Pind Daan: पितरों के सम्बंध में जानें अगूढ़ रहस्य, क्या परिजनों द्वारा दिया गया भोजन आदि पूर्वजों को मिलता है ?

Pind Daan: पितरों के सम्बंध में जानें अगूढ़ रहस्य, क्या परिजनों द्वारा दिया गया भोजन आदि पूर्वजों को मिलता है ? जानिए

Update: 2021-09-16 08:24 GMT

आज 21वीं सदी के लोग धर्म-कर्म के कार्यों में भी तर्क करने से नहीं चूकते। तर्क करना सही है उसकी जानकारी लेना भी सही है। अक्सर पितृ पक्ष के समय लोगों द्वारा तहर-तरह के सवाल किये जाते हैं। लोगों को लगता है हम पितरों के लिए जो भी कर रहे हैं उसका लाभ क्या पितृ को प्राप्त होता है या नहीं। इन्हीं सब बातों के लिए आज हम चर्चा करेंगे। जिसमें परिजनों द्वारा दिया जाने वाला पिंड क्या पितृ को प्राप्त होता है।

ऐसे करें तो मिलेगा

हमारे शास्त्रों में स्पष्ट रूप से बताया गया है की नाम, गोत्र उच्चारण कर पितरों को दिया जाने वाला हव्य-कव्य उन्हे प्राप्त होता है। इस पर किसी प्रकार का संदेह नही करना चाहिए।

योनि के अनुसार मिलता है पिंड

शास्त्रों की मान्यता और विधि के अनुसार ही हम कार्य करते हैं। ऐसे में हमारे शास्त्रों द्वारा जानकारी है मृत्यु के बाद जीव शरीर बदलता है आत्मा अमर है। ऐसे में मृत्यु के पश्चात जिव योनि में प्रवेश कर जाता है। हमारे शास्त्रों में बताया गया है अगर जीव मृत्यु के पश्चात देव योनि में जाता है तो दिया गया श्राद्ध उस जीव को अमृत के समान प्राप्त होता है। मनुष्य योनि में मृतक का जन्म हो जाता है तो उसे परिजनों द्वारा दिया जाने वाला पिंड अन्न के रूप में प्राप्त होता है। वहीं पशु योनि मैं जाने पर श्राद्ध तृण के रूप में प्राप्त होता है। वही बताया गया है कि नाग योनि में जानेपर वायु रूप में,यक्ष योनि में जाने पर पान रूप में प्राप्त होता है। वहीं अन्य योनि में जीव के जाने पर श्राद्ध वस्तु भोग जनक तृप्ति कारक वस्तुओं के रूप में प्राप्त होता है।

मिठास हो जाती है कम

उदाहरण के तौर पर कई जगह यह भी बताया गया है कि अगर किसी को इस बात की जांच करनी हो तो वह इसकी प्रत्यक्ष जांच भी कर सकता है। इसके लिए हम जानेते हैं कि पितरों के लिए बनाया गया भोज्य पदार्थ परिजन रुचिकर व स्वादिष्ट बनाते हैं वही इस भोज्य पदार्थ को पितरों को अर्पित करने के बाद अगर उसका स्वाद लिया जाए तो वह कम हो जाता है। इस तरह की मान्यता हमारे समाज में है। जिसकी चर्चा हम आज आप से कर रहे हैं। लेकिन हमारे शस्त्र इस तरक करने की अनुमति नही देते हैं।

विधविधान से करें पितरों का श्राद्ध कर्म

माना गया है की परिजनों द्वारा पितरों को दिया जाने वाला श्राद्ध उन्हें प्राप्त होता है। इस पर संदेश न कर परिजनों को हर पितृपक्ष में विधि विधान से श्राद्ध कर्म करते हुए पिंड दान करना चाहिए। इससे परिजनों को अपने पितरों का शुभ आशीर्वाद प्राप्त होता है।

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