चौराहे पर बनी घोड़ों की मूर्ति की टाँगे क्या सन्देश देती हैं? जानिये
युद्ध भूमि के समय जिस तरह से हमारे देश में राजा- महाराजा मैदान पर लड़ाई करने के लिए उतरते थे उस समय अपने सैनिकों प्रति जैसी भूमिका एक राजा की होती थी वैसी ही भूमिका राजा के रक्षक बने घोड़े की होती थी. घोड़े अपने मालिक की रक्षा पूरी जवाबदारी से करते हुए वीरगति को प्राप्त हो जाते थें. यही वजह है कि वीर महपुरुषों के साथ उनके घोड़े भी अमर हो जाते है और हमेशा चौराहे को इनके नाम के साथ याद किया जाता है.लेकिन इनके पैर की तरफ एक अलग ही सन्देश घोड़ों की यह मूर्तियां हमें देती हुई नजर आती हैं जिस बात से हम अनजान रहते हैं आज हम अपने इस आर्टिकल के द्वारा सबसे ख़ास जानकारी से आपको अवगत करा रहे हैं. इन घोड़ों की अलग-अलग बनने वाली प्रतिमाओं के पीछे क्या राज़ छुपा है जाने इस आर्टिकल के द्वारा...;
चौराहे पर बनी घोड़ों की मूर्ति की टाँगे क्या सन्देश देती हैं? जानिये
युद्ध भूमि के समय जिस तरह से हमारे देश में राजा- महाराजा मैदान पर लड़ाई करने के लिए उतरते थे उस समय अपने सैनिकों प्रति जैसी भूमिका एक राजा की होती थी वैसी ही भूमिका राजा के रक्षक बने घोड़े की होती थी. घोड़े अपने मालिक की रक्षा पूरी जवाबदारी से करते हुए वीरगति को प्राप्त हो जाते थें. यही वजह है कि वीर महपुरुषों के साथ उनके घोड़े भी अमर हो जाते है और हमेशा चौराहे को इनके नाम के साथ याद किया जाता है.लेकिन इनके पैर की तरफ एक अलग ही सन्देश घोड़ों की यह मूर्तियां हमें देती हुई नजर आती हैं जिस बात से हम अनजान रहते हैं आज हम अपने इस आर्टिकल के द्वारा सबसे ख़ास जानकारी से आपको अवगत करा रहे हैं. इन घोड़ों की अलग-अलग बनने वाली प्रतिमाओं के पीछे क्या राज़ छुपा है जाने इस आर्टिकल के द्वारा...
एक पैर को उठाये हुए घोडा
यदि घोड़े की प्रतिमा में बनाया गया घोड़े का एक पैर को ही उठाये हुए घोडा खड़ा है तो इसका मतलब है कि योद्धा युद्ध के समय काफी जख्मी हुआ था, लेकिन उसकी मृत्यु इलाज़ के दौरान हुई या फिर युद्ध दौरान मिले जख्म उसकी मौत का कारण बनी।
दो पैरों में खड़ा घोडा
किसी भी वीर प्रतिमा के साथ देखे जाने वाले घोड़े के दो पैर यदि ऊपर की ओर खड़े हुए दिखे तो मतलब होता है कि उस वीरांगना या वीर पुरुष ने युद्ध किये हैं और इनकी मृत्यु युद्ध के दौरान हुई है. जिससे ये वीर पुरुष लड़ते-लड़ते शहीद हुआ है.
सामान्य रूप से खड़ा घोडा
कुछ प्रतिमाएं ऐसी देखने को मिलती हैं, योद्धा का घोडा अपने चारों पैरों के साथ सामान्य स्थिति में खड़ा रहता है. जिसके पीछे का कारण यह बताता है कि इस योद्धा ने कई जंग लड़ी हैं, लेकिन उसकी मौत सामान्य रूप से ही हुई है. जिसकी मौत का कारण ना तो कोई जंग है और ना ही युद्ध के दौरान लगने वाले घाव. यी वीर योद्धा सामान्य स्थिति में मृत्यु को प्राप्त हुआ है.