रीवा के सुपर स्पेशलिटी अस्पताल में एक और आयुष्मान फर्जीवाड़ा सामने आया
SGMH रीवा पहुंचा मरीज तो पता चला कि कागजों में मार्च से भर्ती चल रहे और एंजियोप्लास्टी तक हो गई, कुछ दिन पहले ही फर्जी तरीके से आयुष्मान कार्ड बनाने के नाम पर वसूली का मामला आया था सामने;
रीवा के सुपर स्पेशलिटी अस्पताल (Super Speciality Hospital Rewa) में फिर आयुष्मान फर्जीवाड़ा (Ayushman Forgery) सामने आया है. इस मर्तबा आयुष्मान कार्डधारी (Ayushman Card Holder) के नाम से कोई और ही इलाज करा लिया. फर्जी तरीके से कार्डधारी के नाम से कोई और एंजियोप्लास्टी करा लिया. इसका भांडा फूटा लेकिन मामले को प्रबंधन दबाने में जुट गया है. पीड़ित कमिश्नर और पुलिस थाना में शिकायत करने की तैयारी कर ली है.
रीवा के एसजीएमएच और सुपर स्पेशलिटी अस्पताल में आयुष्मान का फर्जीवाड़ा चल रहा है. फर्जी तरीके से आयुष्मान कार्ड बनाए जा रहे हैं. मरीजों से रुपए लेकर अपात्रों को भी आयुष्मान कार्ड थमाया जा रहा है. ऐसा ही मामला सुपर स्पेशलिटी में सामने आ चुका है. आयुष्मान मित्र ने कइयों को इसी तरह हजारों रुपए की चपत लगाई थी. इसकी शिकायत हुई तो मामले का खुलासा हुआ. अब जिनके फर्जी कार्ड बनाए गए थे, उनका साइड इफेक्ट भी सामने आने लगा है. पात्र हितग्राहियों के आयुष्मान कार्ड पर कोई और इलाज ले रहा है. ऐसा ही मामला हाल ही में सामने आया है.
एसजीएमएच में इलाज कराने पहुंची महिला मरीज ने जब आयुष्मान कार्ड को रजिस्टर्ड कराने की कोशिश की तो पता चला कि वह सुपर स्पेशलिटी में पहले से ही भर्ती हैं. मार्च से उनका इलाज जारी है. यह सुनकर ही उनके होश उड़ गए. इसकी शिकायत उन्होंने सुपर स्पेशलिटी अस्पताल में पहुंच कर अधीक्षक से की. इसके बाद आनन फानन में एक्टिव कार्ड को क्लोज किया गया. ऐसे कई आयुष्मानकार्डधारी हैं जिन्हें ठगा गया है. जिनके खाते से किसी और अपात्र को इलाज मुहैया कराया गया है. इस खेल में अस्पताल के स्टाफ का ही हाथ है लेकिन उन्हें संरक्षण दिया जा रहा है.
यह है पूरा मामला
प्रतिमा मिश्रा निवासी रीवा दो दिन पहले एसजीएमएच इलाज कराने पहुंची. इनके पेट में दर्द था. डॉक्टर ने भर्ती करके इलाज करने की बात कही. उन्होंने आयुष्मान कार्ड से रजिस्ट्रेशन के लिए भेजा. आयुष्मान काउंटर में जैसे ही प्रतिमा मिश्रा का नंबर इंटर किया गया तो पता चला कि वह मार्च से ही सुपर स्पेशलिटी में भर्ती हैं और उनका इलाज जारी है. सुपर स्पेशलिटी प्रतिमा मिश्रा के पति पहुंचे. वहां काउंटर पर जब आयुष्मान नंबर से सर्च कराया गया तो वहां भी सारी जानकारी प्रतिमा मिश्रा की ही दिखाई जा रही थी लेकिन पता किया गया तो कोई और ही इलाज कराकर चलता हो गया. मामला सामने आने के बाद आनन-फानन में फर्जी तरीके से डिस्चार्ज किया गया.
बिना इलाज कराए ही खाली हो गया खाता
आयुष्मान योजना के तहत हितग्राही को कहीं भी 5 लाख रुपए तक का इलाज सरकार ने निःशुल्क किया हुआ है. इसमें कई बीमारियों और इलाज को शामिल किया गया है. ऐसे में मरीज के पति ने बताया कि पिछले साल सुपर स्पेशलिटी की ओपीडी में पत्नी को दिखाया गया था. उन्हें भर्तीीं नहीं किया गया था. ऐसे में आयुष्मान का फायदा भी नहीं मिला था. आयुष्मान कार्ड की फोटो कापी जरूर जमा की गई थी. सीटी स्केन डॉक्टर ने लिखा था लेकिन उसकी भी फीस लगी थी. उसी दौरान ही लिए गए आयुष्मान कार्ड का दुरुपयोग किया गया. जिस महिला मरीज को स्वास्थ्य लाभ दिया गया. उसके कार्ड में फोटो नहीं थी. नाम के कालम में भी सरनेम नहीं था.
आयुष्मान मित्र को किया गया था बाहर
सुपर स्पेशलिटी अस्पताल में आयुष्मानकार्ड के नाम पर बड़ा फर्जीवाड़ा चल रहा है. ऐसा ही मामला कुछ दिन पहले ही सामने आया था. इसमें एक लिपिक के पुत्र की संलिप्तता मिली थी. इसकी शिकायत भी पीड़ित ने दर्ज की थी. करीब 70 हजार रुपए की डिमांड मरीज के परिजनों से की गई थी. आयुष्मान कार्ड फर्जी तरीके से बनाकर लाभ देने की तैयारी थी. जांच के बाद हालांकि संबंधित कर्मचारी को बाहर का रास्ता दिखा दिया गया था. अब उसी फर्जीवाड़े का शिकार पात्र आयुष्मानकार्डधारी हो रहे हैं. फर्जी कार्ड बनाकर अपात्रों का इलाज करा दिया गया. पात्र अब भटक रहे हैं. उनका खाता ही खाली हो गया है.
इस तरह होता है खेल
सुपर स्पेशलिटी अस्पताल में फर्जी तरीके से आयुष्मान बनाने वाला गिरोह की सक्रिय है. यह गिरोह मरीजों को डॉक्टरों की शह पर फांसता है. मरीजों को फ्री में इलाज कराने का प्रलोभन देता है. किसी सिमिलर नाम के आयुष्मान कार्डधारी के नाम का कार्ड बनाकर जरूरतमंद को देता है. इसके बदले संबंधित व्यक्ति से मोटी रकम सीधे गिरोह ही वसूल लेता है. फर्जी तरीके से बनने वाले आयुष्मान कार्ड में मरीज का सिर्फ नाम ही होता है. सरनेम पति या पिता नाम नहीं होता. फोटो तक गायब रहती है. आयुष्मान मित्र इसी फर्जीवाड़े के आधार पर राशि भी स्वीकृत करा लेते हैं.
नाम में थोड़ा कन्फ्यूजन हो गया होगा. नाम से सर्च करने पर यह दिक्कत हुई होगी जो मरीज भर्ती हुई थी वह प्रतिमा श्रीवास्तव है. - डॉ अक्षय श्रीवास्तव, अधीक्षक, सुपर स्पेशलिटी अस्पताल रीवा
आयुष्मान नंबर रजिस्ट्रेशन कराने गए थे तो पता चला कि उनका इलाज चल रहा है. मार्च से भर्ती हैं. नंबर से सर्च कराया गया था. सुपर स्पेशलिटी गए तो वहां भी यही बोला गया. बिना भर्ती किए ही मरीज के आयुष्मान कार्ड का उपयोग हो गया. इसकी शिकायत पुलिस थाना और कमिश्नर से करेंगे. - प्रतिमा के पति आयुष्मान कार्डधारी, रीवा