MP: बड़े आंदोलन के मूड में अतिथि विद्वान, कहा वादाखिलाफी कर रही सरकार

MP Atithi Vidwan News: मध्यप्रदेश में अतिथि विद्वान नए वर्ष में मोर्चा खोलने की तैयारी में है।

Update: 2023-01-04 10:59 GMT

मध्यप्रदेश में अतिथि विद्वान नए वर्ष में मोर्चा खोलने की तैयारी में है। उनका कहना है कि सरकार उनके साथ वादाखिलाफी कर रही है। सरकार बनते समय अतिथि विद्वानों से नियमित करने का वादा किया गया था। लेकिन अब उसे शिवराज सरकार पूरा करने के बजाय पीएससी से सहायक प्राध्यापकों की भर्ती करने जा रही है। अतिथि विद्वानों का कहना है कि कई ऐसे अतिथि विद्वान है जिनकी उम्र अब 50 वर्ष हो चुकी है। ऐसे में उन्हें नियमित करना ही उनके साथ अन्याय होगा।

भर्ती के लिए सरकार ने निकाला विज्ञापन

मध्य प्रदेश सरकार ने शासकीय महाविद्यालयों में सहायक प्राध्यापकों की भर्ती के लिए विज्ञापन निकाला है। सरकार द्वारा जारी किए गए विज्ञापन का विरोध करते हुए अतिथि विद्वानों का कहना है की सरकार उनके साथ अन्याय कर रही है। विज्ञापन निकलने के बाद ही अतिथि विद्वान महासंघ ने पुरजोर विरोध करने का ऐलान किया है।

सरकार से अतिथि विद्वानों का सवाल

अतिथि विद्वानों का कहना है कि उन्होंने शासकीय कॉलेजों में बेहतर सेवा देते हुए अपने 25 से 30 वर्ष का समय दीया है। मध्यप्रदेश के मूल निवासी हैं। साथ ही यूजीसी योग्यता भी रखते हैं। ऐसे में अतिथि विद्वानों को नियमित करने के बजाए मध्य प्रदेश की सरकार पीएससी से भर्ती क्यों कर रही है।

वहीं अतिथि विद्वानों का कहना है कि सरकार बनते समय भाजपा के मुख्यमंत्री बने शिवराज सिंह चौहान ने वादा किया था अतिथि विद्वानों को नियमित किया जाएगा। लेकिन अब सरकार वादाखिलाफी कर रही है इसमें मुख्यमंत्री और कई मंत्री जी मुकर रहे हैं।

अतिथि विद्वान संघ का कहना है अगर सरकार पीएससी से भर्ती करना ही चाहती है तो सबसे पहले उसे अतिथि विद्वानों को नियमित करना चाहिए। इसके बाद रिक्त स्थान की पूर्ति के लिए पीएससी से भर्ती करे। अगर सरकार ऐसा नहीं करेगी तो सभी अतिथि विद्वान मिलकर आंदोलन करेंगे।

पहले से चल रहा विरोध

अतिथि विद्वानों का कहना है कि वर्ष 2017 में हुई भर्ती का विरोध अभी तक चल रहा है अगर सरकार ध्यान नहीं देती तो होने वाली भर्ती का विरोध किया जाएगा। उनका कहना है कि सरकार भर्ती कर अतिथि विद्वानों को बेरोजगार करना चाह रही है। विपक्ष में रहते हुए भाजपा के नेताओं द्वारा कहा गया था कि सरकार बनते ही गानों को नियमित किया जाएगा। लेकिन सरकार बनने के बाद सारे वादे भूल गए।

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