रीवा: कलेक्टर इलैया राजा टी ने 2 बार लगाया पेनाल्टी, फिर भी नहीं सुधरे, हर महीने 56 लाख मिलने के बाद भी गंदगी से भरा संजय गाँधी अस्पताल

रीवा (REWA NEWS) । संजय गांधी अस्पताल की सिक्योरटी और सफाई का खर्च सुनकर कोई भी चौंक जाएगा। सफाई के नाम पर हर महीने 56 लाख की लूटखसोट हो रही है। कागजों में 160 से अधिक सफाई कर्मचारी और सुपरवाइजर को भुगतान हो रहा है लेकिन सफाई कहीं है। चारों तरफ गंदगी का अंबार है। कलेक्टर की पेनाल्टी के बाद भी कंपनी ने कार्यों में सुधार नहीं किया है।

Update: 2021-03-14 12:34 GMT

रीवा (REWA NEWS) । संजय गांधी अस्पताल की सिक्योरटी और सफाई का खर्च सुनकर कोई भी चौंक जाएगा। सफाई के नाम पर हर महीने 56 लाख की लूटखसोट हो रही है। कागजों में 160 से अधिक सफाई कर्मचारी और सुपरवाइजर को भुगतान हो रहा है लेकिन सफाई कहीं है। चारों तरफ गंदगी का अंबार है। कलेक्टर की पेनाल्टी के बाद भी कंपनी ने कार्यों में सुधार नहीं किया है।

ज्ञात हो कि संजय गांधी अस्पताल में सुरक्षा और सफाई ठेके पर है। हाइट्स को दोनों ही जिम्मेदारी दे दी गई है। इसके लिए कंपनी को हर महीने मोटी रकम दी जा रही है। सुन कर ताज्जुब होगा कि संजय गांधी अस्पताल में पसरी गंदगी और अव्यवस्था के नाम पर हर महीने 90 लाख का वारा न्यारा किया जा रहा है। सफाई के लिए 160 से अधिक सफाई कर्मचारी और उनकी मॉनीटरिंग के लिए एक दर्जन से अधिक सुपरवाइजर रखे गए हैं। 24 घंटे साफ सफाई करना है लेकिन कुछ नहीं हो रहा है। अस्पताल में चारों तरफ गंदगी का आलम है। यही वजह है कि कलेक्टर के निरीक्षण में इस अव्यवस्था की पोल खुल गई है। कंपनी को जुर्माना भी लगाया गया है। इस फटकार और कार्रवाई का भी कंपनी को असर नहीं हो रहा है। संजय गांधी अस्पताल जितना अंदर से गंदा है उससे कहीं ज्यादा गंदा बाहर भी है। परिसर के अंदर चारो तरफ गंदगी है। ऐसे में साल भर में करोड़ों रुपए का साफ सफाई के नाम पर भुगतान बेमानी ही है।

इतना हो रहा खर्च

संजय गांधी अस्पताल में हाईट्स को सुरक्षा और सफाई की जिम्मेदारी दी गई है। हाइट्स ने कर्मचारी तो कागजों में रखे हैं लेकिन काम सिर्फ गिनती के ही कर रहे हैं। सफाई और सुरक्षा के नाम पर रखे गए कर्मचारी अधिकारियों की सेवाएं दे रहे हैं। यही वजह है कि सफाई और सुरक्षा व्यवस्था का दम निकल गया है। सफाई के लिए हाईट्स को हर महीने करीब 56 लाख रुपए का भुगतान किया जा रहा है। वहीं सिक्योरटी के लिए करीब 32 लाख दिए जा रहे हैं।

यहां से होता है गोलमाल

हाईट्स के कर्मचारियों की अटेंडेंस और एप्रूव्हल सीएमओ करते हैं। सारा खेल यहीं से होता है। कंपनी और सीएमओ की जुगलबंदी ही अस्पताल की व्यवस्था को नर्क बना दी है। इसके बाद रही सही कसर अधीक्षक कार्यालय से पूरी हो जाती है। इन दोनों कुर्सियां और कार्यालय से ही हाईट्स को बेलगाम होने का मौका मिला हुआ है। यही वजह है कि लाखों, करोड़ों खर्च करने के बाद भी व्यवस्थाएं जस की तस है।

कलेक्टर ने लगाया है जुर्माना 

कोविड टीकाकरण के पहले कलेक्टर ने निरीक्षण किया था। तब रैन बसेरा के पीछे काफी गंदगी मिली थी। कलेक्टर ने अधीक्षक और डीन को हाईट्स के खिलाफ जुर्माना लगाने के निर्देश दिए थे। इसके बाद हाल ही में पिछले सप्ताह फिर कलेक्टर के निरीक्षण में अस्पताल में गंदगी मिली थी। इस पर फिर से कलेक्टर इलैया राजा टी ने कंपनी के खिलाफ कार्रवाई और जुर्माना लगाने के निर्देश जारी किए। इस कार्रवाई के बाद भी कुछ बदलाव नहीं दिखा।

रिश्तेदारों से भरी पड़ी है कंपनी 

हाइट्स ाले ही संजय गांधी अस्पताल में सेवाएं दे रही हो, लेकिन कंपनी में अस्पताल प्रबंधन और डॉटरेां के कर्मचारी और रिश्तेदार ही भरे हुए हैं। यही वजह है कि रिश्तेदारों की धौंस देकर कोई काम ही नहीं कर रहा है। कई कर्मचारी सिर्फ सिफारिश में ही लगे हुए हैं। कर्मचारियों को रखा किसी और पद पर हैं और काम कहीं और कराया जा रहा है। इसका खामियाजा प्रबंधन को उठाना पड़ रहा है।

चोरी रुक नहीं रही

सिक्योरटी के लिए भी कागजों में 160 प्लस और 15 से अधिक सुपरवाइजर रखे गए हैं। इसके बाद भी अस्पताल में चोरी की घटनाएं नहीं रुक रही हैं। आए दिन घटनाएं बढ़ रही है। इन पर सिक्योरटी कंट्रोल नहीं कर पा रही है।

शाम का है यह नजारा

शनिवार शाम को अस्पताल में जगह जगह गंदगी देखने को मिली। चारों तरफ कचरे का ढेर लगा हुआ था। डस्ट बिन के आसपास ही गंदगी पड़ी हुई थी। कोई भी कर्मचारी साफ सफाई वाला मौके पर नजर नहीं आया। वार्डों में बिस्तर से हटाए गए बेडशीट भी बाहर गैलरी में फिके मिले। ऐसे में इस 56 लाख वाले सफाई ठेके का अंदाजा लगाया जा सकता है।

(सौजन्य: दैनिक जागरण) 

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