महंगी आलू के कारण गरीबों का बजट गड़बड़ाया, चिंता में आमजन, कैसे होगा गुजारा
रसोई में यदि दाल न हो, आलू न हो तो रसोई अधूरी रहती है। यही कारण है कि आसमान छूते दामों से आम जन चिंतित है।
महंगी आलू के कारण गरीबों का बजट गड़बड़ाया, चिंता में आमजन, कैसे होगा गुजारा
रीवा। रसोई में यदि दाल न हो, आलू न हो तो रसोई अधूरी रहती है। यही कारण है कि आसमान छूते दामों से आम जन चिंतित है। यदि वर्तमान में आम जनता सबसे ज्यादा परेशान है तो वह सब्जी के दाम लेकर परेशान है। यह समझ में नहीं आ रहा कि आखिर सब्जी के दाम क्यों इतने ज्यादा बढ़े हुए हैं।
जो आलू 15 रुपये किलो बिकती थी वह आज 45 रुपये में मिल रही है। कोरोना के बाद से ऐसी क्या समस्या हो गई जो सब्जी के दाम इतने ज्यादा बढ़ गए। क्या देश में आलू का उत्पादन घट गया। आखिर क्या कारण है जो जनता को लूटा जा रहा है। यदि व्यापारी गड़बड़ी कर रहे हैं तो शासन-प्रशासन
लगाम क्यों नहीं लगा रहा
कोरोना वायरस फैलने के बाद से देश में उत्पन्न हुई विपरीत स्थिति के कारण लगातार सब्जियों के दाम आसमान छू रहे हैं। कोरोना से पूर्व के दाम देखें तो आलू लगातार तिगुने दाम पर बिक रही है। वहीं प्याज और लहसुन भी रुला रहे हैं। प्याज 50 से 60 रुपये, मटर 55 से 60 रुपये, टमाटर 25 से 30 रुपये बिक रहा है। जो लोग आर्थिक स्थिति कमजोर होने पर आलू से अपना काम चला लेते थे अब उनके सामने आलू के बढ़े दाम से मुश्किल खड़ी हो गई है।
क्या कहते हैं कारोबारी
कारोबारियों का कहना है कि आलू की आवक इन दिनों कोलकाता और कानपुर से हो रही है। पुराने आलू की आवक लगभग समाप्ति पर है। नए आलू की खेप स्थानीय स्तर पर आने में समय लग रहा है। बाजार में इन दिनों ऐसा माहौल होता जा रहा कि आर्डर के बाद भी आलू की रोजाना सप्लाई नहीं हो रही है। इस कारण आलू के भाव नीचे नहीं आ रहे हैं।
तत्संबंध में चर्चा के दौरान स्थानीय सब्जी मण्डी में कई नागरिकों ने आक्रोश जताते हुये कहा कि पिछले दो वर्ष पूर्व जहां प्याज दो रूपये किग्रा बिक रही थी अब उसके दाम साठ रूपये के आसपास बने हुये हैं। स्थिति यह है कि आलू भी गरीबों की थाली से सब्जी के रूप में गायब हैं।
इस मामले में सरकार द्वारा सार्थक पहल न किये जाने से लोगों को सब्जी खरीदने के लिये भी कई बार सोचना पड़ता है। स्थानीय सब्जी मण्डी में सभी सब्जियों के दाम काफी ज्यादा हैं। गरीबो ंकी पसंद प्याज और आलू को खरीदना तो अब केवल पैसे वालों के बस की बात ही रह गई है। सब्जी मण्डी में ज्यादातर लोग सब्जी के दाम पूछकर ही खरीदने की हिम्मत नहीं जुटा पा रहे हैं।
पांच महीने से सब्जियों के दाम आसमान छू रहे
विगत पांच महीनें से हरी सब्जियों के दाम भी आसमान में बने हुए थे। व्यापारियों का कहना है कि इस वर्ष महंगाई के सभी कीर्तिमान सब्जियों के दाम में टूट रहे हैं। बताया गया है कि बिना मौसम बारिश के कारण नई आलू की खोदाई कार्य प्रभावित होने के कारण दाम नीचे नहीं आ रहे हैं। नई आलू की खेप आने के बाद दामों में गिरावट आ सकती है।