पिछले महीने चोरी हुई क्षत्रपति शिवाजी की मूर्ति अमेरिका के कबाड़खाने में मिली!
The statue of Kshatrapati Shivaji stolen last month was found in a junkyard in America: यह मूर्ति कैलिफोर्निया के सैन जोस शहर के एक पार्क से पिछले महीने चोरी कर ली गई थी.;
The statue of Kshatrapati Shivaji found in a junkyard in America: संयुक्त राष्ट्र अमेरिका में मराठा सम्राट क्षत्रपति शिवजी का अपमान हुआ है. यहां एक कबाड़ख़ाने से शिवाजी महाराज की प्रतिमा बरामद की गई है. दरअसल USA के कैलिफोर्निया के सैन जोस शहर के एक पार्क से पिछले महीने उत्तरी अमेरिका में छत्रपति शिवाजी की एकमात्र मूर्ति चोरी कर ली गई थी. जिस जगह में क्षत्रपति महाराज की चोरी हुई मूर्ति मिली है, वह केलिफोर्निया के अवैध गतिविधियों के नाम से बदनाम है.
पुणे की तरफ से अमेरिका को गिफ्ट में दी गई थी
बताया गया है कि क्षत्रपति शिवजी महाराज की यह मूर्ति महाराष्ट्र के जिले पुणे की तरफ से अमरीका के सैन जोस को उपहार स्वरुप भेंट की गई थी. द मर्करी न्यूज़ में प्रकाशित एक खबर के अनुसार 1999 में पुणे ने सैन जोस को यह प्रतिमा दी थी. जिसे केलिफोर्निया के सैन जोस शहर के एक पार्क में स्थापित किया गया था.
बीते कई सालों से यह प्रतिमा सैन जोस पार्क की शोभा बढ़ा रही थी और अमेरिका में मराठा साम्राज्य की शक्ति को प्रदर्शित कर रही थी. मगर बीते 31 जनवरी ग्वाडालूप रिवर पार्क से यह मूर्ति चोरी हो गई थी.
कबाड़ख़ाने में मिली शिवाजी महाराज की मूर्ति
मूर्ति चोरी होने के बाद केलिफोर्निया पुलिस इसकी तलाश में जुट गई थी. जिसके बाद 9 फरवरी को यह शहर के अवैध गतिविधियों के गढ़ माने जाने वाले एक कबाड़खाने से बरामद हुई. बताया जाता है कि इस मूर्ति का वजन 200 किलोग्राम है.
फ़िलहाल इस मामले में कोई गिरफ़्तारी नहीं हुई है. कबाड़खाने के कर्मचारियों ने ज्यादा जानकारी नहीं दी है. उन्होंने बस इतना बताया कि 29 जनवरी को दो पुरुष और एक महिला इस मूर्ति को यहां छोड़ गए थे.
सैन जोस-पुणे सिस्टर सिटी ऑर्गनाइजेशन के अध्यक्ष सुनील केलकर ने इस मामले में कहा कि, मूर्ति बरामद होने से हम खुश हैं लेकिन यह दुखद है कि मूर्ति के पैर काट दिए गए हैं. केलकर ने इस मूर्ति को पुन: स्थापित करने पर सवाल उठाया है.
रिपोर्ट के अनुसार, सैन जोस के मेयर मैट महान ने इस संबंध में कहा कि, 'यह प्रतिमा हमारे भारतीय समुदाय के लिए अविश्वसनीय मूल्य रखती है, योद्धा-शासक शिवाजी के लिए हमारे साझा गौरव और सम्मान को गले लगाती है.'