रीवा का स्वास्थ्य विभाग गहरी नींद में: छात्रा के मुंह में इन्फेक्शन था, झोलाछाप डॉक्टर के इलाज से मौत; मऊगंज के नईगढ़ी की घटना
बेटी की दवा कराने पिता ने जमीन तक गिरवी रख दी फिर भी नहीं बचा पाया, 15 दिन के भीतर दूसरी मौत, जांच कमेटी बनाने तक सीमित अधिकारी।
रीवा जिले की स्वास्थ्य व्यवस्था भगवान भरोसे हो चुकी हैं. जिम्मेदार अधिकारियों की लापरवाही से झोलाछाप चिकित्सकों की संख्या में जिले में बढ़ गई है. सबसे ज्यादा यह ग्रामीण अंचल पर अपना दबदबा बनाए हुए हैं. जबकि लगातार झोलाछाप चिकित्सकों के इलाज से मरीजों की मौत हो रही है. 15 दिन के भीतर नवगठित मऊगंज जिले में झोलाछाप चिकित्सक की लापरवाही से दूसरी मौत का मामला सामने आया है. बीमार बेटी को बचाने किसान पिता ने पहले तो कर्ज लिया और बाद में जमीन भी गिरवी रख डाली, लाखों रुपए खर्च के बाद भी बेटी की जान नहीं बचाई जा सकी. इसमें सबसे बड़ी लापरवाही विभागीय अधिकारियों की है, जो जान की कीमत एक नोटिस व टीम बनाने से ही आंकते हैं.
जानकारी के मुताबिक मऊगंज जिला के नईगढ़ी थाना क्षेत्र के ग्राम मढ़ना निवासी नीलम केवट पिता देवेन्द्र केवट उम्र 17 वर्ष जो कि 11वीं की छात्रा है, उसकी तबियत अचानक खराब हुई तो उसे गढ़ - नईगढ़ी मार्ग स्थित संचालित एक मेडिकल स्टोर में एक झोलाछाप डाक्टर को दिखाया गया. बताया गया कि उसने दवाएं दी तो बीमारी और बढ़ गई और मुंह में दवा का रिएक्शन हो गया. बताया गया कि परिजन छात्रा को तत्काल नारी-बारी के माता नर्सिंग होम में लेकर पहुंचे, जहां तबियत में सुधार नहीं हुआ तो उसे प्रयागराज एक्योर क्रिटिकल हॉस्पिटल ले जाया गया. यहां भी छात्रा की जान नहीं बचाई जा सकी, उपचार के दौरान छात्रा की मौत हो गई.
10 हजार झोलाछाप ने ऐंठे
परिजनों का आरोप है कि झोलाछाप डाक्टर ने छात्रा को उल्टी आने की शिकायत पर 10 हजार रुपए दवा के नाम पर ऐंठ लिए 20 बॉटल और दवा सहित कई इंजेक्शन लगाए गए और जब छात्रा की रिएक्शन हुआ तो भाग खड़ा हुआ. परिजनों ने बताया कि 30 हजार रुपए नारी-बारी व 4 लाख रुपए की दवा प्रयागराज में हुई. गरीब पिता ने पहले अपने रिश्तेदारों से कर्ज लिया और जब कोई रास्ता नहीं दिखा तो अपनी जमीन गिरवी रख दी लेकिन इसके भी बेटी की जान नहीं बचा सका.
15 दिन में दूसरी मौत
बता दें कि यह झोलाछाप चिकित्सक की लापरवाही से मौत का बीते 15 दिनो में दूसरा मामला है. गत 17 अगस्त को हनुमना में वृद्धा का ऑपरेशन झोलाछाप चिकित्सक ने कर दिया था और उसकी मौत हो गई थी, तब स्वास्थ्य विभाग के जिम्मेदार अधिकारियों ने टीम बनाई थी और कार्यवाही की बात कही थी लेकिन इसे ठंडे बस्ते में डाल दिया गया. अब तक झोलाछाप चिकित्सकों पर कोई कार्यवाही नहीं हुई, शायद यदि समय पर कार्यवाही स्वास्थ्य विभाग द्वारा की गई होती तो झोलाछाप के उपचार से छात्रा की जान नहीं गई होती.
कार्यवाही नहीं करते अधिकारी
बता दें कि बीच में पांडेय टोला में एक झोलाछाप डॉक्टर के उपचार से एक गर्भवती महिला की मौत हो गई थी, अधिकारियों ने झोलाछाप चिकित्सकों पर कार्यवाही की बात कही और मौन साध लिया. गली-गली झोलाछाप चिकित्सकों ने अपनी दुकाने सजा रखी हैं लेकिन कोई कार्यवाही इन पर नहीं की जा रही है. यही वजह है कि इस प्रकार झोलाछाप चिकित्सकों का ग्राफ बढ़ता जा रहा है. बता दें कि शहरी क्षेत्र सहित ग्रामीण अंचल पर अवैध मेडिकल संचालित कर झोलाछाप मरीजों की जान से खिलवाड़ कर रहे हैं.
झोलाछाप चिकित्सकों पर कार्यवाही की जा रही है, जांच जारी है, मेडिकल दुकानों सहित क्लीनिक के लाइसेंस जांचें जा रहे हैं. मामले के संबंध में संबंधित अधिकारी से जानकारी लेते हैं. - डॉ. बीएल मिश्रा, सीएमएचओ रीवा