EVM मशीनों पर क्यों घट रहा विश्वास? खबर पढ़ रह जाएंगे दंग...
EVM मशीनों पर क्यों घट रहा विश्वास? खबर पढ़ रह जाएंगे दंग...भोपाल । भारत निर्वाचन आयोग के लाख दावों के बावजूद ईवीएम (EVM) मशीनों को लेकर;
EVM मशीनों पर क्यों घट रहा विश्वास? खबर पढ़ रह जाएंगे दंग…
भोपाल । भारत निर्वाचन आयोग के लाख दावों के बावजूद ईवीएम (EVM) मशीनों को लेकर विश्वास घटता जा रहा है। निर्वाचन आयोग का कहना है कि इसमें किसी प्रकार की छेड़छाड़ संभव नहीं है। फिर भी वर्ष 2014 के लोकसभा चुनाव में घोषित परिणाम के बाद राज्यों में अप्रत्याशित परिणामों ने कहीं न कहीं शंकाओं को जन्म दिया है।
हाल ही में पूर्व आईएएस ने भारत निर्वाचन आयोग को पत्र लिखकर ईवीएम मशीनों सहित वीवीपैट पर गंभीर सवाल खड़ा किया था। लेकिन आईएएस के सवाल का जवाब भारत निर्वाचन आयोग नहीं दे पाया है। अब ऐसे लोगों की संख्या में बढ़ती जा रही है जो आधुनिक चुनाव प्रणाली के लिए उपयोग होने वाली ईवीएम मशीन एवं वीवीपैट की विश्वसनीयता पर सवाल उठाने लगे हैं और भाजपा की जबरदस्त जीत का मुख्य कारण मानने लगे हैं। लेकिन लोग भयवश खुलकर सामने नहीं आ पा रहे हैं।
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दूसरी ओर ईवीएम मशीनों को हैक करने का खुलासा दूसरे देश कर चुके हैं। इसके बावजूद भारत निर्वाचन आयोग सफाई देने पर तुला है। किंतु भारतीय लोकतंत्र के वजूद को बचाने बैलेट पेपर से चुनाव कराना जरूरी हो गया है।
अमेरिका जैसे विकसित देश ईवीएम मशीनों का उपयोग बंद कर चुके हैं।
आधुनिक चुनावी प्रणाली में ईवीएम के साथ ही एक अन्य मशीन का उपयोग होने लगा है। जो वीवीपैट के नाम से जानी जाती है। बैलेट यूनिट और कंट्रोल यूनिट के मध्य वीवीपैट मशीनों को कनेक्ट किया जाता है।
पहले वाली ईवीएम मशीनों में बैलेट यूनिट में प्रेस करते ही आपका वोट सीधे कंट्रोल यूनिट में पहंुच जाता था। लेकिन वीवीपैट मशीनों का इस्तेमाल होने के उपरांत आपा दिया गया वोट सीधे ईवीएम मशीनों के कंट्रोल यूनिट में नहीं पहुंचता। यह मामला काफी संवेदनशील है।
बताया गया है कि बैलेट यूनिट और कंट्रोल यूनिट के बीच वीवीपैट मशीनों को कनेक्ट किया जाता है। घोषित तौर पर इस वीवीपैट मशीनों में एक इलेक्ट्रानिक डिवाइस लगाई जाती है? इसमें फीडिंग का काम सरकारी देखरेख में किया जाता है। पहले ईवीएम शमीनों को चुनाव में खड़े कैंडिडेट्स के बारे में जानकारी नहीं होती थी लेकिन वीवीपैट मशीन आने के बाद यह भी संभव हो गया।
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निर्वाचन ने दिया टेस्ट का आप्शन
जानकारी अनुसार ईवीएम मशीनों में केवल बैलेट यूनिट और कंट्रोल यूनिट की मौजूदगी रही तो लोगों के बीच मशीन में डाले गये वोट पर संशय की स्थिति निर्मित हुई। फिर डाले गये वोट देखने के लिए भारत निर्वाचन आयोग के माध्यम से वीवीपैट मशीनों को लागू कर दिया गया। लेकिन जब भी ईवीएम मशीन की विश्वसनीयता पर सवाल उठाये गये तो निर्वाचन आयोग टेस्ट ईवीएम का आप्शन देकर संतुष्ट करा दिया गया।
जन आंदोलन से होगा समाधान
लोकतांत्रिक व्यवस्था वाले भारत देश में निष्पक्ष चुनाव प्रक्रिया महत्वपूर्ण है। तभी देश का समुचित विकास संभव हो सकता है। ईवीएम मशीन यूपीए सरकार की देन है। देश में पहली बार ईवीएम मशीन का इस्तेमाल नवंबर 1998 में आयोजित 16 विधानसभा चुनावों में किया गया।
यूपीए के दूसरे कार्यकाल में करप्शन बड़ा मुद्दा बना। समाजसेवी अन्ना हजारे, बाबा रामदेव ने आंदोलन किया जो भाजपा के लिये फायदेमंद साबित हुआ। लोकसभा चुनाव 2014 में भाजपा ने बड़ी जीत हासिल की। लेकिन धीरे-धीरे ईवीएम मशीन की विश्वसनीयता पर सवालिया निशान लगने लगे। अब चुनाव में इसका इस्तेमाल बंद कराने के लिए लोगों को जन आंदोलन करना होगा तभी रोक लग पाएगी।
दिग्विजय सिंह ने उठाये सवाल
मप्र में 28 विधानसभा सीटों के उपचुनाव की वोटिंग जारी है। इस दौरान पूर्व मुख्यमंत्री एवं वरिष्ठ कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह आधुनिक चुनाव प्रणाली ईवीएम की विश्वसनीयता पर सवाल उठाया है। उन्होंने कहा कि विकसित देश ईवीएम पर भरोसा नहीं करते हैं। कुछ छोटे देश एवं भारत में ईवीएम का उपयोग किया जा रहा है। ईवीएम पर भरोसा नहीं है। क्योंकि जिसमें चिप है वह हैक हो सकती है।