सूरत से सिंगरौली लौट रहें सुंदर की सतना में थम गई सांसे, अब मौत पर कोरोना का संदेह
सूरत से अपने घर सिंगरौली के लिए निकले सुंदर का सफर उसके मंजिल से 220 किमी पहले सतना में ही थम गया। उसकी सांसे उस वक़्त टूटी जब वह हज़ारों किमी
सूरत से सिंगरौली लौट रहें सुंदर की सतना में थम गई सांसे, अब मौत पर कोरोना का संदेह
सिंगरौली/सतना। कोरोना वायरस के बीच लागू लॉकडाउन में वहां रहकर करते भी क्या, जहाँ दो वक़्त की रोटी नसीब नहीं हो पा रही थी। इसलिए गुजरात के सूरत से अपने घर सिंगरौली के लिए निकले सुंदर का सफर उसके मंजिल से 220 किमी पहले सतना में ही थम गया। उसकी सांसे उस वक़्त टूटी जब वह हज़ारों किमी का सफर पूरा कर चुका था। अब मौत के बाद गुजरात के सूरत से आने की वजह से और अचानक मौत हो जाने से उस पर कोरोना का संदेह जताया जा रहा है। लिहाजा अंतिम संस्कार भी सतना में ही करना होगा, अन्यथा कोरोना की रिपोर्ट आने तक का इंतज़ार।
एक मई को शुरू हुआ था मौत का सफर
सिंगरौली के सुंदर की मौत के सफर की शुरुआत एक मई को अपने 9 साथियों के साथ हुई जब उसे पता चला था कि एक बस सूरत से मध्यप्रदेश जा रही है। आनन फानन में सभी लोग उस बस में सवार हो गए। लेकिन दतिया में उनके इस सफर को विराम तब लग गया जब उन्हें उतार दिया गया। घर पहुंचने की ललक ने उनका साहस बढ़ाया और पैदल ही सभी आगे के लिये रवाना हो गए। 2 मई को छतरपुर पहुंचे तो सुंदर सहित सभी 9 साथी थक चुके थे। एक एक कदम पहाड़ सा हो गया था आगे बढऩा।
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34 हजार में खरीदी साइकिलें
बेदम होते जा रहे शरीर को देखते हुए सभी 9 लोगों ने 3800 रुपये के हिसाब से एक-एक साइकिल खरीदी। खाने को कुछ यहां भी नहीं मिला। खाली पेट पानी पिया, भगवान का नाम लिया और घर वाले के हंसते चेहरों को याद करते हुए आगे का सफर शुरू कर दिए। पेट भरने के लिये मदद की गुजारिश भी की गई लेकिन बेगैरत समाज से कुछ न मिला। थोड़े बहुत पैसों से खरीदे बिस्कुट नमकीन के सहारे चलते रहे। पन्ना पहुंचते पहुंचे सुंदर का शरीर जवाब देने लगा। शरीर तपने लगा और उल्टियां भी होने लगी।
किसी तरह सतना पहुंचे
कमजोर हो चुके शरीर के साथ घर पहुंचने की आस में सुंदर ने तपते शरीर के बीच भी साइकिल के पहिये नहीं थमने दिये। धीरे धीरे उसके साथी आगे बढ़ते जा रहे थे लेकिन उसके दो साथी जरूर साथ चल रहे थे। किसी तरह हिम्मत करते करते सतना शहर की सीमा तक पहुंच गए। लेकिन यहां सुंदर के दम ने जवाब दे दिया। सांसे उखड़ रही थी। सो चेक पोस्ट पर ही साइकिल खड़ी कर लेट गया। साथियों ने पुलिस वालों से मदद की गुहार लगाई। 108 बुलाई गई और सुंदर जिला अस्पताल ले जाया गया।
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तपता बदन तेज सांसे और भेज दिया कोरोना वार्ड
सुंदर जब जिला अस्पताल पहुचा तो जांच में उसका शरीर बुरी तरह से तप रहा था। सांसे भी बमुश्किल ले पा रहा था। सभी लक्षण कोरोना के थे। आनन फानन में उसे कोविड केयर वार्ड में दाखिल कराया गया। तमाम प्रयास के बाद भी सुंदर की सांसे सामान्य नहीं हो पा रही थी। आसानी से वह सांस तक नहीं ले पा रहा था। हालात की गंभीरता को देखते हुए उसे रीवा रेफर किया गया।
और बीच रास्ते दुनिया को अलविदा कर गया सुंदर
जिला अस्पताल सतना से रीवा के लिये ङ्क्षजदा रहने के लिए भेजा गया सुंदर वहां तक पहुंच ही नहीं सका। 20 मिनट तक ही वह अपनी सांसे समेट पाया और माधवगढ़ पहुंचते ही उसकी सांसों ने उसका साथ छोड़ दिया। उसके साथ जा रहे दोनों साथी बिलख पड़े अपने सुंदर को विदा होते देख। आनन फानन में एम्बुलेंस चालक को बताया और वापस एंबुलेंस जिला अस्पताल लाई गई।
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दो बेटों के सिर से उठा पिता का साया
साथियों ने बताया कि सुंदर अपने माता-पिता का इकलौता बेटा था। उसके दो छोटे-छोटे बेटे हैं। बड़ा बेटा पांच साल, छोटा ढाई साल का है। फैक्ट्री में काम कर वह अपने परिवार की जीविका चला रहा था। घर पहुंचने को लेकर सभी उत्साहित थे। लेकिन अचानक तबीयत खराब हुई और सुंदर की मौत के बाद बेटों के सिर से बाप का साया उठ गया। साथियों ने बताया कि अस्पताल में भर्ती करने के साथ ही उसके परिजनों को सूचित कर दिया था। गांव से लोग सतना के लिए रवाना हो गए हैं।
लीक प्रूफ बैग में कैद कर दिया गया मृत शरीर
युवक की मौत के बाद अस्पताल प्रबंधन में हड़कंप मच गया। एम्बुलेंस चालक को सीधे मर्चुरी में पहुंचने के निर्देश दिए गए। पीछे का गेट खोला गया, प्रशिक्षित कर्मचारियों को बुलाया गया। कर्मचारियों ने पीपीई किट पहनकर शव को लीक प्रूफ बैग में जिप लगाकर पैक किया। इसके पहले बैग को कीटाणु रहित बनाया गया। शव को डीप फ्रीजर में रखवाया गया। इस दौरान इंफेक्सियस डिसीज कंट्रोल प्रभारी डॉ एसपी तिवारी सहित अस्पताल का प्रशिक्षित स्टॉफ मौजूद था।
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सतना में होगा अंतिम संस्कार
मौत की सूचना मिलते ही युवक के परिजन रात 11 बजे जिला अस्पताल सतना पहुंचे। युवक के थ्रोट का सैंपल गुरुवार सुबह जांच के लिए मेडिकल कॉलेज रीवा भेजा जाएगा। रिपोर्ट आने के पहले यदि परिजन युवक का अंतिम संस्कार करते हैं तो उन्हें शव दूसरे जिले में ले जाने की अनुमति नहीं होगी। सुरक्षित ढंग से सतना में ही अंतिम संस्कार करना होगा। रिपोर्ट पॉजिटिव आने पर भी युवक का संस्कार सतना में ही करना होगा। यदि परिजनों द्वारा रिपोर्ट का इंतजार किया जाता है तो अंतिम संस्कार में दो से तीन दिन लग सकते हैं।
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