पन्ना में अब हीरा खोदने की प्रक्रिया हुई जटिल, खदान मंजूरी के लिए वन विभाग की एनओसी जरूरी
MP News: एमपी के पन्ना की धरती ने बेशकीमती रत्नों से कई लोगों को मालामाल किया है। किंतु अब यहां हीरा निकालने की प्रक्रिया को जटिल कर दिया गया है।
एमपी के पन्ना की धरती ने बेशकीमती रत्नों से कई लोगों को मालामाल किया है। किंतु अब यहां हीरा निकालने की प्रक्रिया को जटिल कर दिया गया है। हीरा खोदने वालों की चिंता जिला प्रशासन द्वारा लिए गए एक निर्णय ने बढ़ा दी है। प्रशासन द्वारा लिए गए निर्णय में यह कहा गया है कि अब तभी हीरा खदान का पट्टा मिल सकेगा जब हीरा कार्यालय में वन विभाग की एनओसी जमा की जाएगी।
अभी तक आसानी से मिल जाता था पट्टा
अभी तक निजी व शासकीय भूमि में आसानी से हीरा खनन के लिए पट्टा दे दिया जाता था किंतु अब ऐसा नहीं होगा। जिला प्रशासन द्वारा टास्क फोर्स की बैठक में एक निर्णय लिया गया है कि जिसमें हीरा खनन के लिए पट्टा जारी करवाने से पहले वन विभाग की एनओसी लेनी होगी। इस एनओसी को हीरा कार्यालय में जब लोगों द्वारा जमा करवाया जाएगा उसके बाद ही खनन के लिए पट्टा प्रदान किया जाएगा। जिला प्रशासन के इस निर्णय के बाद खदान संचालकों व गरीब मजदूरों में नाराजगी देखने को मिल रही है। यहां उल्लेखनीय है कि पन्ना जिला मुख्यालय के आसपास हीरा पट्टी क्षेत्र है। जिसका अधिकतर हिस्सा वन विभाग यानी उत्तर वन मंडल के विश्रामगंज रेंज में शामिल है किंतु कुछ हिस्सा राजस्व के अंतर्गत भी आता है। जहां अभी तक खनन के लिए पट्टा पाने की प्रक्रिया बेहद आसान थी किंतु अब यह जटिल हो गई है।
वन विभाग के अधीन हैं अधिकांश खदानें
अब हीरा की खुदाई करने के लिए निजी एवं राजस्व की भूमि में पहले एनओसी लेना अनिवार्य कर दिया गया है। वन विभाग द्वारा दी जाने वाली यह एनओसी बनवाना हर किसी के लिए आसान नहीं रहेगी। जिला प्रशासन द्वारा लिए गए इस निर्णय के बाद खदान में काम करने वाले लोगों ने पन्ना कलेक्टर को आवेदन देकर निर्णय में संशोधन करने की मांग की है। उनका कहना है कि पन्ना की हीरा पट्टी क्षेत्र में थोड़ी बहुत निजी भूमियों व राजस्व की कुछ भूमि में हीरा खोदने के लिए मिल रहा है इस निर्णय के बाद यह प्रक्रिया जटिल हो जाएगी। जबकि हीरा पट्टी का अधिकांश क्षेत्र वन विभाग के अंतर्गत आता है।