सीमा में भारतीय-चीनी सैनिकों के भिड़ंत में क्यों नहीं चलती गोलियां, यहाँ जानिए...

लद्दाख. 45 वर्षों बाद भारतीय और चीनी सामने एक दूसरे के सामने हिंसक हो गए हैं. इस बीच दोनों ओर से एक भी गोलियां नहीं चली. कटीले तारों को डंडों ;

Update: 2021-02-16 06:24 GMT

लद्दाख. 45 वर्षों बाद भारतीय और चीनी सेना सामने एक दूसरे के सामने हिंसक हो गए हैं. भारत के 20 जवान शहीद हो गए जबकि चीन के 43 से अधिक जवानों के हताहत होने की खबर है. इस बीच दोनों ओर से एक भी गोलियां नहीं चली. कटीले तारों को डंडों में बांधकर चीन की सेना ने बातचीत के दौरान हमला बोला. क्या आप जानते हैं दोनों देशों की तरफ से गोलियां न चलने की वजह ? 

आईये जानते हैं आखिर किस वजह से भारतीय-चीनी सीमा में सैनिकों के भिड़ंत में क्यों नहीं चलती गोलियां

इसके पीछे का कारण दोनों देशों के बीच हुआ एक समझौता है, जो 1993 में हुआ था. जो तत्कालीन प्रधानमंत्री पीवी नरसिम्‍हा राव ने चीन की यात्रा के दौरान किया था. 

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चीन के साथ लगी लाइन ऑफ एक्‍चुअल कंट्रोल (LAC) करीब 3,488 किलोमीटर की है, जबकि चीन मानता है कि यह बस 2000 किलोमीटर तक ही है. साल 1991 में तत्‍कालीन चीनी प्रधानमंत्री ली पेंग भारत दौरे पर आए थे. तब तत्‍कालीन प्रधानमंत्री पीवी नरसिम्‍हा राव ने ली के साथ एलएसी शांति और स्थिरता बनाए रखने को लेकर बातचीत की थी.

इसके बाद भारत के तत्कालीन प्रधानमंत्री नरसिम्हा राव साल 1993 में चीन के दौरे पर गए. इसी दौरान दोनों देशों के बीच एलएसी पर शांति बरकरार रखने के लिए एक समझौता किया गया. समझौते के तहत 9 बिंदुओं पर आम सहमति बनी. इसमें से आठ बहुत महत्‍वपूर्ण माने गए थे. समझौते को भारत के तत्‍कालीन विदेश राज्‍य मंत्री आर एल भाटिया और तत्‍कालीन चीनी उप विदेश मंत्री तांग जियाशुआन ने साइन किया था.

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समझौते की मुख्य बात यह थी कि भारत-चीन सीमा विवाद को शांतिपूर्ण तरीके से हल करने पर जोर दिया जाएगा. इसमें तय हुआ कि दूसरे पक्ष के खिलाफ बल या सेना प्रयोग की धमकी नहीं दी जाएगी और ना ही गोलियां चलाई जाएगी. दोनों देशों की सेनाओं की गतिविधियां वास्तविक नियंत्रण रेखा से आगे नहीं बढ़ेंगी. अगर एक पक्ष के जवान वास्तविक नियंत्रण की रेखा को पार करते हैं, तो उधर से संकेत मिलते ही तत्काल वास्‍तवित नियंत्रण रेखा में वापस चले जाएंगे.
दोनों देशों के बीच मैत्रीपूर्ण संबंधों के लिए वास्तविक नियंत्रण रेखा पर हर पक्ष की ओर से कम से कम सैन्य बल रखा जाए. नियंत्रण रेखा पर सैन्य बलों की सीमा, इसकी संख्या बढ़ाने आदि के लिए दोनों देशों के बीच आपसी सलाह-मशवरा करके निर्धारित होगा.

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समझौते के अनुसार दोनों पक्ष विश्वास बहाली के उपायों के जरिये वास्तविक नियंत्रण रेखा के इलाकों में काम करेंगे. सहमति से पहचाने गए क्षेत्रों में कोई भी पक्ष सैन्य अभ्यास के स्तर पर कार्य नहीं करेगा. हर पक्ष इस समझौते के तहत वास्तविक नियंत्रण रेखा के पास अलग-अलग स्तरों के सैन्य अभ्यास की पूर्व सूचना देगा.
भारत चीन की LAC पर दोनों तरफ से हवाई घुसपैठ न हो इसके लिए समझौते में तय किया गया दोनों देशों की एयरफोर्स सीमा क्रास नहीं करेंगी. दोनों पक्ष वास्तविक नियंत्रण की रेखा पर स्थित क्षेत्रों में एयर एक्‍सरसाइज या हवाई अभ्यास पर संभावित प्रतिबंधों पर भी विचार करेंगे.

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1993 के समझौते के अनुसार सीमा से जुड़े मसलों पर दोनों देशों की तरफ से एक ज्‍वॉइन्‍ट वर्किंग ग्रुप बनाया जाएगा जिसमें कूटनीति और सेना के विशेषज्ञ होंगे. ग्रुप का गठन भी आपसी परामर्श से होगा.
इस तरह के तमाम समझौतों के बावजूद एलएसी पर जवानों के शहीद होने की खबर आई है. भारतीय सेना की ओर से जारी किए गए आधिकारिक बयान में कहा गया है, ‘गलवान घाटी में सोमवार की रात को डि-एस्केलेशन की प्रक्रिया के दौरान भारत और चीन के सैनिकों के बीच हिंसक झड़प हुई. इस दौरान भारतीय सेना के एक अफसर और 19 जवान शहीद हो गए हैं. दोनों देशों के वरिष्ठ सैन्य अधिकारी इस वक्त इस मामले को शांत करने के लिए बड़ी बैठक कर रहे हैं’.

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