एमपी में नए सिरे से लागू होगा जिला-जनपद एवं ग्राम पंचायतों का सीमांकन, कमलनाथ सरकार का परिसीमन फिर समाप्त, अध्यादेश लागू!
परिसीमन एवं पंचायत चुनाव में आरक्षण को लेकर बैकफुट पर आई मध्यप्रदेश की शिवराज सरकार ने अब एक नया दांव खेला है.
भोपाल. आरक्षण में पेच के चलते मध्यप्रदेश में पंचायत चुनाव (MP Panchayat Election) रद्द कर दिए गए हैं. परिसीमन और पंचायत चुनाव को लेकर मध्यप्रदेश की शिवराज सरकार बैकफुट पर आ गई थी. लेकिन अब सरकार ने नया दांव खेला है. शिवराज सरकार ने कमलनाथ सरकार में हुए परिसीमन को एक बार फिर समाप्त कर दिया है. इसके लिए एक नया अध्यादेश भी लागू कर दिया गया है. जिसकी अधिसूचना भी मध्यप्रदेश पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग द्वारा गुरुवार की शाम जारी कर दी गई है. जिसके तहत जिला, जनपद से लेकर ग्राम पंचायतों तक का परिसीमन नए सिरे से किया जाएगा.
पंचायतराज एवं ग्राम स्वराज (द्वितीय संशोधन) अध्यादेश 2021 (Panchayat Raj and Gram Swaraj Ordinance 2021) की अधिसूचना में कहा गया है कि चुनाव की अधिसूचना राज्य निर्वाचन आयोग द्वारा किसी भी कारण से ऐसे परिसीमन के प्रकाशन की तारीख से 18 माह की अवधि के भीतर जारी नहीं की जाती है, तो प्रकाशित परिसीमन व विभाजन निरस्त माना जाएगा.
इससे पहले सरकार ने एक महीने पहले कमलनाथ सरकार के दौरान 2019 को लागू परिसीमन और आरक्षण को समाप्त करने के लिए अध्यादेश लागू किया था, जिसे 26 दिसंबर को वापस ले लिया गया था. कमलनाथ सरकार ने सिंतबर 2019 में प्रदेश में जिले से लेकर ग्राम पंचायतों तक नया परिसीमन कर करीब 1,200 नई पंचायतें बनाई थी, जबकि 102 ग्राम पंचायतों को समाप्त कर दिया गया था. इसी तरह, 1950 की सीमा में बदलाव भी किया गया था.
शिवराज सरकार ने पंचायत चुनाव की तैयारियों के बीच 22 नंवबर को ऐसी पंचायतों के परिसीमन को निरस्त कर दिया था, जहां बीते एक साल से चुनाव नहीं हुए थे. ऐसी सभी जिला, जनपद या ग्राम पंचायतों में पुरानी व्यवस्था को बहाल कर दिया गया था. यानी 2014 में हुए चुनाव के दौरान थे. सरकार के इस फैसले को कांग्रेस ने कोर्ट में चुनौती दी थी. इस बीच, पंचायत चुनाव में ओबीसी आरक्षण का नया पेंच आने के बाद सरकार ने इस अध्यादेश को वापस ले लिया था. इसके लिए 26 दिसंबर को रविवार के दिन कैबिनेट की बैठक बुलाई गई थी. इसी दिन राज्यपाल की मंजूरी मिलने के बाद इसकी अधिसूचना जारी कर दी गई.
पंचायत चुनाव निरस्त होने की यही वजह बनी
विधि विशेषज्ञों ने अभिमत दिया कि जिस अध्यादेश के आधार पर चुनाव प्रक्रिया संचालित की जा रही थी, जब वो ही समाप्त हो गया तो फिर चुनाव कराने का औचित्य ही नहीं बचा था. दरअसल, अध्यादेश वापस लेने से वह परिसीमन पुन: लागू हो गया, जिसे निरस्त किया गया था. 1200 से ज्यादा पंचायतें फिर अस्तित्व में आ गईं. ऐसे में चुनाव कराया जाना संभव नहीं था. आयोग ने मध्य प्रदेश पंचायत राज एवं ग्राम स्वराज अधिनियम 1993 की धारा 42 में दी गई शक्ति और मध्य प्रदेश पंचायत निर्वाचन नियम 1995 के नियम 18 के अंतर्गत प्राप्त शक्तियों का प्रयोग करते हुए चुनाव कार्यक्रम और इससे संबंधित सभी कार्यवाहियों को निरस्त कर दिया.