नीट स्टेट लेवल काउंसिल में एक बार के फर्जीवाड़े का मामला जोर शोर से उभर रहा है। इस मामले की शिकायत संचालक चिकित्सा शिक्षा से की गई है। वहीं अब यह मामला हाईकोर्ट तक जा पहुंचा है। राज्य सरकार ने स्कूल में पढ़ने वाले छात्र छात्राओं को 5 प्रतिशत मेडिकल कॉलेज में प्रवेश देने आरक्षण की व्यवस्था की थी। लेकिन इसमें एक बड़ा फर्जीवाड़ा निकल कर सामने आया है। जानकारी मिल रही है कि फर्जी सरकारी स्कूल के प्रमाण पत्र के आधार पर 50 से अधिक छात्र एडमिशन लेने में सफल हो गए हैं। अब इस मामले को लेकर संचालक चिकित्सा शिक्षा द्वारा एक प्रस्ताव तैयार कर शासन को भेजा गया है जिसे मंजूरी मिलने के बाद छात्रों का आवंटन निरस्त किया जाएगा।
क्या है पूरा मामला
जानकारी के अनुसार राज्य सरकार ने सरकारी स्कूलों में पढ़ने वाले छात्रों को मेडिकल पढ़ाई के लिए एक व्यवस्था दी है। राज्य सरकार ने सरकारी स्कूलों में पढ़ने वाले छात्रों को मेडिकल कॉलेज में एडमिशन पर 5 आरक्षण देने की व्यवस्था की थी। लेकिन सरकार की यह व्यवस्था भ्रष्टाचारियों की भेंट चढ़ गई। भ्रष्टाचारी आपसी सांठगांठ कर सरकारी स्कूलों के फर्जी प्रमाण पत्र के आधार पर मेडिकल में प्रवेश लेने में सफल हो गए। लेकिन यह मामला पूरी तरह से खुल चुका है। लोगों ने इसकी शिकायत संचालक चिकित्सा शिक्षा से की। वहीं बाद में अब यह मामला हाईकोर्ट तक जा पहुंचा है।
डीएमई ने भेजा प्रस्ताव
शिकायत प्राप्त होते ही संचालक चिकित्सा शिक्षा ने इस मामले को गंभीरता से लेते हुए एक प्रस्ताव तैयार किया और इसे स्वीकृति के लिए शासन के पास भेज दिया है। डीएमई का कहना है कि प्रस्ताव को शासन से मंजूरी मिलते ही गलत प्रमाण पत्र के आधार पर हुए एडमिशन को निरस्त कर दिया जाएगा। वही यह भी कहा गया है कि उन छात्रों को ओपन कैटेगरी में शामिल किया जाएगा। अगर प्रस्ताव को मंजूरी मिलती है तो इन बच्चों को दूसरे राउंड में शामिल किया जाएगा।
ज्ञात हो कि यह पूरा मामला मेडिकल और डेंटल कॉलेजों के सरकारी स्कूल कोटे के दाखिले में कोई गड़बड़ी से जुड़ा हुआ है। मेडिकल मैं प्रवेश पाने छात्रों के द्वारा फर्जी सरकारी स्कूलों के प्रमाण पत्र लगाकर करने की शिकायत मिली है। जिस पर जांच की जा रही है वही शासन स्तर से भी प्रस्ताव को मंजूरी के लिए भेजा गया है।