नक्सली कौन होते हैं, क्या चाहते हैं? जानें भारत में नक्सलवाद का इतिहास
What Naxalites Want: नक्सली दो प्रकार के होते हैं पहले वो जो हथियार से हमला करते हैं और दूसरे वो जो हमारे आपके बीच में रहकर उन हथियार वाले नक्सलियों की मदद करते हैं. उन्हें Urban Naxal कहा जाता है
भारत में नक्सलवाद का इतिहास: छत्तीसगढ़ के दंतेवाड़ा में 26 अप्रैल की दोपहर नक्सलियों ने IED ब्लास्ट कर 10 DRG जवानों और DRG ट्रक ड्राइवर को जान से मार डाला। दो साल पहले 3 अप्रैल 2011 को बीजापुर के तर्रेम थाना क्षेत्र के टेकलगुड़ा में 400 नक्सलियों ने 22 जवानों को मार डाला था और हथियार लूट लिए थे. और उससे पहले भी अनगिनत बार नक्सलियों ने सेना, पुलिस और नेताओं पर हमला किया है. भारत में सिर्फ छत्तीसगढ़ ही नहीं झारखंड, सेवन सिस्टर्स स्टेट, दक्षिण भारत के कुछ राज्य और महाराष्ट्र बॉर्डर के कुछ इलाके प्रभावित हैं. पहले मध्य प्रदेश भी नक्सलवादियों ने प्रभावित था लेकिन अब यहां सिर्फ महाराष्ट्र और छत्तीसगढ़ से लगे क्षेत्रों में ही गिनतिभर के नक्सलवादी हैं.
भारत में नक्सलवाद के जन्म को जानने से पहले यह जानना जरूरी है कि नक्सलवाद क्या है? (What is Naxalism). भारत के लोगों को आतंकियों से ज़्यादा नक्सलवादियों से खतरा है. लेकिन दोनों में कोई खास फर्क नहीं है क्योंकी दोनों ही आतंक फैलाते हैं.
क्या है नक्सलवाद
सत्ता के खिलाफ भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के नेता चारु मजूमदार (Charu Majumdar) के सशस्त्र आंदोलन का ही नाम नक्सलवाद है. नक्सलवादी असल में माओवादी (Maoists) होते हैं. जो चीन में कम्युनिस्म लाने वाले राष्ट्रपति Mao Zedong की बनाई विचारधारा पर चलते हैं. ये लोग Mao Zedong को अपना आदर्श मानते हैं. जो की निहायती क्रूर, निर्दयी तानाशाह हुआ करता था.
भारत में नक्सलवाद की शुरुआत कब हुई
बात 1967 की है, भारत में नक्सलवाद की शुरुआत पश्चिम बंगाल के एक गांव नक्सलबाड़ी से हुई थी. भारत में नक्सलवाद की शुरुआत करने वाला कम्युनिस्ट नेता चारु मजूमदार चीनी राष्ट्रपति Mao Tse Tung Zedong का बहुत बड़ा प्रशंसक था. मजूमदार सोचता था कि भारतीय मजदूरों और किसानों की दुर्दशा के लिए सरकारी नीतियां जिम्मेदार हैं. जो बात उस ज़माने के हिसाब से कहीं हद तक सच भी थी
नक्सलवाद की विचारधारा
नक्सली लोकतंत्र और लोकतान्त्रिक संस्थाओं के खिलाफ हैं. जाहिर है Mao Tse Tung Zedong ने भी चीन में तानाशाही शुरू की थी तो उसे अपनी प्रेरणा मानाने वाले डेमोक्रेसी के खिलाफ ही होंगे। माओवादी/नक्सली लोकतान्त्रिक प्रक्रियाओं को खत्म करने के लिए हिंसा करते हैं. नक्सली मानते हैं कि समाज में बदलाव सिर्फ हिंसा से हो सकता है
जब भारत में नक्सलवाद पनप रहा था तब सरकारों ने इसपर ध्यान नहीं दिया, कम्युनिस्ट नेता गांव के गरीब लोगों को माओवादी बना रहे थे, उन्हें सत्ता के खिलाफ बंदूक उठाने के लिए प्रेरित कर रहे थे और खुद तमाशा देख रहे थे. भारत का संविधान ही कुछ ऐसा है जो कम्युनिस्ट विचारधारा वाली सरकार कायम करने की इजाजत देता है. कम्युनिस्म बुरा नहीं है लेकिन भारत में वो कम्युनिज्म नहीं है जिसकी बातें कार्ल मार्क्स और Mao Tse Tung Zedong करते थे.
शुरुआत में तो पुलिस ने माओवाद को कुचलने की कोशिश की मगर कुछ दशक बाद यह किसी वायरस की तरह देश के अलग-अलग राज्यों में फ़ैल गया. ऐसे राज्य जहां गरीबों और जंगल में रहने वाले आदिवासियों की संख्या ज़्यादा थी. झारखंड, पश्चिम बंगाल, ओडिशा, बिहार, आंध्र प्रदेश, छत्तीसगढ़ मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र।
नक्सली दो प्रकार के होते हैं. पहले वो जो बीहड़ों जंगलों में रहते हैं, अपने साथ हथियार रखते हैं, हमला करते हैं. वर्दी पहनते हैं और गावों में रहते हैं. दूसरे नक्सलियों को Urban Naxal कहा जाता है जो कोई भी हो सकता है. आपको कॉलेज में पढ़ाने वाला टीचर, कोई राजनेता, सरकारी अफसर जो छुपकर अपना नक्सली एजेंडा पूरा करने की कोशिश करते हैं.