एमपी में मात्र 1000 डॉक्टर, लापता डॉक्टरों का पता लगा रही मेडिकल काउंसिल

एमपी मेडिकल काउंसिल का रिकॉर्ड देखा जाए तो उसमें मात्र 1000 डॉक्टर ही मध्य प्रदेश में अपनी सेवा दे रहे हैं।;

Update: 2022-03-22 10:50 GMT

मध्य प्रदेश के मेडिकल काउंसिल का रिकॉर्ड देखा जाए तो उसमें मात्र 1000 डॉक्टर ही मध्य प्रदेश में अपनी सेवा दे रहे हैं। बाकी के डॉक्टर कहां गए जमीन खा गया या आसमान निकल गया। इसका पता लगाने के लिए मध्य प्रदेश मेडिकल काउंसिल फरवरी महीने से डॉक्टरों की वेरिफिकेशन के लिए डेट बढ़ा चुका है। लेकिन अब तक में मात्र 1000 डॉक्टर ही अपना री-वेरिफिकेशन करवाने के लिए आवेदन दिए हैं।

लापरवाह हुए डाक्टर

एमपी मेडिकल काउंसिल स्वयं चिंता में है कि आखिर हमारे प्रदेश के डॉक्टर कहां गए। क्या डॉक्टरी जैसे पेशे से जुड़े हुए इतने लापरवाह हो सकते हैं की फरवरी माह के शुरुआती दिनों में शुरू की गई वेरीफिकेशन की प्रक्रिया दो बार बढ़ाई गई। इसके बाद भी मध्य प्रदेश के डॉक्टरों ने वेरिफिकेशन करवाने के लिए अब तक आवेदन नहीं किया।

31 मार्च अंतिम अवसर

ऐसे में मध्य प्रदेश मेडिकल काउंसिल ने प्रदेश में चिकित्सा सेवा से जुड़े हुए सर सरकारी एवं प्राइवेट चिकित्सक को अंतिम अवसर दिया है। 31 मार्च तक हर सरकारी एवं प्राइवेट डॉक्टर री वेरिफिकेशन के लिए ऑनलाइन आवेदन करें। मध्य प्रदेश मेडिकल काउंसिल ने कहां है कि अगर द्वारा इसी तरह की लापरवाही बरती गई तो इन पर कार्यवाही भी हो सकती है।

रजिस्टर्ड है 56 हजार डॉक्टर

मेडिकल काउंसिल के रिकॉर्ड में 56000 डॉक्टर रजिस्टर्ड बताए जा रहे हैं। जानकारी के अनुसार वर्ष 1939 में मेडिकल काउंसिल में 56000 डॉक्टरों का रजिस्ट्रेशन किया गया था। इस पंजीयन के बाद दोबारा डॉक्टरों की ऐसी कोई गणना मेडिकल काउंसिल द्वारा नहीं की गई। ना ही रजिस्टर्ड डॉक्टरों का सत्यापन किया गया। जमीनी स्तर पर डॉक्टरों की मौजूदगी देखने के लिए री-वेरिफिकेशन का कार्य किया जा रहा है। लेकिन प्रदेश के चिकित्सक है कि इस कार्य में भी मेडिकल काउंसिल का सहयोग नहीं कर रहे।

25000 डॉक्टर कर रहे कार्य

मेडिकल काउंसिल की आफ रिकॉर्ड जानकारी के अनुसार जमीनी स्तर पर करीबन 25000 डॉक्टर कार्य कर रहे हैं। सरकार पता लगाने का प्रयास कर रही है कि वास्तव में वर्तमान समय में कितने डॉक्टर प्रदेश में सेवारत हैं। इसीलिए 31 मार्च तक मध्य प्रदेश के हर सरकारी एवं प्राइवेट डॉक्टरों को री-वेरिफिकेशन करवाना आवश्यक किया गया है।

आखिर कहां गए डॉक्टर

वर्ष 1939 की स्थिति में करीब 56000 डॉक्टर दर्ज थे। लेकिन अब तक मात्र 1000 डॉक्टर री-वेरिफिकेशन के लिए आवेदन किया है। ऐसे में क्या माना जाए की क्या हमारे प्रदेश में मात्र 1000 डॉक्टर ही सेवा दे रहे हैं जिन्होंने री-वेरिफिकेशन के लिए आवेदन दिया है। इसके अलावा अगर प्रदेश में डॉक्टर सेवा दे रहे हैं तो वह मध्य प्रदेश मेडिकल काउंसिल के निर्देश का पालन आखिर क्यों नहीं कर रहे हैं।

सरकार पता लगाने का प्रयास कर रही है की 1939 की स्थिति के बाद कितने डॉक्टरों की मृत्यु हो चुकी है, कितने डॉक्टर विदेश चले गए हैं और कितने विदेशी छात्र डॉक्टरी की पढ़ाई पूरी कर अपने देश वापस चले गए हैं। इन सब प्रश्नों का उत्तर री-वेरिफिकेशन से चल जाएगा। लेकिन प्रदेश के डॉक्टर मेडिकल काउंसिल के इस आदेश को ठेंगा दिखा रहे हैं।

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