IAS-IPS Officers Circular: आईएएस, आईपीएस अफसरों के लिए सर्कुलर, 6 महीने की सैलरी से अधिक राशि शेयर में लगाया तो सरकार को बताना होगा

IAS-IPS Officers Circular: अखिल भारतीय सेवा के अफसरों के लिए बनाए गए सर्विस रूल में केन्द्र सरकार द्वारा एक बार फिर संशोधन किया गया है।

Update: 2023-04-16 09:32 GMT

IAS-IPS Officers Circular: अखिल भारतीय सेवा के अफसरों के लिए बनाए गए सर्विस रूल में केन्द्र सरकार द्वारा एक बार फिर संशोधन किया गया है। नए सर्कुलर के अनुसार अब यदि छह महीने की सैलरी से अधिक राशि शेयर में लगाता है तो इसकी जानकारी सरकार को देनी होगी। यह सर्कुलर आईएएस, आईपीएस और आईएफएस अधिकारियों के लिए है। एक वर्ष में यह जानकारी अफसरों को 31 जनवरी के पूर्व अचल संपत्ति के साथ देनी होगी।

नया सर्कुलर जारी

वर्तमान समय पर अखिल भारतीय सेवा के अधिकारी स्टॉक एक्सचेंज में लिस्टेड चीजों की खरीद-बिक्री अधिक करने लगे हैं। इसके साथ ही उनके द्वारा शेयर में भी निवेश किया जा रहा है। जिसकी जानकारी के बाद पहली बार सर्विस रूल में इसे शामिल किया गया है। इस सर्कुलर को केन्द्रीय कार्मिक मंत्रालय द्वारा मार्च महीने में जारी किया गया था। जिसको अब सामान्य प्रशासन विभाग (कार्मिक) ने भी जारी कर दिया है। वहीं फार्म भी दे दिया गया है। जिसमें आईएएस, आईपीएस अथवा आईएफएस अधिकारी यदि अपने 6 माह के मूल वेतन (बेसिक सैलरी) से अधिक राशि का ट्रांजेक्शन अथवा लेन-देन शेयर, सिक्यूरिटीज फंड, डिवेंचर्स, इनवेस्टमेंट या अन्य खरीद बिक्री के लिए करता है तो उनको यह जानकारी सरकार को उपलब्ध करानी होगी।

ट्रांजेक्शन का देना होगा ब्यौरा

शासन का कहना है कि केन्द्र सरकार चाहती है कि अखिल भारतीय सेवा के अधिकारी जब भी ऐसा कोई लेन देन करें तो इसकी जानकारी तत्काल अपलोड करें। इसके साथ ही यह भी स्पष्ट कर दिया गया है कि अखिल भारतीय सेवा (आचरण) नियम 1968 के नियम 16(4) के तहत पूर्व से अधिकारी दो माह के मूल वेतन से अधिक के चल संपत्ति लेन-देन अथवा ट्रांजेक्शन का ब्यौरा देते रहे हैं। नया सर्कुलर इस नियम से अलग होगा।

अन्य स्रोतों से हुई आय की देनी होगी जानकारी

आईएएस जैसे अफसरों को निवेश के लिए यदि कोई वित्तीय मदद ली गई है तो पर्सनेल सेविंग की जानकारी व अन्य स्रोतों से हुई आय के बारे में भी जानकारी देनी होगी। उन्हें वर्तमान में कितना वेतन मिल रहा है, कहां पर पदस्थ हैं, कैडर कहां का है आदि भी दर्ज करना होगा। इसके लिए डीओपीटी ने जो प्रोफार्मा तय किया है उसमें अधिकारियों को यह विकल्प भी दिया गया है कि वह चाहें तो लेन-देन अथवा ट्रांजेक्शन का ब्यौरा भी दे सकते हैं।

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