लगा था और उसका वीडियो भी वायरल हुआ था। उस समय भी एसपी विवेक सिंह ने कार्रवाई करते हुए उक्त प्रधान आरक्षक की एक वर्ष की वेतन वृद्धि संचयी प्रभाव से रोकने के आदेश जारी किए थे। हालांकि, बताया जाता है कि वह मामला न्यायालय में सबूतों के अभाव में टिक नहीं पाया था और आरक्षक बच गया था। बार-बार इस तरह की घटनाओं से पुलिस विभाग की कार्यप्रणाली पर गंभीर सवाल खड़े हो रहे हैं।