रीवा में बिल्डर ने दशकों पुराना बरगद का पेड़ बिना अनुमति गिराया, स्थानीय लोगों में आक्रोश

रीवा शहर में शिल्पी प्लाजा के पीछे गंगा कछार परिसर में मौजूद दशकों पुराने बरगद के पेड़ को बिना अनुमति गिराए जाने से स्थानीय लोगों में आक्रोश है।

Update: 2024-10-28 14:07 GMT

रीवा शहर में शिल्पी प्लाजा के पीछे गंगा कछार परिसर में लगे दशकों पुराने बरगद के पेड़ को बिना किसी अनुमति के गिरा दिया गया है। इससे स्थानीय लोगों में काफी आक्रोश है। लोगों का कहना है कि पेड़ के साथ वहां स्थित एक मंदिर को भी गिरा दिया गया है। मंदिर की मूर्ति को परिसर के दूसरे हिस्से में रख दिया गया है।

नगर निगम और वन विभाग से नहीं ली गई अनुमति

इस मामले में चौंकाने वाली बात यह है कि पेड़ को गिराने से पहले न तो नगर निगम से और न ही वन विभाग से कोई अनुमति ली गई। वन परिक्षेत्राधिकारी अंबुज नयन पांडेय ने कहा है कि उनके यहां से कोई अनुमति नहीं ली गई है। नगर निगम के उपयंत्री अंबरीश सिंह ने भी अनुमति न लेने की पुष्टि की है।

 

ठेका कंपनी पर आरोप

स्थानीय लोगों का आरोप है कि वहां प्लाटिंग का काम कर रही ठेका कंपनी DJVM इंफ़्रा प्राइवेट लिमिटेड ने पेड़ और मंदिर को गिराया है। हनुमान मंदिर को चोरी चुपके गिराकर दूसरे स्थान पर बिना किसी प्राणप्रतिष्ठा के बजरंग बलि की प्रतिमा स्थापित कर दी गई है। मंदिर में हनुमान जी की प्रतिमा उत्तरमुखी थी, जिसे पश्चिम मुख की तरफ स्थापित किया गया है।

शिल्पी प्लाजा के पीछे स्थित बरगद के पेड़ और हनुमान जी के मंदिर को हटाए जाने के विरोध में भाजपा नेता पूर्व युवा मोर्चा प्रदेश कार्यसमिति सदस्य बिजेन्द्र गौतम ने कहा है कि आखिर एक के बाद एक सिर्फ मंदिरों को रीवा में निशाना क्यो बनाया जाता है। हर बार रात के समय या सुबह-सुबह ऐसे काम क्यो किये जाते हैं। आखिर जिस जगह बरगद का पेड़ व मन्दिर स्थिति था वह सड़क से दूर व नाले के बिल्कुल बगल से स्थिति था। जिसे इस तरह हटाने की आवश्यकता नही थी। युवा भाजपा नेता ने कहा है कि सड़क स्थिति मजारों व मस्जिदों पर तो प्रशासन आंख बन्द कर लेता है उन पर कोई कार्यवाही नही होती है लेकिन मंदिरों पर खुली कार्यवाही करता है। इसी तरह का मामला सुपर स्पेशलिटी के सामने बन रही बिल्डिंग के पास हुआ था जिसमें मंदिर की मूर्ति को हटाया, लेकिन दूसरो को संरक्षण दिया गया। उन्होंने सोशल मीडिया के फेसबुक अकाउंट मे पोस्ट कर जिम्मेदारों से कई सवाल पूछे है जैसे कि

  • क्या बिल्डर को यहाँ पर शिल्पी प्लाजा बिल्डिंग की दीवार से भी आगे करके जमीन दी गई है?
  • क्या सड़क व नाले के बाद थोड़ी सी भी जमीन नही छोड़ी गई है?
  • क्या इस स्थान पर जितने छोटे-बड़े पेड़ लगे थे, उनकी जगह नये पेड़ लगाने का कोई स्थान तय है या नही है?
  • क्या इस तरह से शहर को कंक्रीट का जंगल बनाना है?
  • क्या शहर में सार्वजनिक रूप से मौजूद वर्षो पुराने पेड़ों को बचाने के लिये कोई नीति नही है ? जिनसे शहर की पहचान थी वो लैंड मार्क की तरह खड़े थे ?
  • क्या जिस तरह मजारों को छूने से पहले 100 बार विचार किया जाता, नपाई होती है वैसा ही मंदिरों को लेकर कोई प्रक्रिया तय है या नही ? क्योकि लग तो नही रही ......
  • क्या ऐसा करते वक्त सार्वजनिक रूप से सनातन समाज के बीच कार्य करने वालो से कभी कोई समन्वय बनाया जाता है, उनके विचार व सहमति की कोशिश होती है?
  • सनातन समाज तो हमेशा से विकास में बाधा आने पर अपने पूजा स्थान को व्यवस्थित रूप से किनारे करने के लिए हमेशा ही तैयार रहता है लेकिन क्या चोरी छुपे रात के अंधेरे में जब ऐसे कृत किए जाते हैं तो उससे अपमान महसूस ना करे?
  • मन्दिर से मूर्ति विस्थापित करने का विधान है बिना उस प्रक्रिया का पालन किये कैसे मूर्ति हटा दी जाती हैं?
  • शहर के जिन जिम्मेदार लोगों को लगातार ऐसी घटनाओं से फर्क नहीं पड़ रहा, वह किस मुंह से अपने आप को सनातन हिंदू धर्मी और धर्म रक्षक कहते हैं?
  • शहर में लाखों समाजसेवी आजकल रीवा ज़िले में घूम रहे लेकिन कोई भी समाज सेवी सनातन धर्म से जुड़े मुद्दों पर अपना मुंह नहीं खोलता, न ही अन्य मजहबो के सड़क पर विवादित स्थिति में बने स्थंलो पर ही कुछ बोलता है क्यो?
  • शहर के बड़े-बड़े पुजारी, साधु-संत, महात्मा जो बड़े-बड़े कार्यक्रमों में दिखाई देते हैं वो भी कभी सामने आकर कुछ नहीं बोलते आखिर क्यों?

दशकों पुराने पेड़ को बिना अनुमति काटे जाने की सूचना मिली है। इस संबंध में आयुक्त से कहा है कि वह मौके का परीक्षण कराएं और जो भी दोषी हों उनके विरुद्ध कार्रवाई की जाए। नगर निगम पहले भी नोटिस जारी कर चुका है। -अजय मिश्रा, महापौर

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