विदेशियों को भा रहा रीवा का गेहूं: 45 हजार क्विंटल विदेश भेजा, अच्छी कीमत और तत्काल भुगतान की वजह से किसान भी खुश
मध्य प्रदेश के रीवा से विदेश भेजा गया 45 हजार क्विंटल गेहूं।
पिछले दस दिनों में रीवा से 45 हजार क्विंटल गेहूं विदेश के लिए रवाना किया गया है। जहां गुजरात के माध्यम से यह गेहूं विदेश के लिए भेजा जा रहा है। जिले में अधिक मात्रा में पैदावार होने के चलते रीवा से गेहूं अन्य राज्यों के लिए तो पहले भी भेजा जाता रहा है। लेकिन इस बार रीवा के व्यापारियों ने यहां का गेहूं विदेशों के लिए भेजा है।
बता दें की, रूस और यूक्रेन के युद्द के चलते विदेशो में गेहूं की मांग बढ़ गई है। यूक्रेन विश्व के प्रमुख गेहूं निर्यातकों में से एक है। और वहां युद्ध स्थिति के चलते सभी तरह के आयत निर्यात ठप्प हो गए हैं। ऐसे में विदेशो में गेहूं की मांग तेज हो गई है। मध्य प्रदेश का गेहूं विदेशो में मांग को पूरा कर रहा है। प्रदेश में गेहूं का उपार्जन जोरो-शोरो से जारी है। प्रदेश की विभिन्न मंडियों में किसान भाई अपने गेहूं का उपार्जन करा रहें हैं। प्रदेश में बुधवार शाम तक 4 लाख 66 हजार 291 किसानों से 37 लाख 58 हजार 824 मी.टन गेहूं का उपार्जन किया गया है।
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार रीवा से सहारनपुर के लिए गेहूं रेलवे रैक प्वाइंट से भेजा गया है। पहली रैक 22 अप्रैल को रीवा रैक प्वाइंट से रवाना की गई जिससे 24532 क्विंटल गेहूं था। इसके बाद 28 अप्रैल को 20100 क्विंटल गेहूं की दूसरी रैक सहारनपुर के लिए फिर भेजी गई। दरअसल व्यापारियों ने किसानों से खरीदी कर गेहूं एकत्र कर लिया था। ज्यादा मात्रा होने पर रैक प्वाइंट से रवाना कर दिया गया। जो सहारनपुर से गुजरात के माध्यम से विदेश भेजा गया।
कृषि उपज मंडी करहिया में खुली नीलामी के गेहूं की कीमत समर्थन मूल्य के ऊपर पहुंच गई है। समर्थन मूल्य पर जहां किसानों से गेहूं की खरीदी 2015 रुपए प्रति क्विंटल की दर से की जा रही है वहीं व्यापारी किसानों का गेहूं 2039 रुपए प्रति क्विंटल दर से खरीद रहे हैं। किसान भी समर्थन मूल्य की बजाय व्यापारियों को गेहूं बेंच रहे हैं। जिस तरह करहिया मंडी की खुली नीलामी में गेहूं की कीमत बढ़ती जा रही है, उससे माना जा रहा है कि इस बार मंडी में नई गेहूं की कीमत 24 सौ प्रति क्विंटल या इससे अधिक तक पहुंच सकती है।
बताया गया है कि कीमत ज्यादा होने के अलावा किसानों को व्यापारियों से गेहूं का भुगतान उसी दिन हो जाता है जबकि समर्थन मूल्य पर बेचने में एक तो भुगतान देर से होता है वहीं गेहूं बेचने कई दिनों तक का इंतजार करना पड़ता है। कुल मिलाकर मंडी परिसर में एक शेड के नीचे दो अलग-अलग कीमत पर गेहूं की खरीदी हो रही है।