छात्रों को यातायात के साथ नशामुक्ति का पढ़ाया पाठ, विद्यालय में लगा कैम्प

विद्यालयों में 11वी और 12वीं कक्षाएं संचालित होने लगी। छात्रो की सीमित संख्या के बीच रीवा शहर के चोरहटा में संचालित गुरूकुल विद्यालय में यातायात विभाग द्वारा जागरूकता कार्यक्रम का आयोजन किया गया।

Update: 2021-08-07 09:39 GMT

रीवा। शासन के नियमानुसार कई विद्यालयों में 11वीं और 12वीं कक्षाएं संचालित होने लगी। छात्रो की सीमित संख्या के बीच शहर के चोरहटा में संचालित गुरूकुल विद्यालय में यातायात विभाग द्वारा जागरूकता कार्यक्रम का आयोजन किया गया। इस अवसर पर छात्रों को यातायात नियमों की जानकारी देने के साथ ही नशामुक्ति तथा बेटी पढ़ाओं तथा बेटी बचाओं जैसे मुद्दों पर जागरूक किया गया। वहीं कार्यक्रम में छात्रों ने भी अपने विचार व्यक्त किये।

बतायए गये यातायात के नियम

यातायात नियमों का पालन करना हर वाहन चालक का का कर्तव्य है। शहर में दुपहिया और चार पहिया वाहन चालकों के द्वारा यातायात नियमों की अवहेलना के चलते आए दिन दुर्घटना घटित हो रही हैं। लोग असमय काल के गाल में समा रहे है। वाहन चलाने से पहले लाइसेंस अनिवार्य बनवा लेना चाहिए। लाइसेंस बनवाने से कई नियमों की जानकारी हो जाती है। उक्त जानकारी रीवा यातायात विभाग के एएसआई प्रमोद पाण्डेय ने गुरूकुल विद्यालय में आयोजित कैंप में दिया।

नशा करने के बाद कभी भी वाहन नही चलाना चाहिए। नशा वैसे भी नाश की जड़ मानी गई हैं। नशे की गिरफ्त में आने से हंसता खेलता परिवार बर्बाद हो जाता है। बच्चे भी नशा करते हैं ऐसे में श्री पाण्डेन ने बच्चों को संकल्प दिलवाया कि वह कभी भी नशा नहीं करेंगे।

स्कूली बच्चों को प्रारंभ ही समझाइश देकर उन्हें वाहन दुर्घटनाओं से बचाया जा सकता है। नाबालिग बच्चों द्वारा लापरवाही पूर्वक वाहन चालने का खामियाजा उनके अभिभावकों को भुगतना पड़ता है। इसलिए बच्चों को दुपहिया वाहन सौंपने से पहले अभिभावकों को उन्हें यातायात नियमों की समुचित जानकारी के साथ आवश्यक दस्तावेज बनवाने पर ध्यान दिया जाना जरूरी है।

छात्रों ने रखी अपनी बात

गुरूकुल विद्यालय के छात्रों ने अपनी बात रखते हुए कहा कि नशा से किसी का भला होने वाला नही है। छात्रों ने कहा कि वह हर हाल में इस जागरूकता कार्यक्रम के बाद बिना लाइसेंस के वाहन नही चलाएंगे। बच्चों का कहना था कि देश के विकास में आज बेटियां किसी से कम नही है। इसलिए हर अभिभावक को चाहिए कि वह बेटा बेटी में अंतर न करे। दोनों को बराबर शिक्षा दे।

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