MP High Court: अनुकंपा नियुक्ति को लेकर हाईकोर्ट का बड़ा बयान, कहा यह पूर्णकालिक नियुक्ति है इसे संविदा में नहीं बदला जा सकता
MP Jabalpur News: खंडपीठ ने डायरेक्टर समेत अन्य जिम्मेदार अधिकारियों पर जुर्माना लगाते हुए याचिकाकर्ता को 8 सप्ताह के भीतर 100000 रुपए अदा करने के निर्देश भी दिए हैं।
MP High Court: जबलपुर हाईकोर्ट ने अनुकंपा नियुक्ति के एक मामले की सुनवाई करते हुए बड़ा निर्णय दिया है। हाई कोर्ट (Highcourt) ने अपने आदेश में कहा है कि अनुकंपा नियुक्ति (Compassionate Appointment) को संविदा में तब्दील नहीं किया जा सकता है क्योंकि अनुकंपा नियुक्ति पूर्णकालिक नियुक्ति है। अपने फैसले में हाईकोर्ट ने फरियादी को राहत देते हुए नियुक्ति का आदेश देने के लिए विभाग को निर्देशित किया है साथ में एक लाख रुपए का हर्जाना देने के लिए कहा है। आदेश में हाईकोर्ट ने कहा कि अनुकंपा में संविदा आधार पर नियुक्ति देना असंवैधानिक है।
खंडपीठ ने की सुनवाई
अनुकंपा नियुक्ति से जुड़े हुए एक मामले की सुनवाई चीफ जस्टिस रवि मलिमठ एवं जस्टिस विशाल मिश्रा की खंडपीठ द्वारा की गई। पूरे मामले को सुनने के बाद पीठ ने याचिकाकर्ता को राहत देते हुए डायरेक्टर वेटरनरी साइंस भोपाल को आदेश देते हुए कहा है कि याचिकाकर्ता को 8 सप्ताह के भीतर अनुकंपा नियुक्ति दी जाए।
साथ ही खंडपीठ ने कहा कि अधिकारियों की गलत कार्यशैली की वजह से गंभीर अन्याय हुआ है। ऐसे में जुर्माना लगाना आवश्यक है। उन्होंने डायरेक्टर समेत अन्य जिम्मेदार अधिकारियों पर जुर्माना लगाते हुए याचिकाकर्ता को 8 सप्ताह के भीतर 100000 रुपए अदा करने के निर्देश दिए हैं।
क्या है मामला
जानकारी के अनुसार धर्मेंद्र कुमार त्रिपाठी ने अपील प्रस्तुत की थी। जिसमें धर्मेंद्र ने बताया कि के पिता असिस्टेंट वेटनरी ऑफिसर के पद पर कार्यरत थे। वर्ष 2000 में उनकी मृत्यु हो गई। विभाग से अनुकंपा नियुक्ति के लिए याचना की गई जिस पर धर्मेंद्र को 26 जून 2002 को संविदा शाला शिक्षक वर्ग 2 के रूप में 3 साल के लिए नियुक्ति की गई। लेकिन 5 माह बाद 26 नवंबर को संविदा नियुक्ति भी समाप्त कर बाहर कर दिया गया। जिसके बाद धर्मेंद्र ने न्यायालय की शरण ली। और आज उन्हें न्याय प्राप्त हुआ है।