मध्यप्रदेश के उपचुनाव में कूदी मायावती, कांग्रेस-भाजपा को डाला मुश्किल में...
मध्यप्रदेश के उपचुनाव में कूदी मायावती, कांग्रेस-भाजपा को डाला मुश्किल में...भोपाल। बहुजन समाज पार्टी ने मध्यप्रदेश के उपचुनाव
मध्यप्रदेश के उपचुनाव में कूदी मायावती, कांग्रेस-भाजपा को डाला मुश्किल में...
भोपाल। बहुजन समाज पार्टी ने मध्यप्रदेश के उपचुनाव (by elections) में सभी 24 सीटों (assembly seats) पर अपने प्रत्याशी उतारने के ऐलान के बाद भाजपा और कांग्रेस के लिए मुश्किलें बढ़ा दी हैं। इस चुनाव में दोनों ही दलों के लिए एक-एक सीट पर चुनौती होगी। अगले सप्ताह से बसपा दावेदारों से आवेदन मंगा रही है।
मध्यप्रदेश में 24 सीटों पर होने वाले उपचुनाव में बहुजन समाज पार्टी (बसपा) भी सभी सीटों पर चुनाव लड़ेगी। बसपा प्रमुख मायावती ने गुरुवार को सभी सीटों पर अपने प्रत्याशी उतारने का ऐलान किया है। पार्टी ने ऐलान किया है कि वो अपने बलबूते पर यह चुनाव लड़ेगी, किसी भी दल से वो गठबंधन नहीं करेगी।
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बहुजन समाज पार्टी ने ( madhya pradesh assembly by election 2020 ) जमीनी स्तर पर चुनाव की तैयारी तेज कर दी है। बसपा के प्रदेश अध्यक्ष रमाकांत पिप्पल ने बताया कि अगले सप्ताह दावेदारों से आवेदन लिए जाएंगे। सभी आवेदनों के बाद नामों का पैनल बनाकर राष्ट्रीय अध्यक्ष मायावती को भेजा जाएगा, यहां प्रत्याशियों के नामों पर अंतिम फैसला लिया जाएगा।
कांग्रेस फिर बनाएगी कर्ज माफी को मुद्दा हाल ही में डेढ़ साल चली अपनी सत्ता खोने के बाद कांग्रेस एक बार फिर सत्ता में वापसी के लिए जोर मारने वाली है। कांग्रेस ने ऐलान किया है कि सभी 24 सीटों पर होने वाले उपचुनाव में एक बार फिर किसान कर्ज माफी को ही मुद्दा बनाएगी। प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कमलनाथ ने यह ऐलान किया है। गौरतलब है कि 15 साल तक सत्ता में रही भाजपा से किसान कर्ज माफी के मुद्दे पर ही कांग्रेस ने सत्ता हथियाई थी। उसने 2018 के चुनाव में इसे वचनपत्र में शामिल किया था।
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इधर, प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष ने मीडिया से बातचीत में कहा है कि कांग्रेस पार्टी ने 31 मार्च तक किसानों का एक लाख रुपए तक का कर्ज माफ करने की प्रक्रिया शुरू की थी। तीसरा चरण जून माह से शुरू होना था, लेकिन शिवराज सरकार ने उसे रोक दिया है।
भाजपा में शामिल हो गए थे 22 सिंधिया समर्थक
गौरतलब है कि कमलनाथ सरकार में दिग्गज नेता ज्योतिरादित्य सिंधिया की उपेक्षा के कारण 22 विधायकों ने बगावत कर दी थी और वे सिंधिया के साथ ही भाजपा में शामिल हो गए थे। 22 विधायकों के इस्तीफे होने के बाद कमलनाथ सरकार बहुमत साबित करने से पहले ही गिर गई थी। इसके बाद से ही 22 रिक्त हुई विधानसभा सीटें और दो सीटें निधन के बाद से खाली थीं।
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