ठेकेदारो से तंग SHIVRAJ सरकार अब खुद शराब बेचने की तैयारी में, पढ़िए..
ठेकेदारो से तंग SHIVRAJ सरकार अब खुद शराब बेचने की तैयारी में, पढ़िए..भोपाल। जबलपुर हाईकोर्ट ने शराब दुकानें खोलने के मामले में
ठेकेदारो से तंग SHIVRAJ सरकार अब खुद शराब बेचने की तैयारी में, पढ़िए..
भोपाल। जबलपुर हाईकोर्ट ने शराब दुकानें खोलने के मामले में सुनवाई करते हुए ठेकेदार को अग्रिम राहत दी है। SHIVRAJ सरकार को नोटिस भेजकर बुधवार को हाईकोर्ट इस मामले में अपना फैसला सुनाएगा। इधर, सूत्रों के मुताबिक यदि शराब ठेकेदार दुकानें खोलने से पीछे हटते हैं तो सरकार खुद शराब बेचने का फैसला ले सकती है।रीवा: बोदाबाग की महिला की रिपोर्ट आई निगेटिव, आनंद नगर में घोषित कंटेनमेंट एरिया को समाप्त किया गया
मध्यप्रदेश के आबकारी विभाग भी कोर्ट के निर्णय के आधार पर शराब दुकानों के संचालन के अन्य तरीकों पर विचार करेगा। सूत्रों के मुताबिक सरकार का आबकारी विभाग ठेकेदारों को छोड़ सीधे ही शराब की बिक्री कर सकता है।
न्यायालय ने 27 मई के बाद दुकानें संचालित नहीं किए जाने पर ठेकेदारों को आबकारी विभाग और जिला प्रशासन की ओर से दिए जा रहे नोटिसों को कोर्ट की अवमानना माना है। शासन को नोटिस देकर लिखित में जवाब मांगा गया है। साथ ही कोर्ट ने आबकारी विभाग को उनके खिलाफ कोई भी कार्रवाई नहीं करने के निर्देश दिए हैं।
फैसले पर तय होगा दुकानों का भविष्य भोपाल, इंदौर, उज्जैन और राजगढ़ समेत प्रदेश की 75 फीसदी शराब दुकानें बंद चल रही हैं। खरगौन में प्रशासन खुद शराब दुकानों का संचालन कर रहा है। आबकारी विभाग शराब कारोबारियों को शुल्क लेकर दो माह अतिरिक्त ठेका संचालन और दस फीसदी कीमत में इजाफे की अनुमति दिए जाने जैसी राहत दे चुका है। पर शराब के कारोबारी इससे भी संतुष्ट नहीं हैं। प्रदेश के शराब कारोबारी लाकडाउन अवधि का ठेका शुल्क माफ करने और मौजूदा ठेके निरस्त कर वर्तमान परिस्थितियों के मुताबिक नए सिरे से ठेके करने या फिर खपत के ाधार पर लाइसेंस फीस लिए जाने की मांग कर रहे हैं।
ठेका राशि निकालना मुश्किल मध्यप्रदेश लिकर एसोसिएशन के राहुल जायसवाल कहते हैं कि हाईकोर्ट के निर्णय के आधार पर दुकानें खोलने का निर्णय लिया जाएगा। लॉकडाउन के कारण स्थितियां बदल गई हैं। अब शराब की बिक्री काफी कम हो गई हैं। ऐसे में ठेका राशि निकलना मुश्किल हो गया है।
फैसले के बाद निर्णय करेंगे आबकारी आयुक्त राजीव दुबे कहते हैं कि हाईकोर्ट का निर्णय आ जाए, उसके बाद विभाग निर्णय करेगा कि शराब की दुकानें चलाने से ठेकेदार पीछे हटते हैं, तो इस स्थिति में शराब की दुकानों का संचालन कैसे किया जाएगा।
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