प्रयागराज में अतीक-अशरफ के आतंक से सबसे अधिक मुस्लिम ही पीड़ित थे, 20 बड़े क्रिमिनल केस में 13 मुस्लिमों के; अपने सगों का भी सागा नहीं था
अपने रिश्तेदार व पड़ोसी को भी नहीं बख्शा था अतीक ने, अशरफ नाम के भाजपा नेता की हत्या सिर्फ इसलिए क्योंकि उसका नाम उसके भाई का नाम एक था.
अतीक अहमद और अशरफ अहमद के आतंक से सिर्फ राजूपाल, उमेश पाल, मोहित जायसवाल व सूरज कली का परिवार ही पीड़ित नहीं था. 44 साल के आपराधिक जीवन में उसके जुल्मों से पीड़ित लोगों में मुस्लिम समाज की भी लंबी सूची है. अतीक के खिलाफ सबसे ज्यादा आपराधिक मामले मुस्लिमों ने ही दर्ज कराए हैं. 20 बड़े मामलों में से 13 पीड़ित मुस्लिम समुदाय से ही हैं.
आइये जानते हैं कुछ बड़े मामलों के बारे में...
नाबालिग बच्चियों को अगवा, दुष्कर्म का आरोप
अशरफ पर तो मदरसे से तालीम ले रही दो नाबालिग बच्चियों को अगवा कर, रातभर दुष्कर्म कर सुबह मदरसे के गेट पर लहूलुहान हालत में फेंकने का भी आरोप है.
रिश्तेदारों का भी सगा नहीं था अतीक
अतीक ने अपने रिश्तेदारों को भी नहीं बख्शा. वह जमीन पर कब्जे के लिए खौफनाक कदम उठाता था. उसके गांव कसारी मसारी के जीशान उर्फ जानू अतीक के साढू इमरान जई के छोटे भाई हैं. अतीक ने जीशान की जमीन कब्जा करने के लिए उसके घर को जेसीबी से गिरवा दिया था. उससे पांच करोड़ की रंगदारी भी मांगी. पिटवाया भी जीशान ने अतीक के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराई थी. सभासद अशफाक कुन्नू की 1994 में हुई हत्या में अतीक और अशरफ पर आरोप लगे. घटना के पांच साल बाद 1999 में तब के एसपी सिटी लालजी शुक्ला ने अशफाक कुन्नू हत्याकांड में अशरफ की गिरफ्तारी की. तब प्रदेश में भाजपा की सरकार थी.
करीबी पार्षद की हत्या
अतीक पर उसके अपने करीबी पार्षद नस्सन की हत्या का भी आरोप है. नस्सन ने अतीक के खिलाफ आवाज उठानी शुरू कर दी थी. 2001 में नस्सन को अतीक ने चकिया में गोलियों से छलनी कर दिया था.
भाई और भाजपा नेता का नाम एक था... इसलिए नेता को मरवा दिया
भाजपा नेता अशरफ की अतीक ने 2003 में गोली मारकर हत्या कर दी. चकिया में अतीक के घर के सामने ही अशरफ का घर था. अतीक ने भाजपा नेता का नाम उसके भाई के नाम पर होने की वजह से उसे मौत के घाट उतार दिया था. अतीक को यह पसंद नही था कि उसके नाम का व्यक्ति भाजपा के लिए काम करे. अशरफ की हत्या के बाद उसके शव को लेकर अतीक के गुर्गे भाग गए थे.
132 आपराधिक केस को हाईकोर्ट ने रद्द कर दिया था
1989 में प्रयागराज के झालना इलाके में बृजमोहन उर्फ बच्चा कुशवाहा की साढ़े बारह बीघे जमीन पर कब्जा कर लिया था. विरोध करने पर अतीक ने बृजमोहन को गायब करवा दिया, जिसका आज तक पता नहीं चला. बाद में उसने बच्चा कुशवाहा के बेटे और उसकी पत्नी सूरज कली को मारने-पीटने के साथ कई बार हमले करवाए. अतीक पर 101 आपराधिक केस दर्ज थे. 2007 के बाद मायावती सरकार में दर्ज किए गए 132 आपराधिक केस को हाईकोर्ट ने रद्द कर दिया था. मुलायम सिंह की सरकार ने अतीक पर दर्ज 4 केस वापस ले लिए थे.
अतीक-अशरफ की हत्या की जांच के लिए 2 SIT गठित
अतीक अहमद और अशरफ की हत्या की जांच के लिए यूपी में 2 एसआईटी गठित की गई हैं. पहली, डीजीपी आरके विश्वकर्मा ने और दूसरी एसआईटी प्रयागराज कमिश्नर रमित शर्मा ने बनाई है. रविवार को सरकार ने न्यायिक अयोग का गठन किया था. यानी अब तीन स्तर पर इस हत्याकांड की जांच होगी. इधर, सोमवार को सुप्रीम कोर्ट में दो याचिका दाखिल की गई हैं. वकील विशाल तिवारी और पूर्व आईपीएस अमिताभ ठाकुर ने याचिका दाखिल कर इस हत्याकांड की सीबीआई से जांच की मांग की है.
प्रयागराज में इंटरनेट सर्विस दूसरे दिन भी बंद रखी गई है. रविवार को भी इंटरनेट बंद था. अतीक और उसके भाई अशरफ पर फायरिंग करने वाले शूटर्स अरुण मौर्य, सनी सिंह और लवलेश तिवारी को नैनी सेंट्रल जेल से प्रतापगढ़ जेल शिफ्ट किया गया है. नैनी जेल में अतीक का बेटा अली अहमद कैद है. ऐसे में गैंगवार के खतरे को देखते हुए तीनों शूटर्स की जेल बदली गई है. इससे पहले हमला करने वाले तीनों शूटर्स को 14 दिन की न्यायिक हिरासत में भेजा गया था.