अटक गई शासकीय आयुर्वेद कॉलेज रीवा की मान्यता, प्रदेश के दो अन्य कॉलेज शामिल
Rewa Ayurvedic Medical College News: नेशनल कमिशन फॉर इंडियन सिस्टम आफ मेडिसिन एनसीआईएसएम द्वारा की गई जांच के बाद मध्य प्रदेश के रीवा जिले मे संचालित आयुर्वेद कॉलेज के बीएएमएस की मान्यता पर रोक लगा दी है।
Rewa Ayurvedic Medical College News: नेशनल कमिशन फॉर इंडियन सिस्टम आफ मेडिसिन एनसीआईएसएम द्वारा की गई जांच के बाद मध्य प्रदेश के रीवा जिले मे संचालित आयुर्वेद कॉलेज के बीएएमएस की मान्यता पर रोक लगा दी है। हालांकि अभी एनसीआईएसएम द्वारा प्रदेश के तीन कॉलेजों को मान्यता रोक ली गई है। जबकि भोपाल ग्वालियर और उज्जैन की मान्यता आ चुकी है। हालांकि जिस कमी के चलते एन सी आई एस एम द्वारा बीएएमएस की मान्यता नहीं दीगई है उस पर कॉलेज द्वारा जल्दी ही कमी पूरी करने का आश्वासन दिया है। अब देखना यह है कि इन कॉलेजों को मान्यता मिलती है या नहीं।
क्यों अटक गई मान्यता
जानकारी के अनुसार मध्य प्रदेश के रीवा, बुरहानपुर तथा जबलपुर शासकीय आयुर्वेद कॉलेजों के स्नातक की मान्यता एनसीआईएसएम द्वारा जारी नहीं की गई है। इसके लिए एनसीआईएसएम द्वारा कहा गया है कि इन कॉलेजों में प्राध्यापक और सह प्राध्यापकों की कमी है। तो वही का कॉलेज द्वारा आश्वासन दिया गया है कि बहुत जल्दी इस कमी को पूरा कर लिया जाएगा। अब देखना यह है कि कॉलेज के आश्वासन से एनसीआईएसएम कितना संतुष्ट होता है।
आयुर्वेद कॉलेज बुरहानपुर की स्थिति
शासकीय आयुर्वेद कॉलेज बुरहानपुर की हालत अन्य 2 कालेजों से ज्यादा खराब चल रही है। बहुत कम संभावना पाई जाती है कि एनसीआईएसएम इस कॉलेज को मान्यता देगा। जानकारी के अनुसार बुरहानपुर कॉलेज में प्राध्यापक और सह प्राध्यापक के 12 तथा सहायक प्राध्यापक के 15 पद रिक्त हैं। बताया तो यहां तक जाता है कि 3 विभाग ऐसे हैं जिनमें एक भी शिक्षक नहीं है। सवाल यह उठता है कि क्या इतनी जल्दी इन सभी पदों को भरा जा सकेगा। अगर समय पर पद नहीं भरे जाते हैं तो आयुर्वेद की स्नातक की मान्यता मिलना मुश्किल हो जाएगा।
रीवा आयुर्वेद कॉलेज में खाली हैं कई पद
वैसे तो रीवा आयुर्वेद कॉलेज की स्थिति बुरहानपुर आयुर्वेद कॉलेज से काफी बेहतर है। फिर भी यहां प्राध्यापक और शाह प्राध्यापक के 4 तथा सहायक प्राध्यापक के 2 पद रिक्त हैं। यहां बीएएमएस करने के लिए 85 सीट हैं। आयुर्वेद कॉलेज रीवा के प्रबंधन ने एनसीआईएसएम को भरोसा जताया है कि वह जल्दी पदों पर नियुक्ति कर लेगा।
जबलपुर आयुर्वेद कॉलेज में भी प्राध्यापकों की कमी है। लेकिन रिक्त पदों की संख्या कम होने की वजह से संभावना पाई जा रही है कि अटकी हुई मान्यता प्राप्त हो जाएगी।
क्या कहते हैं अधिकारी
संचालनालय के उपसंचालक डॉक्टर अरविंद पटेल इस पूरे मामले में कहना है कि एनसीआईएसएम कॉलेजों की मान्यता रोकी नहीं गई है। एक-एक कर कॉलेजों की मान्यता जारी की जा रही है। रीवा बुरहानपुर तथा जबलपुर आयुर्वेद कॉलेजों की भी मान्यता बहुत जल्दी जारी होगी। पहले ही भोपाल इंदौर ग्वालियर और उज्जैन की मान्यता जारी की जा चुकी है। यह बात अवश्य है कि कुछ कॉलेजों में प्राध्यापक शाहपुरा अध्यापकों की कमी है। लेकिन समय रहते उन पर व्यवस्था बनाई जाएगी।