भरहुत से प्राप्त अवशेष दिल्ली, कलकत्ता, खजुराहो, इलाहाबाद संग्रहालयों की शोभा बढ़ा रहे और भरहुत अपनी दुर्दशा पर आंसू बहा रहा
भरहुत को विश्व स्तरीय पर्यटन स्थल के रूप में विकसित करने की मांग लंबे समय से की जा रही है लेकिन शासन-प्रशासन से जनप्रतिनिधि तक कोई ध्यान
भरहुत से प्राप्त अवशेष दिल्ली, कलकत्ता, खजुराहो, इलाहाबाद संग्रहालयों की शोभा बढ़ा रहे और भरहुत अपनी दुर्दशा पर आंसू बहा रहा
रीवा। प्राचीन वैभव की कहानी गढ़ता मध्यप्रदेश के सतना जिले के उचेहरा जनपद पंचायत अंतर्गत स्थित भरहुत बौद्ध स्तूप शासन-प्रशासन की उपेक्षा का शिकार है। भरहुत को विश्व स्तरीय पर्यटन स्थल के रूप में विकसित करने की मांग लंबे समय से की जा रही है लेकिन शासन-प्रशासन से जनप्रतिनिधि तक कोई ध्यान नहीं दे रहे।
उचेहरा विकासखंड अंतर्गत आने वाला स्थल बौद्ध कालीन प्राचीन परम्परा के लिये न केवल पूरी दुनिया में विख्यात रहा है बल्कि नालंदा के बाद शिक्षा का प्रमुख केंद्र बिंदु रहा है।
पूरी दुनिया में यह ऐतिहासिक स्थल अपनी अलग पहचान रखता है लेकिन वर्तमान में उपेक्षा का शिकार है। आश्चर्य की बात है कि Bharhut से प्राप्त प्राचीन अवशेष कलकत्ता, खजुराहो, दिल्ली, इलाहाबाद स्थित संग्रहालयों की शोभा बढ़ा रहे हैं जबकि भरहुत अपनी दुर्दशा पर आंसू बहा रहा है।
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विश्व स्तरीय पुरातात्विक एवं ऐतिहासिक स्थल Bharhut के प्राचीन वैभव की वापसी के लिए सांसद, विधायक एवं क्षेत्रीय जनप्रतिनिधियों ऐतिहासिक स्थल के साथ सौतेला व्यवहार किया जा रहा है। कांग्रेस नेता अतुल सिंह ने भरहुत के प्राचीन वैभव की वापसी के लिए सार्थक पहल करने की मांग की है।
महोत्सव आयोजित करने की मांग
Bharhut की ऐतिहासिक यादों को चिर स्थायी बनाने के लिये राष्ट्र स्तरीय भरहुत महोत्सव आयोजित करने की मांग अतुल सिंह द्वारा की गई है। उन्होंने कहा कि इससे अपनी पहचान खोते जा रहे भरहुत के पुराने वैभव की न केवल वापसी होगी बल्कि क्षेत्र के विकास में उत्तरोवृद्धि होगी। अतुल सिंह ने भरहुत से प्राप्त अवशेषों को दिल्ली, कलकत्ता, खजुराहो, इलाहाबाद के संग्रहालयों से वापस लाकर भरहुत में ही संग्रहालय स्थापित करने की मांग की है।